प्याज़ की नर्सरी से खेत में रोपाई से पहले मुख्य खेत की तैयारी और मिट्टी उपचार

onion transplanting
  • प्याज़ की पौध को मुख्य खेत में लगाने से पहले मुख्य खेत की तैयारी करना बहुत आवश्यक होता है। 
  • खेत की तैयारी के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की खेत में सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होना आवश्यक है। 
  • खेत की तैयारी के लिए FYM @ 4-6 टन/एकड़ की दर से मिट्टी में कार्बन तत्व की पूर्ति के लिए खेत में भुरकाव करें। 
  • एसएसपी @ 60 किलो/एकड़ की दर से फॉस्फोरस, कैल्शियम, सल्फर तत्वों की पूर्ति लिए खेत में भुरकाव करें। 
  • DAP@ 25 किलो/एकड़ की दर से जड़ों के अच्छे वृद्धि एवं विकास के लिए खेत में भुरकाव करें।  
  • पोटाश @ 40 किलो/एकड़ की दर से फसल में एवं मिट्टी में पोटाश की पूर्ति के लिए खेत में भुरकाव करें।
  • इसी के साथ ग्रामोफ़ोन की खास पेशकश प्याज़ समृद्धि किट का उपयोग अवश्य करें।
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गेहूँ की खरीदी हेतु जनवरी माह से रजिस्ट्रेशन हो जाएगी शुरू

Registration will be started from January to purchase wheat

किसान फिलहाल गेहूँ के फसल की बुआई में लगे हैं। कई क्षेत्रों में बुआई पूरी हो गई है तो कई क्षेत्रों में बुआई अभी भी चल रही है। ऐसे में हरियाणा सरकार अगले साल किसानों से गेहूँ की खरीदी के लिए अभी से ही तैयारी में लग गई है।

इस बार बार किसान ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ के तहत एक जनवरी से गेहूँ बिक्री हेतु पंजीकरण करा सकेंगे। सरकार किसानों हेतु कॉल सेंटर भी बनाने वाली है जिसके माध्यम से किसानों को खरीदी सम्बन्धी जानकारियाँ दी जायेगी।

स्रोत: भास्कर

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मध्यप्रदेश में हो रही बारिश में आ सकती है कमी, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की तरफ से आ रही आद्र हवाओं के कारण मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से बरसात हो रही है। इस बरसात में आने वाले दिनों में कमी आने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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मौसम परिवर्तन से फसलों में कवक जनित रोग का है खतरा, जानें सुरक्षा उपाय

Risk of fungal diseases in crops due to weather change

मौसम में लगातार होने वाले परिवर्तन के कारण प्याज़, लहसुन, आलू एवं सब्ज़ी वर्गीय फसलें बहुत अधिक प्रभावित होती हैं। इस प्रभाव के कारण सबसे पहले फसल में पत्ते पीले दिखाई देते हैं और किनारों से सूखने लग जाते हैं। आलू एवं सब्जी वर्गीय फसलों में छेती अंगमारी, पत्ती धब्बा रोग, डाउनी मिल्डू जैसे रोगों का प्रकोप होता है। मौसम की विपरीत परिस्थिति के कारण फसल को होने वाले नुकसान से फसल को बचाने के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग बहुत आवश्यक होता है।

प्रबंधन:

  • कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़
  • या मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 4% WP @ 500 ग्राम/एकड़ या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली/एकड़
  • या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/P@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इसी के साथ हर छिड़काव के साथ स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें। स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस को कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP के साथ उपयोग ना करें।
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मौसम परिवर्तन से होने वाले इल्लीवर्गीय कीटों के प्रकोप से फसलों का ऐसे करें बचाव

मौसम में अचानक हुए परिवर्तन के कारण रबी सीजन की सब्जी वर्गीय फ़सलों के साथ साथ आलू, गेहू, चना आदि फसलों में इल्लियों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होने की सम्भावना रहती है। कम तापमान एवं अधिक नमी वाले मौसम में इल्लियां अंडो से बाहर निकलती है एवं इनके शिशु फसलों की पत्तियों, तने, फलों, फूलों आदि को कुतर कर फसलों को बहुत नुकसान पहुँचाती है।

इस तरह के मौसम में हरी इल्ली, तम्बाकू की इल्ली, फल छेदक आदि इनके नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग बहुत प्रभावशाली होता है।

नियंत्रण: इन इल्ली वर्गीय कीटों के निवारण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

हर छिड़काव के साथ जैविक उपचार रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से अवश्य उपयोग करें।

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में अभी और गिरेगा तापमान, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

सर्दियों के मौसम ने पहाड़ी क्षेत्रों में दस्तक दे दी है और इसी का असर अब धीरे धीरे मैदानी क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। इसके कारण कई जगहों पर मौसम के मिज़ाज में बदलाव देखने को मिला है। मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में पिछले दो-तीन दिनों से हलकी बारिश देखने को मिल रही है और तापमान में भी गिरावट हुई है।

आगामी कुछ दिनों में हालांकि बारिश तो बंद होगी पर तापमान के और गिरने की संभावना जताई जा रही है। आगामी 24 घंटों के दौरान जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में न्यूनतम तापमान में कमी की संभावना है।

इसके अलावा कोंकण गोवा और मध्य महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश तथा गरज-चमक के साथ बौछारें गिरने का अनुमान है। वहीं उत्तरी मध्य प्रदेश, उत्तरी छत्तीसगढ़, तटीय कर्नाटक, केरल और अरुणाचल प्रदेश में भी कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है।

स्रोत: कृषि जागरण

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शुगर मिल मालिक किसानों से 285 रुपए प्रति क्विंटल से करेंगे गन्ने की खरीदी

Sugar mill owners to buy sugarcane from farmers for Rs 285 per quintal

मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले के कलेक्टर श्री सौरभ कुमार सुमन की अध्यक्षता में क्षेत्र के शुगर मिल मालिकों तथा किसानों की बैठक हुई। इस बैठक के दौरान सभी पक्ष के सुझावों से महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में यह फैसला किया गया कि छिन्दवाड़ा में 285 रुपए/क्विंटल की दर से शुगर मिल मालिकों द्वारा किसानों से गन्ने की खरीदी का कार्य किया जाएगा।

बैठक में यह भी निश्चित किया गया की नज़दीकी जिले नरसिंहपुर में गन्ने के रेट में वृद्धि होने के बाद उसी अनुसार छिन्दवाड़ा में भी रेट बढ़ाए जाएंगे। इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया की जिले के गन्ना मिल को छिंदवाड़ा जिले के कृषकों को प्राथमिकता देते हुए गन्ना क्रय करना होगा, इसके बाद ही अन्य जिले के किसानों का गन्ना क्रय किए जाने पर सहमति दी गई। वहीं शुगर मिल मालिकों को गन्ने की खरीदी के एक महीने के अंदर कृषकों को खरीदी का भुगतान करना अनिवार्य होगा।

स्रोत: कृषक जागरण

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टमाटर की फसल में थ्रिप्स के प्रकोप की रोकथाम जरूर करें

Thrips management in Tomato crop
  • थ्रिप्स: ये छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते है, जो पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।
  • ये अपने तेज मुखपत्र के साथ पत्तियों, कलियों एवं फूलो का रस चूसते हैं। इसके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों की तरफ से भूरी हो जाती हैं।
  • प्रभावित पौधे की पत्तियां सुखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं या फिर पत्तियां विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।
  • थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदला बदली करके ही उपयोग करना आवश्यक है।
  • प्रबंधन: थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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अपनी फसल में करें नैनो उर्वरक का उपयोग, मिलेंगे कई फायदे

Use Nano fertilizer in your crop, you will get many benefits
  • नैनो फर्टिलाइजर एक ऐसा उत्पाद है जो नैनोकणों के साथ बनाया जाता है।
  • इन्हें पोषक तत्वों की दक्षता में सुधार करने के लिए तैयार किया गया है।
  • यह उर्वरक उत्पादन दर और उपज में वृद्धि करने में सहायक होते हैं।
  • यह उर्वरक अपशिष्ट उत्पादन को भी कम करते हैं।
  • यह उर्वरक फसलों को पोषक तत्व प्रदान करता है।
  • नैनो उर्वरक अघुलनशील पोषक तत्वों को बेहतर रूप से घुलनशील रूप में परिवर्तित करने में सहायक होता है।
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फलविक एसिड के उपयोग से फसलों को मिलते हैं कई फायदे

Crops benefit from the use of fulvic acids
  • फलविक एसिड का सबसे महत्वपूर्ण काम ये है कि ये मिट्टी को भुरभुरा बनाने में मदद करता है।
  • इससे जड़ों का विकास अधिक होता है। ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज करता है।
  • जिससे पौधे में हरापन और शाखाओं में वृद्धि होती है। ये पौधे की तृतीयक जड़ों का विकास करता है जिससे की जमीन से पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक हो सके।
  • यह पौधे में फलों और फूलों की वृद्धि करता है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करता है।
  • पौधे की चयापचयी क्रियाओं में वृद्धि करता है। इससे उपज में भी वृद्धि होती है।
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