कोरोना संकट पर G-20 की बैठक में किसानों की जीविका पर हुई चर्चा, कृषि मंत्री तोमर हुए शामिल

Agriculture Minister Tomar attends discussion on the livelihood of farmers in the G-20 meeting

कोरोना वैश्विक महामारी के कारण भारत सहित विश्व के तमाम देश परेशान है। कोरोना के इसी ज्वलंत मुद्दे पर मंगलवार को G-20 देशों के नेताओं के बीच वीडियो कॉन्फ़्रेंस के माध्यम से सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में G-20 देशों में शामिल सभी देशों के कृषि मंत्री ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

इस बैठक में मुख्य रूप से विश्व में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को सुगम बनाये रखने तथा किसानों की जीविका को आगे बढ़ाने के तौर तरीकों पर वृहत चर्चा हुई। भारत की तरफ से इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर उपस्थित रहे। इस सम्मेलन की अध्यक्षता सऊदी अरब के पर्यावरण, जल एवं कृषि मंत्री अब्दुलरहमान अलफाजली ने की।

केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने सऊदी अरब की पहल पर जी-20 देशों को किसानों की आजीविका सहित खाद्य आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करने के लिए एक मंच पर आने का स्वागत किया। तोमर ने भारत में चल रहे लॉकडाउन के बीच कृषि कार्यों में दी जा रही छूटों की चर्चा की और अपने सभी समकक्ष कृषि मंत्रियों को इससे अवगत कराया।

स्रोत: आज तक

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कपास की फसल में कैसे करे भूमि उपचार?

How to do soil treatment in Cotton crop?
  • कपास में कृषि प्रक्रिया गहरी जुताई के साथ आरंभ करने के बाद 3-4 बार हैरो चला दे ताकि मिट्टी भुरभुरी होने साथ जलधारण क्षमता बढ़ जाये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जायेंगे।
  • मिट्टी उपचार अवश्य करे अतः 4 किलो जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टेरिया, 2 किलो ग्रोमेक्स (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा), 2 किलो ट्राइकोडर्मा विरिडी और 100 ग्राम एनपीके कन्सोर्टिया बैक्टेरिया को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिला कर खेत में बिखेर दे।
  • ऐसा करने से भूमि की संरचना सुधारने, पौधें का संपूर्ण विकास व संपूर्ण पोषण वृद्धि के साथ-साथ हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाती है।
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मूंग और उड़द की फसल में जीवाणु अंगमारी से बचाव कैसे करें?

How to protect bacterial blight from Green gram and black gram
  • पत्तियों की सतह पर भूरे, सूखे और उभरे हुए धब्बे इस रोग की पहचान है।
  • पत्तियों की निचली सतह पर ये धब्बे लाल रंग जैसे पाये जाते हैं।
  • जब रोग का प्रकोप बढ़ता है तो धब्बे आपस में मिल जाते है और पत्तियां पीली पड़ जाती है अतः समय से पहले झड़ जाती है।
  • इससे नियंत्रण हेतु स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आईपी 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% w/w @ 20 ग्राम प्रति एकड़ या कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। या
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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मौसम विभाग का अलर्ट: इन राज्यों में भारी बारिश के साथ गिर सकते हैं ओले

Indian Meteorological Department alert hail may fall in these states with heavy rains

पिछले दिनों देश के कई राज्यों में बारिश और ओले गिरने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ा था। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आने वाले दिनों के लिए भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि की संभावना जताई है।

ग़ौरतलब है की पिछले कुछ दिनों से देश के कई क्षेत्रों में बादल छाए हुए हैं और कहीं कहीं बारिश भी हुई है जिसके कारण तापमान में भी गिरावट देखने को मिली है। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इसी कड़ी में अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी जारी की है की आने वाले कुछ दिनों में भी मौसम ख़राब रह सकता है।

मौसम विज्ञान विभाग ने इस बाबत पांच दिनों का एक मौसम संबंधित बुलेटिन जारी किया है और कहा है की पश्चिम बंगाल का गंगा नदी के आस पास वाला क्षेत्र, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम-त्रिपुरा, असम-मेघालय, केरल-माहे और कर्नाटक के अलग-अलग क्षेत्रों में भारी वर्षा हो सकती है।

इसके साथ ही मौसम विज्ञान विभाग ने बिहार, असम मेघालय, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र, मराठावाड़ा में 40-50 किमी प्रति घंटे की तीव्रता से हवाएं चलने, बिजली गिरने व ओलावृष्टि होने की संभावना जताई है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, मध्य प्रदेश, विदर्भ, कोंकण और गोवा भी मौसम खराब रहने का अलर्ट मौसम विभाग ने जारी किया है।

स्रोत: जागरण

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मध्यप्रदेश में गेंहू की खरीदी जारी, अब तक 400 करोड़ रुपये के गेहूं की हुई खरीदी

कोरोना संकट के मद्देनज़र सभी जरूरी एहतिआत बरतते हुए पिछले 15 अप्रैल से इंदौर, उज्जैन और भोपाल को छोड़ कर मध्यप्रदेश के सभी जिले में समर्थन मूल्य पर गेंहू की खरीदी शुरू कर दी गई थी। आज इस खरीदी के कार्य को शुरू हुए एक हफ्ता बीत चुका है।

इस पूरे एक हफ्ते में प्रदेश की लगभग चार हजार सहकारी समितियों के माध्यम से प्रदेश के सवा लाख किसानों से 400 करोड़ रुपये के गेहूं की खरीदी की गई है। मंगलवार से खरीदी की प्रक्रिया को और विस्तार दिया जा रहा है। इसमें लगभग 25 हजार किसानों को मैसेज भेजे जाएंगे। एक सोसायटी में 25 किसानों को बुलाया जाएगा, जिसमें 20 छोटे और पांच बड़े किसान होंगे।

स्रोत: नई दुनिया

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प्याज और लहसुन के भंडारण में इन बातों का रखें ध्यान

How to storage onion and garlic
  • कंद को पूरी तरह बिना पके हुए ही निकाल देने से कन्द के अन्दर खाली जगह बच जाती है, जो की बाद में गर्मी और नमी के प्रभाव में आकर सड़न पैदा करती है।
  • इस स्थिति से बचने के लिए कन्द के ऊपरी तने यानि सतह से उपरी भाग को 80% तक सूखने के बाद ही निकाले अतः इस स्थिति में पोधे का तना मुड़कर ज़मीन की और हो जाता है तब निकाले।
  • यदि आपके पास पर्याप्त जगह हो और आप लहसुन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना चाहते हो तो तने से कन्द को न काटे जब जरूरत हो तभी काटे। उन्हें एक गुच्छे में बांध कर फैला कर रख दे।
  • यदि कटाने की आवश्यकता हो तो सबसे पहले उन्हें 8-10 दिन तक तेज धुप में सूखने दे। लहसुन कंद की जड़ को तब तक सूखने दे जब तक जड़े बिखर न जाये। फिर कंद से तने के बीच में 2 इंच की दुरी रख कर ही काटे ताकी उनकी परत हटने पर कलिया बिखरे नही और कंद ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे।
  • कई बार कुदाली या फावड़े से कंद को चोट लग जाती है। प्याज लहसुन के कंद की छटाई करते वक्त दाग लगे हुए कंद को अलग निकाल दे, बाद में इन्हीं दागी कंदो में सडन पैदा हो कर अन्य दूसरे कंदों में भी सडन फैल जाती है।
  • मानसून में वातावरण नमी बढ़ जाती है और वो कंद को ख़राब करती है अतः भण्डारित किये गए प्याज लहसुन को समय समय पर देखते भी रहे। यदि कही कंदो से सड़न या बदबू आती है तो उस जगह से ख़राब कंदो को अलग कर ले अन्यथा वह अन्य उपज को भी ख़राब कर देता है।
  • अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों का तापमान 25-30 डिग्री सें. तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए।
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जीवामृत बनाने की विधि

Method of Making Jeevamrut
  • सर्वप्रथम प्लास्टिक ड्रम छायां में रखकर 10 किलो गोबर, 10 लीटर पुराना गोमूत्र, 1 किलोग्राम किसी भी दाल का आटा, 1 किलोग्राम बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी, 1 किलो गुड़ (तैयार घोल में उपस्थित बैक्ट्रिया ज्यादा सक्रिय हो जाये ), को 200 लीटर पानी में अच्छी तरह से लकड़ी की सहायता से मिलाये।
  • अब इस ड्रम को कपड़े से मुह को ढक दें। इस घोल पर सीधी धूप नही पड़नी चाहिए।
  • अगले दिन इस घोल को फिर से किसी लकड़ी की सहायता से दिन में 2-3 बार हिलाए। 5-6 दिनों तक प्रतिदिन इसी कार्य को करते रहे।
  • लगभग 6 दिन के बाद, जब घोल में बुलबुले उठने कम हो जाये तब जीवामृत उपयोग के लिए बनकर तैयार हो जायेगा।
  • यह 200 लीटर जीवामृत एक एकड़ भूमि के लिये पर्याप्त है।
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मध्य प्रदेश: 15 लाख किसानों को बड़ी राहत, फसल बीमा के अंतर्गत मिलेंगे 2990 करोड़

Relief for farmers, Govt. extended the duration of short-term crop loan

मध्यप्रदेश में किसानों के लिये सरकार की तरफ से एक बड़ी खुशख़बरी आई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के 15 लाख किसानों को फसल बीमा के अंतर्गत कुल 2990 करोड़ की बीमा राशि देने की बात कही है।

बता दें की यह बड़ी राशि प्रदेश के किसानों को अगले सप्ताह तक दे भी दी जाएगी। फसल बीमा के तहत यह राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंचा दी जायेगी। मंत्रालय में कृषि विभाग की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया जहाँ मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव कृषि अजीत केसरी एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

दरअसल साल 2018 के खरीफ सीजन के दौरान प्रदेश के करीब 35 लाख किसानों ने अपनी फ़सलों का बीमा कराया था। अब इनमें से 8.40 लाख किसानों को 1930 करोड़ की बीमा राशि मिलनी है। इसके अलावा 2018-19 के रबी सीजन में प्रदेश के 25 लाख किसानों ने रबी फ़सलों के लिए बीमा कराया था, इनमें से भी 6.60 लाख किसानों को 1060 करोड़ की बीमा राशि मिलनी है।

स्रोत: एनडीटीवी

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मूंग और उड़द की फसल को सफेद मक्खी से बचा कर फूलों की संख्या बढ़ाएं

Increase the number of flowers by protecting the crop of moong and urad from white fly
  • सफेद मक्खी पत्तियों के निचली सतह पर रहकर रस चूसती हुई पाई जाती है।
  • इसके शिशु एवं वयस्क रूप दोनों रस चूसकर पौधे की बढ़वार को रोक देता है, जिससे पत्तिया पीली पड़कर गिर जाती है अतः उपज में कमी आती है।
  • विषाणुजनित मोजैक रोग फैलाने के लिए आम तौर पर सफेद मक्खी जिम्मेदार होती है।
  • इसके नियंत्रण हेतु डाइफेनथूरोंन 50% WP 200 ग्राम या पायरिप्रोक्सिफ़ेन 10% + बाइफेन्थ्रिन 10% EC 200 मिली या एसिटामिप्रिड 20% SP 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • मूंग और उड़द में फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए होमोब्रेसिनीलॉइड 0.04 % @ 100 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जीवामृत क्या है, इसके फायदे एवं प्रयोग की विधि

What is Jeevamrut, its benefits and method of use
  • जीवामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक खाद है। जिसे गोबर के साथ पानी मे कई और पदार्थ जैसे गौमूत्र, बरगद या पीपल के नीचे की मिटटी, गुड़ और दाल का आटा मिलाकर तैयार किया जाता है।
  • जीवामृत पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है। यह पौधों की विभिन्न रोगाणुओं से सुरक्षा करता है तथा पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ाता है। जिससे पौधे स्वस्थ बने रहते हैं तथा फसल से बहुत ही अच्छी पैदावार मिलती है।
  • पलेवा और प्रत्येक सिंचाई के साथ 200 लीटर जीवामृत का प्रयोग एक एकड़ में सामान्य रूप से प्रयोग करना चाहिए।
  • अच्छी तरह से छानकर टपक या छिड़काव सिंचाई के माध्यम से भी प्रयोग कर सकते है, जो कि 1 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त है।
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