- हायवेग सानिया: मिर्च की यह किस्म जीवाणु उकठा एवं मोज़ेक वायरस के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है तथा इसकी प्रथम तुड़ाई 50- 55 दिनों में की जाती है। यह किस्म अधिक तीखा होने के साथ साथ चमकीला हरा तथा पीलापन लिए हुए होता है। इसके फल 13-15 सेमी लम्बाई, 1.7 सेमी मोटाई व लगभग 14 ग्राम वजन के होते हैं।
- मायको नवतेज (एम.एच.सी.पी- 319): यह पाउडरी मिल्ड्यू/भभूतिया और सूखे के प्रति सहनशील किस्म है। यह हाइब्रिड किस्म मध्यम से उच्च तीखापन लिए होती है जो लंबी संग्रहण क्षमता रखती है। इसमें मिर्च की लम्बाई 8-10 सेमी होती है।
- मायको 456: इस किस्म में उच्च तीखापन होता है तथा मिर्च की लम्बाई 8-10 सेमी होती है।
- हायवेग सोनल: मध्यम तीखेपन के साथ मिर्च की लम्बाई 14 सेमी होती है, जो सुखाने के लिए अच्छी किस्म है।
- सिजेंटा एच.पी.एच -12: इसमें बीज की मात्रा और तीखापन अधिक होता है। इसके पौधे और शाखाएं झाड़ीनुमा मजबूत होते हैं।
- ननहेम्स US- 1003: हल्के हरे रंग के फलों के साथ मध्यम लम्बाई का पौधा होता है, जिनके फलों की गुणवत्ता अच्छी होती है।
- ननहेम्स US- 720: गहरे हरे रंग के मिर्च हैं जो मध्यम तीखी होती है।
- ननहेम्स इन्दु: यह किस्म मौजेक वायरस और भभूतिया रोग के प्रति माध्यम प्रतिरोधी है तथा इसमें संग्रहण क्षमता अच्छी होती है।
- स्टारफिल्ड जिनि: यह किस्म वायरस के प्रति सहनशील है।
- वी.एन.आर चरमी (G-303): यह किस्म हल्के हरे रंग की, मध्यम तीखापन वाली और इसमें मिर्च की लम्बाई 14 सेमी जैसे विशेषताएँ होती हैं। इसकी पहली तुड़ाई 55-60 दिनों में की जाती है।
- स्टारफिल्ड रोमी- 21: वायरस के प्रति सहनशील और अधिक उत्पाद देती है। लाल मिर्च के लिए बेहतरीन किस्म है।
जानें मिर्च की नर्सरी में किये जाने वाले मिट्टी उपचार के फायदे
- अनेक प्रमुख कीटों की प्रावस्थायें व मिट्टी जनित रोगों के कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो फ़सलों को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुंचाते हैं। प्रमुख रूप से दीमक, सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब), कटवर्म, सूत्रकृमि, आदि को मिट्टी उपचार द्वारा नष्ट किया जा सकता है।
- फफूंदी/जीवाणु रोगों के भी मिट्टी जनित कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो अनुकूल परिस्थितियों में पौधे की विभिन्न प्रावस्थाओं को संक्रमित कर फसल उत्पादन में बाधक बन हानि पहुंचाते हैं।
- मिट्टी उपचार करने से मिर्ची के पौधे का सम्पूर्ण विकास, सम्पूर्ण पोषण वृद्धि तथा भरपूर गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होता है।
- मिट्टी की संरचना सुधारने के साथ-साथ रसचूसक कीटों और रोगों का भी आक्रमण कम हो जाता है।
- कीट व रोगों के आक्रमण करने के बाद उपचार करने से कृषि रक्षा रसायनों का अधिक उपयोग किया जाता है, फलस्वरूप अधिक व्यय हो जाने के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि होती है।
लॉकडाउन में पीएम-किसान और जनधन जैसी योजनाओं की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त करें
कोरोना महामारी की वजह से चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन में कई प्रकार की सरकारी सब्सिडी योजनाओं के लाभार्थी किसान एवं अन्य लोग इससे जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में इन सब से जुड़ी जानकारी आप ऑनलाइन माध्यम से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
जनधन योजना, एलपीजी सब्सिडी योजना, पीएम किसान सम्मान निधि योजना और इसी प्रकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं की वर्तमान स्थिति जानने के लिए आपको ऑनलाइन माध्यम पर इन चरणों का पालन करना है।
चरण 1: इससे जुड़ी सार्वजनिक प्रबंधन वित्तीय प्रणाली की आधिकारिक वेबसाइट @ pfms.nic.in/NewDefaultHome.aspx पर लॉग इन करें।
चरण 2: इसके मुख पृष्ठ पर ‘अपने भुगतान जानें’ मेनू पर क्लिक करें
चरण 3: अब अपने बैंक का नाम, खाता संख्या जैसे आवश्यक विवरण भरें
चरण 4: फिर कैप्चा कोड जमा करें
चरण 5: इसके बाद ‘खोज’ विकल्प पर टैप करें
चरण 6: इसके बाद आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर पूरा डेबिट और क्रेडिट विवरण आ जायेगा
चरण 7: आपको अपने बैंक खाते में नवीनतम मनी ट्रांसफर का पता चल जाएगा
लॉकडाउन के समय में जब घर से बाहर निकलना खतरे भरा होता है यह ऑनलाइन माध्यम हर किसी के लिए बहुत मददगार हो रहा है। इससे आप हर योजना की स्थिति जान सकते हैं।
स्त्रोत: कृषि जागरण
Shareकपास की उन्नत बी.टी. किस्मों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
- कावेरी जादू: यह किस्म सूखे के प्रति और रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इस संकर किस्म की फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमें गूलर (डोडे) मध्यम एवं पौधा लंबा होता है अतः कम दूरी में भी बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है।
- रासी आरसीएच-659: यह 145-160 दिनों की मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन के लिए अच्छी संकर किस्म है। इस किस्म में डोडे बड़े व अधिक संख्या में लगते है तथा यह किस्म सिंचित क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है।
- रासी नियो: यह मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं हल्की से मध्यम मिट्टी लिए अच्छी किस्म है, साथ ही साथ रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है।
- रासी मगना: इस किस्म में गूलर बड़े व अधिक संख्या में लगते हैं जो मध्यम से भारी मिट्टी में उगाने के लिए अच्छी है। यह रसचूसक कीटों के प्रति मध्यम सहनशील है।
कावेरी मनी मेकर: फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमें डोडे बड़े आकार के लगते है जो अच्छे से खिलते हैं और चमकदार होते हैं। - आदित्य मोक्ष: यह किस्म सिंचित व बारानी क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है जो 150-160 दिनों की फसल अवधि रखती है।
- नुजीवेदु भक्ति: यह किस्म रसचूसक कीटों के प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इसकी फसल अवधि लगभग 140 दिनों की होती है।
- सुपर कॉटन (प्रभात): यह किस्म मध्यम सिंचित व काली भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है तथा रसचूसक कीटों के प्रति सहनशील है।
- नुजीवेदु गोल्ड़कोट: फसल अवधि 155-160 दिनों की है जिसमें डोडे मध्यम आकार के लगते है।
मूंग की खेती: फसल वृद्धि तथा रस चूसक कीट एवं अन्य बीमारियों से बचाव के उपाय
- कवक जनित रोगों से बचाव हेतु कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रसचूसक कीट से बचाव हेतु 100 ग्राम थायोमेथोक्सोम 25% WG या 100 ग्राम एसिटामिप्रिड 20% SP प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- फसल की अच्छी बढ़वार हेतु 100 ग्राम वीम-95 (पोटैशियम ह्यूमेट 90% + फ्लूविक एसिड 10 %) या 400 मिली धनजाइम गोल्ड (समुंद्री शैवाल) या 400 मिली होशी अल्ट्रा (जिबरेलिक एसिड 0.001%) प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- ऊपर के तीनों उत्पाद (फफूंदनाशी, कीटनाशी और वृद्धि नियामक) तथा 1 किलो NPK 19:19:19 को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
लॉकडाउन में घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने में भी किसान क्रेडिट कार्ड करेगा आपकी मदद
कोरोना महामारी की वजह से लम्बे समय से चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के कारण किसान भाइयों को आर्थिक तौर पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान खेती की ज़रूरतों के साथ साथ घरेलू ज़रूरतों की भी पूर्ति करना किसानों के लिए चुनौती पूर्ण सिद्ध हो रहा है। बहरहाल किसान क्रेडिट कार्ड की मदद से आप इस चुनौती से राहत प्राप्त कर सकते हैं।
दरअसल किसान क्रेडिट कार्ड से मिलने वाली राशि का एक हिस्सा किसान अपनी घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी उपयोग में ला सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस बाबत अपनी वेबसाइट पर जानकारी डाल रखी है। इसके जानकारी के अनुसार “देशभर के किसान अपने किसान क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल घर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर सकते हैं।”
बता दें की आम तौर पर किसान क्रेडिट कार्ड योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग किसी फसल की तैयारी में लगने वाले ख़र्चों को पूरा करने के लिए किया जाता है। पर इस योजना से मिली कुल राशि का 10% हिस्सा किसान अपने घरेलू ख़र्चों के लिए भी कर सकता है।
स्त्रोत: कृषि जागरण
Shareकपास की फसल को सफेद लट्ट (व्हाइट ग्रब) से कैसे बचाएं?
- सफेद लट्ट (व्हाइट ग्रब) मिट्टी में रहने वाला सफेद रंग का लट्ट है, जो कपास की फसल में नुकसान पहुंचाता हैं।
- इसके ग्रब जमीन के अंदर से मुख्य जड़ तंत्र को खाते हैं जिसके कारण पौधा पीला पड़ जाता है और सूख जाता है।
- गर्मी में खेतों की गहरी जुताई एवं सफाई कर कीट को नष्ट किया जा सकता है।
- जैव-नियंत्रण के माध्यम से 1 किलो मेटारीजियम एनीसोपली (कालीचक्र) को 50 किलो गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद में मिलाकर बुआई से पहले या खाली खेत में पहली बारिश के बाद खेत में मिला दें या
- फेनप्रोपेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली या क्लोथियानिडीन 50% WDG 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से में 200 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेंचिंग कर दें।
सुप्रीम कोर्ट ने गन्ना किसानों के पक्ष में लिया निर्णय, लाखों किसानों को होगा लाभ
कोरोना महामारी की विश्वव्यापी त्रासदी के मध्य सुप्रीम कोर्ट की तरफ से देश के लाखों गन्ना किसानों के लिए खुशख़बरी आई है। सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय से गन्ना किसानों की पुरानी समस्या का अंत होता नजर आ रहा है। दरअसल गन्ना के मूल्य निर्धारण को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच अक्सर विवाद रहता है जिसका ख़ामियाज़ा किसानों को भुगतना पड़ता था। अब इसी विषय पर सुप्रीम कोर्ट को निर्णय इन विवादों को खत्म कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए जिस निर्णय की हम बात कर रहे हैं उसे न्यायालय की पांच जजों की बेंच ने दिया है। पांच जजों की बेंच ने गन्ने के मूल्य निर्धारण पर वर्ष 2004 के एक फैसले को सही मानते हुए कहा कि “राज्य सरकारों द्वारा गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जा सकता है।” ग़ौरतलब है की न्यायालय के इस निर्णय का लाभ देश के लगभग 35 मिलियन किसानों तथा उनके परिवारों को मिलेगा जो अपनी आजीविका के लिए गन्ने की खेती पर निर्भर रहते हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareसूरजमुखी के हैं ये फायदे
- सूरजमुखी के तेल में लगभग 64% लिनोलिक अम्ल पाया जाता है जो हृदय में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है।
- सूरजमुखी की खली में लगभग 40 से 44 % प्रोटीन पाई जाती है, जिसका उपयोग मुर्गियों और पशुओं के लिए आहार के रूप में होता है।
- यह विटामिन ए, डी एवं ई का अच्छा स्रोत है। इसके द्वारा बेबी फूड भी तैयार किया जाता है।
सूरजमुखी के बीज में आयरन, जिंक, कैल्शियम मौजूद होते हैं, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। - इसके तेल से गठिया रोग में आराम मिलता है।
- इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते है जो डायबिटीज, कैंसर, अल्जाइमर, हड्डियों और त्वचा से संबंधित बीमारियों से शरीर को बचाते है।
लेमन ग्रास है सेहत के लिए फ़ायदेमंद
- लेमन ग्रास एन्टीऑक्सीडेंट, एन्टीइंफ्लामेंटरी और एन्टीसेप्टिक गुणों से युक्त है।
- लेमन ग्रास की चाय सिरदर्द में काफी फ़ायदेमंद है तथा इसे प्रतिरोधकता को बढ़ाने का श्रेय भी हासिल है।
- पेट दर्द, पेट में ऐंठन, पेट फूलना, गैस, अपच, जी-मिचलाना या उल्टी आना जैसी पाचन संबंधित समस्याओं में भी यह कारगर औषधि सिद्ध होती है।
- लेमन ग्रास के नियमित सेवन से शरीर में आयरन की कमी दूर हो जाती है जो एनीमिया रोगियों के लिए लाभदायक है।
- इसमें ऐसे तत्व मौजूद हैं जो कैंसर सेल्स को शुरुआती अवस्था में रोकने में कारगर है।
- यह धमनियों में रक्त प्रवाह को तेज कर हृदय सम्बन्धी बीमारियों को रोकता है।
- लेमन ग्रास का उपयोग अनिद्रा, अस्थमा, घुटने के दर्द, अवसाद की समस्या से निजात पाने में भी किया जाता है।