मानसून के आखिरी चरण में इन राज्यों में है बारिश की संभावना

weather forecast

मानसून अपने आखिरी पड़ाव पर है और अक्टूबर माह की शुरुआत के साथ मानसून के अंतिम चरण की बारिश देश के कुछ राज्यों में देखने की मिल रही है। ज्यादातर राज्यों से मानसून ने विदाई ले ली है।

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक राजधानी दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और उत्तरी भारत के ज्यादातर हिस्सों से दक्षिण पश्चिमी मानसून के लौटने की स्थिति नजर आ रही है जबकि झारखंड, बिहार और यूपी के कई हिस्सों में हल्के से मध्यम बारिश हो सकती है।

आने वाले 24 घंटों के दौरान तटीय ओडिशा, आंध्र प्रदेश और गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश जारी रह सकती है। इसके अलावा दक्षिणी छत्तीसगढ़, विदर्भ, मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों और दक्षिणी राजस्थान के साथ-साथ जम्मू कश्मीर के उत्तरी भागों में भी एक-दो स्थानों पर हल्की बारिश की उम्मीद है।

स्रोत: कृषि जागरण

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धान की फसल में भूरा माहू का नियंत्रण

Control of brown plant hopper in paddy crop
  • इस कीट का निम्फ और व्यस्क रूप भूरे से सफेद रंग का होता है। यह पौधे के तने के आधार के पास रहता है तथा और वहीं से पौधे को नुकसान पहुँचाता है।
  • वयस्क कीट के द्वारा पत्तीयों के मुख्य शिरा के पास अण्डा दिया जाता है|
  • अंडो का आकार अर्ध चंद्र होता है एवं निम्फ का रंग सफ़ेद से हल्का भूरा रहता हैं।
  • प्लांटहॉपर द्वारा किया गया नुकसान पौधे में पीलेपन के रूप में दिखता हैं।
  • भूरा माहु पौधे का रस चूसते हैं जिसके कारण फसल घेरे में सूख जाती है जिसे हॉपर बर्न कहते हैं।
  • थियामेंथोक्साम 75% SG @ 60 ग्राम/एकड़ या बुप्रोफिज़िन 15% + एसीफेट 35% WP@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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लौकी की फसल में लीफ माइनर (पत्ती का सुरंगी कीट) नियंत्रण

Control of Leaf Miner in Bottle Gourd
  • यह कीट मुख्य रूप से लौकी की फसल को नुकसान पहुँचाता है। इस कीट की सुंडी व कैटरपिलर सबसे पहले लौकी के पौधे की पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • अंडे से सुंडी निकलने के बाद सुंडी रेशमी धागे के साथ पत्तियों पर एक घुमावदार जाली बना देती है और शिराओं के बीच से पत्ती को खाती है।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC@ 70 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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धानुका, कृषि क्षेत्र की बड़ी कम्पनी ने ग्रामोफ़ोन के साथ मिलाया हाथ

This large agricultural company joined hands with Gramophone

प्रमुख कृषि-रसायन कंपनी धानुका एग्रीटेक लिमिटेड और किसानों का सच्चा साथ ग्रामोफ़ोन ने हाथ मिला लिया है। कृषि क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता और विश्वस्तरीय तकनीकों के साथ टेक प्लेटफॉर्म ग्रामोफ़ोन के माध्यम से कंपनी किसानों तक अपनी पहुंच बढ़ाने और उन्हें उनकी फसलों के लिए किफ़ायती समाधान उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है।

बहरहाल यह साझेदारी एग्रोनोमि इंटेलीजेन्स के माध्यम से कृषि इनपुट जैसे बीज, फसल सुरक्षा एवं फसल पोषण उत्पादों की सुविधाजनक डिलीवरी को सुनिश्चित करेगी। ग्रामोफ़ोन ने लास्ट माइल डिलीवरी को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय युवा ग्रामीण उद्यमियों के साथ भी साझेदारी की है। धानुका जैसी कंपनियां देश भर के किसानों से रियल टाईम डेटा भी जुटा रही हैं। इससे किसानों को सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध करवाकर उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद की जा सकेगी।

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सरसों की मुख्य किस्मों की जानकारी और विशेषताएं

Information and characteristics of improved varieties of mustard

प्रमाणित उन्नत किस्म के सरसों के बीज फसल से तेल की मात्रा का प्रतिशत बढ़ा देते हैं इसीलिए अगर प्रमाणित किस्मों का चुनाव करके बुआई की जाए तो अधिक लाभ होता है।

सरसों की कुछ प्रमाणित किस्में निम्र हैं

पीताम्बरी (RYSK-05-02): यह सरसों की एक संकर किस्म है और इसकी कुल उपज 614 किलो/एकड़ होती है। यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है और इसे पकने में 110 से 115 दिन लगते हैं।

पूसा सरसों 27 (EJ 17): यह सरसों की एक संकर किस्म है और इसकी कुल उपज 575-660 किलो/एकड़ तक रहती है। इसमें तेल प्रतिशत 40-45% होता है। यह एक सिंचित किस्म एवं मिश्रित फसल लगाने के लिए उपयुक्त है।

LET-43 (PM30): सरसों की इस संकर किस्म से करीब 625-895 किलो/एकड़ तक की उपज ली जा सकती है एवं इसमें तेल प्रतिशत 36-39.4% तक होता है। इसमें यूरिक एसिड कम मात्रा में पाया जाता है।

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अच्छी उपज प्राप्ति के लिए सरसों की इन नई विकसित किस्मों की करें बुआई

Sow these newly developed varieties of mustard to get good yield

सरसों एक मुख्य तिलहनी फसल है और अगर इसकी प्रमाणित किस्मों का चुनाव बुआई के लिए किया जाये तो उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

सरसो की प्रमाणित किस्मे निम्र हैं

  1. RGN-73: यह सरसों की एक संकर किस्म है और इसकी कुल उपज 802 किलो/एकड़ होती है। इस किस्म में तेल प्रतिशत 40% तक रहती है। पूर्ण सिंचित एवं ठंडे मौसम वाले क्षेत्र में उगाने के लिए यह किस्म अनुकूल है।
  2. NRC HB 101: सरसों की इस संकर किस्म की कुल उपज 550 से 600 किलो/एकड़ तक रहती है एवं इसमें तेल प्रतिशत 35 से 42% तक होता है। यह किस्म पूर्ण सिंचित एवं देर से बुआई के लिए उपयुक्त होती है।
  3. NRCHB506: सरसों की यह किस्म भी एक संकर किस्म है और इसकी कुल उपज 600 से 1000 किलो/एकड़ की होती है। इस किस्म में तेल प्रतिशत 39-43% होता है और यह पूर्ण सिंचित एवं अधिक अनुकूलित है।
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म प्र में समर्थन मूल्य पर खरीफ उपज की खरीदी हेतु पंजीयन शुरू, जानें पंजीयन की आखिरी तारीख

Registration begins for purchase of Kharif produce on support price in MP

खरीफ सीजन के फ़सलों की कटाई अब शुरू होने वाली है और इसी को देखते हुए खरीफ उपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी की प्रक्रिया की शुरुआत भी कर दी गई है। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस विषय पर कहा है कि “खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में धान आदि फ़सलों की समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदी के लिए उत्कृष्ट व्यवस्थाएं की जाएगी।”

सीएम ने बताया ‍कि धान, ज्वार एवं बाजरा की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए इस वर्ष अभी तक 1395 पंजीयन केन्द्र बनाए गए हैं। इन पर पंजीयन का कार्य प्रारंभ हो गया है जो 15 अक्टूबर तक चलेगा। बता दें की पंजीयन के प्रारंभिक दो दिन में 9 हजार 142 किसानों ने अपना पंजीयन कराया है।

अगर समर्थन मूल्य की बात करे तो इस बार ज्वार, बाजरा और धान का समर्थन मूल्य क्रमशः 2620, 2150 और 1868 रूपए प्रति क्विंटल रखा गया है। गत वर्ष यह क्रमश: 2550, 2000 और 1825 रूपये प्रति क्विंटल था।

स्रोत: कृषि जागरण

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प्याज़ की नर्सरी में 20 दिनों में करें छिड़काव प्रबंधन

How to prepare onion nursery
  • प्याज़ की नर्सरी में बुआई के बीस दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • यह छिड़काव कवक जनित बीमारियों तथा कीटों के नियंत्रण एवं अच्छी वृद्धि के लिए किया जाता है।
  • इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत मिलती है।
  • कवक जनित रोगो के प्रबंधन हेतु मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर छिड़काव करें।
  • कीट प्रबंधन के लिए फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 5 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
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नाइट्रोजन कृषि के लिए हैं एक अमूल्य तत्व

Nitrogen valuable ingredients for agriculture
  • नाइट्रोजन मिट्टी में जैविक एवं अजैविक दोनों रूपों में पाया जाता है।
  • मिट्टी में नाइट्रोजन 95% पाया जाता है परन्तु मिट्टी में इसकी बहुत कमी पायी जाती है।
  • मिट्टी में जो नाइट्रोजन पाया जाता है वह कार्बनिक रूप में पाया जाता है जिसका उपयोग मिट्टी द्वारा एवं फसल द्वारा नहीं किया जाता है।
  • मिट्टी एवं फसल द्वारा केवल अकार्बनिक रूप में नाइट्रोजन का उपयोग किया जाता है।
  • नाइट्रोजन के स्त्रोत में अमोनियम नाइट्रेट (NO3), अमोनियम सल्फेट, अमोनियम क्लोराइड, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, यूरिया अमोनियम नाइट्रेट आदि शामिल है और यह सभी अकार्बनिक नाइट्रोजन के प्रकार हैं।
  • जब मिट्टी या फसल को इसकी आवश्यकता होती है तो यह पौधों को बहुत लाभ पहुँचता है। यह मिट्टी में घुलकर मिट्टी की सरचना में भी सुधार करता है।
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होमोब्रेसिनोलाइड का फसलों के लिए क्या है महत्त्व?

Importance of Homobrassinolide for Crops
  • होमोब्रेसिनोलाइड फसल के लिए बहुत ही लाभकारी उत्पाद है। होमोब्रेसिनोलाइड पौधों में तनाव को कम करके तनाव के प्रति सहनशीलता बढ़ाने में मदद करता है। 
  • जब फसल तनाव के प्रति सहनशील हो जाती है तो फसल की पैदावार बढ़ती है।
  • होमोब्रेसिनोलाइड फसल में दानो की संख्या, दानो का वज़न और प्रति पौधे उपज बढ़ाने में भी बहुत सहायक होता है।
  • होमोब्रेसिनोलाइड एंजाइम एवं प्रोटीन संश्लेषण के माध्यम से चयापचय गति विधि को बढ़ावा देता है। 
  • होमोब्रेसिनोलाइड प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है एवं पौधे में भोजन बनने की क्रिया को तेज़ करने में सहायक होता है। 
  • होमोब्रेसिनोलाइड का उपयोग फूल या फल लगने की पूर्व अवस्था में छिड़काव के रूप में किया जाता है।
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