कैसे बचाएं अमरुद के वृक्ष को उकटा रोग के प्रकोप से

How to save Guava tree from wilt disease
  • रोग का पहला बाहरी लक्षण पत्तियों का हल्का पीले रंग हो जाना साथ ही साथ शीर्ष शाखाओं की पतियों का घुमावदार हो जाना है।
  • आगे की अवस्था में पत्तियां पीली से लाल जैसे रंग में बदल जाती है और समय पहले झड़ जाती है।
  • कुछ टहनियाँ खाली हो जाती हैं और नई पत्तियों या फूलों को लाने में असफल हो जाती हैं अंत में सूख जाती हैं।
  • बाग में उचित स्वच्छता से बीमारी को जांच के दायरे में रखा जा सकता है। संक्रमित पेड़ों को उखाड़ देना चाहिए, जलाया जाना चाहिए और पेड़ के तने के बीच खाई खोदी जानी चाहिए।
  • एस्परजिलस नाईजर NA-7 से या ट्राइकोडर्मा विरिडी उपचारित देशी खाद 5 किलोग्राम प्रति गढ्ढा पौधा लगाते समय तथा 10 किलोग्राम प्रति गढ्ढा पुराने पौधो में गुड़ाई कर डालें।
  • अमरूद के पौधे के चारों ओर थाले बनाएं और उसमें कार्बन्डाजिम दवा की दो ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर उससे थाले में डेचिंग करें।
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जाने गाय के रंग का महत्व

Know the importance of color of cow
  • सफेद रंग की गाय का दूध पाचक होता है, जो शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाता है।
  • चितकबरी गाय का दूध पित्त बढ़ाता है, जो शरीर को चंचल बनाता है।
  • काले रंग की गाय का दूध मीठा होता है, जो गैस के रोगों को दूर करता है।
  • लाल रंग की गाय का दूध रक्त बढ़ाता है, जो शरीर को स्फूर्तिवान बनाता है।
  • पीले रंग की गाय का दूध पित्त को संतुलित करता है, जो शरीर को ओजपूर्ण बनाता है।
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लांच हुआ किसान रथ मोबाइल एप, कृषि उत्पाद के बेहतर परिवहन में होगा मददगार

Kisan Rath App launched, will be helpful in better transportation of agricultural produce

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच देश भर में चल रहे लॉकडाउन को मद्देनज़र रखते हुए ख़ास कर के कृषि से जुड़े लोगों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद और राहत देने का कार्य चल रहा है। अब इसी कड़ी में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को किसान रथ मोबाइल एप लांच किया है जो कृषि उत्पादों के परिवहन में सुगमता लाएगा।

श्री तोमर के साथ इस मौके पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला एवं श्री कैलाश चौधरी तथा मंत्रालय के सचिव श्री सजंय अग्रवाल सहित अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इस मौके पर श्री तोमर ने कहा कि “मौजूदा संकट के दौर में ही, कृषि का काम भी बहुत तेज़ी के साथ करने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा की “कृषि उत्पादों के परिवहन में कुछ दिक्कतें थी, और इसी को दूर करने के लिए किसान रथ मोबाइल एप लांच किया गया है। यह मोबाइल एप निश्चित रूप से पूरे देश में कृषि उत्पादों के सुचारू परिवहन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।”

इस एप को आप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं और फिर इसपर खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इस एप में किसान, ट्रेडर और सर्विस प्रोवाइडर तीनों खुद को रजिस्टर कर सकते हैं।

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छिड़काव की कार्यकुशलता बढ़ाये नेपच्युन स्प्रेयर द्वारा

Increase spray efficiency by Neptune sprayer
  • नेपच्युन बैटरीचलित स्प्रेयर बैटरी से संचालित है जिसकी टंकी की क्षमता 16 लीटर है।
  • इसका प्रेसर 0.2 से 0.45 Mpa का है जो 12 V/8AH बैटरी पर काम करता है।
  • रेगुलेटर के माध्यम से प्रेसर को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • इस स्प्रेयर में कीटनाशी, कवकनाशी, शाकनाशी आदि का व्यापक प्रयोग कृषि, बागवानी, वानिकी एवं उद्यान में किया जा सकता हैं।
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लॉकडाउन मेंं किसानों को मिले 2424 करोड़ रुपये

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana

लॉकडाउन के दौरान सरकार ख़ास कर के किसानों को मदद पहुंचाने के लिए कई कदम उठा रही है। इसी कड़ी में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत लॉकडाउन के दौरानअब तक 12 राज्यों के बहुत सारे किसानों को 2424 करोड़ के दावों का भुगतान किया गया है।

इसके साथ साथ सरकार इस बात पर भी ध्यान दे रही है कि इस योजना से अधिक से अधिक किसान जुड़ें और लाभान्वित हों। इसके लिए सरकार किसानों को फोन पर मैसेज भेजकर बीमा में शामिल होने की अपील कर रही है। इसकी मदद से खेती में किसानों का जोखिम कम हो जाएगा।

किसानों को इस योजना से जोड़ने के साथ साथ सरकार बीमा कंपनियों के समक्ष कई प्रकार के शर्त रख रही है जिससे किसानों का हित को सुरक्षित करने में मदद मिले। इसके अंतर्गत बीमा का अधिकांश प्रीमियम केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर देती हैं।

ज्यादा जानकारी के लिए https://pmfby.gov.in/ पर जाएँ

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स्वास्थ्य के लिए वरदान है बकरी का दूध

Goat milk is a boon for health
  • बकरी का दूध प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज व इम्युनोग्लोबुलिन की पर्याप्त मात्रा से युक्त होता है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता हैं।
  • गाय के दूध की तुलना में बकरी के दूध में अल्फा कैसिइन की मात्रा कम, कपा कैसिइन की बराबर और बीटा कैसिइन की उच्च मात्रा होती है। बकरी के दूध में कम अल्फा कैसिइन पाचनशक्ति को बढ़ाता है।
  • बकरी का दूध पेट व आंत के रोगों के उपचार में सहायक है।
  • एलर्जी और कैंसर के उपचार के लिए भी बकरी का दूध उत्तम माना गया है।
  • बकरी के दूध में संयुग्मित लिनोलिक एसिड (सीएलए) की उच्च मात्रा होती है। सीएलए की इसके एंटी कारसिनोजेनिक गुण के कारण कोलोरेक्टल और स्तन कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका पाई गई है।
  • डेंगू व चिकनगुनिया जैसे रोगों में बकरी का दूध इस रोग की रोकथाम व इलाज के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • बकरी का दूध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
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देवास के किशन चंद्र ने मूंग की खेती से पाया बम्पर उत्पादन, ग्रामोफ़ोन को कहा धन्यवाद

Kishan Chandra Rathore of village Nemawar under Khategaon tehsil of Dewas

कोई भी किसान खेती इसलिए करता है ताकि उसे इससे अच्छा मुनाफ़ा प्राप्त हो और खेती से मुनाफ़ा प्राप्त करने के लिए जो दो महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखने वाली होती हैं उनमें पहला ‘खेती की लागत को कम करना’ होता है और दूसरा ‘उत्पादन को बढ़ाना’ होता है। इन्हीं दो बिंदुओं पर ध्यान दे कर देवास जिले के खातेगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम नेमावर के किसान श्री किशन चंद्र राठौर जी ने पिछले साल मूंग की फसल से बम्पर उत्पादन प्राप्त किया था। इस बम्पर उत्पादन को प्राप्त करने के लिए किशन जी ने ग्रामोफ़ोन से भी मदद ली थी।

दरअसल किशन चंद्र जी दो साल पहले ग्रामोफ़ोन से जुड़े थे। शुरुआत में उन्होंने ग्रामोफ़ोन से थोड़ी बहुत सलाह ली लेकिन पिछले साल जब वे मूंग की खेती करने जा रहे थे तब उन्होंने अपने 10 एकड़ ज़मीन में आधे पर ग्रामोफ़ोन की सलाह अनुसार खेती की और बाकी के आधे ज़मीन पर अपने पुराने अनुभवों के आधार पर खेती की। ग्रामोफ़ोन की सलाह पर किशन चंद्र जी ने अपने खेतों में सॉइल समृद्धि किट डलवाया और बुआई से लेकर कटाई तक विशेषज्ञों से सलाह लेते रहे जिसका असर उत्पादन में देखने को मिला।

जब फसल की कटाई हुई तब उत्पादन के आंकड़े चौंकाने वाले थे। जिन पांच एकड़ के खेत में किशन जी ने अपने अनुभव के आधार पर खेती की उसमे महज 18 क्विंटल मूंग का उत्पादन हुआ और लागत ज्यादा रही वहीं ग्रामोफ़ोन की सलाह पर खेती किये गए पांच एकड़ के खेत में 25 क्विंटल मूंग का उत्पादन हुआ और लागत भी काफी कम लगी थी।

ग्रामोफ़ोन की सलाह ने जहाँ लागत कम किया वहीं उत्पादन में 7 क्विंटल का इज़ाफा कर दिया। पिछले साल के अपने इन्हीं अनुभवों को किशन जी ने टीम ग्रामोफ़ोन से शेयर किया और कहा की इस साल भी वे मूंग की फसल ग्रामोफ़ोन की सलाह पर अपने पूरे 10 एकड़ के खेत में लगाएंगे।

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उड़द में सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग से बचाव

Prevention of Cercospora leaf spot disease in Black gram
  • पत्तियों पर लाल भूरे किनारों से घिरे हुए कई छोटे छोटे हल्के पीले -भूरे रंग के गोल धब्बे हो जाते हैं।
  • इसी तरह के धब्बे शाखाओं और हरी फलियों पर भी होते हैं।
  • पत्तियों पर गंभीर रूप से धब्बे होने पर फलियों के बनने के समय भारी मात्रा में पत्ते झड़ने लगते है।
  • रोग के शुरुआती अवस्था में कार्बेन्डाजिम 12 + मैनकोजेब 63 WP 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें और 10 दिन बाद छिड़काव दोहराये।
  • इससे उपचार हेतु क्लोरोथालोनिल 33.1 + मेफेनोक्साम 3.3 SC 400 मिली या एजॉक्सीस्टॉबिन 11 + टेबुकोनाजोल 18.3 SC 250 मिली/एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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