इंदौर के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहा है भाव?

Mandi Bhaw

 

डिवीजन मंडी फसल न्यूनतम दर
(₹/क्विंटल)
अधिकतम दर
(₹/क्विंटल)
मॉडल दर
(₹/क्विंटल)
इन्दौर बड़वाह कपास 4600 5300 5005
इन्दौर बड़वाह गेहूँ 1526 1700 1559
इन्दौर बड़वाह तुअर/अरहर 4551 4551 4551
इन्दौर बड़वाह मक्का/भुट्टा 1200 1265 1235
इन्दौर बड़वाह सोयाबीन 4075 4150 4150
इन्दौर धार गेहूँ 1605 2127 1688
इन्दौर धार चना देशी 3590 4575 4306
इन्दौर धार डॉलर चना 3800 6085 5238
इन्दौर धार मक्का 1000 1314 1255
इन्दौर धार मटर 3590 3590 3590
इन्दौर धार मसूर 4200 4498 4349
इन्दौर धार सोयाबीन 2675 4702 4002
इन्दौर सेंधवा टमाटर 900 1500 1200
इन्दौर सेंधवा पत्ता गोभी 700 1000 850
इन्दौर सेंधवा फूलगोभी 900 1100 1000
इन्दौर सेंधवा बैंगन 800 1200 1000
इन्दौर सेंधवा भिण्डी 900 1300 1100
इन्दौर सेंधवा लौकी 700 1200 950
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कैसा रहने वाला है मध्य प्रदेश का अगले 24 घंटे का मौसम?

Weather Forecast

देश भर में अब तक की बारिश के बारे में बात करें तो इस साल बारिश के सीजन में सामान्य  4% अधिक वर्षा हुई है। हालांकि मध्य प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी भागों में सामान्य से कम वर्षा इस सीजन में दर्ज की गई है। 

मध्य भारत के अगले 24 घंटे के मौसम पूर्वानुमान की बात करें तो मौसम सामान्य रहेगा और सामान्य हवाएं चलेंगी। 

वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर

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बीज उपचार में ट्रायकोडर्मा का करें उपयोग, मिलेंगे कई फायदे

Benefits of seed treatment with Trichoderma
  • ट्राइकोडर्मा एक फफूंद है, जो सामान्यत: मृदा में पायी जाती है।
  • इसका उपयोग सभी प्रकार की फसलों व सब्जियों जैसे कपास, तंबाकू, सोयाबीन, गन्ना, शकरकंद, बैंगन, चना, अरहर, मूंगफली, मटर, टमाटर, मिर्च, गोभी, आलू, प्याज, लहसुन, बैंगन, अदरक और हल्दी आदि फसलों में बीज़ उपचार के रूप में किया जाता है।
  • सब्ज़ी वर्गीय फसल में बीज़ उपचार करने से फसलों में लगने वाले फफूंद जनित रोग तना गलन, उकठा आदि रोगों से सुरक्षा मिल जाती है। इसका उपयोग फलदार वृक्षों पर भी लाभदायक है।
  • यह पौधे की बढ़वार में भी सहायक है इससे उत्पादन में वृद्धि होती है।
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किसानों की कृषि परिवहन लागत में किसान रेल से आ रही है कमी

Transport costs of farmers are coming down by Kisan Rail

किसानों द्वारा अपनी उपज के परिवहन हेतु भारतीय रेलवे की तरफ से इसी साल 20 अगस्त से ‘किसान ट्रेन’ की शुरुआत की गई थी। इस ट्रेन से किसानों के फल, फूल, सब्जी, दूध और दही जैसे समान देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्सों में जल्द पहुँचाए जाते हैं।

छोटे और सीमांत किसानों को उनके कृषि उत्पादों से बेहतर लाभ प्राप्त करने में यह रेल मददगार साबित हो रही है। इस रेल के माध्यम से परिवहन लागत में काफी कमी आ जाती है साथ ही अपव्यय, सुरक्षित और त्वरित वितरण में भी मदद मिलती है। इससे किसानों की आजीविका बदल रही है और वे समृद्ध हो रहे हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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आलू की फसल में हो रहा है थ्रिप्स का प्रकोप, जानें बचाव की विधि

How to prevent potato crop from thrips
  • थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते है, यह पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।
  • यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं और इनके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरे रंग की हो जाती हैं।
  • इसके कारण प्रभावित आलू के पौधे की पत्तियां सूखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं या फिर विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर कर्ल (मुड़ जाना) हो जाती हैं।
  • थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदल-बदल करके ही उपयोग करना आवश्यक होता है।
  • प्रबंधन: थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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गन्ना किसानों को सरकार की तरफ से मिलेगी 3500 करोड़ की सहायता राशि

Sugarcane farmers will get 3500 crore from the government

गन्ना किसानों और चीनी मिल मालिकों के बीच अक्सर भुगतान को लेकर शिकायतों का दौर चलता है। चीनी मिल मालिक भुगतान में बहुत ज्यादा विलम्ब करते है और कभी कभी तो भुगतान का इंतजार बहुत ज्यादा लंबा हो जाता है।

इन्हीं समस्याओं के निदान हेतु गन्ना किसानों को सरकार की तरफ से राहत देने का फैसला लिया गया है। सरकार ने शुगर एक्सपोर्ट पर 3500 करोड़ की सब्सिडी का ऐलान किया है। इस सहायता राशि को चीनी मिलों की ओर से बकाये के भुगतान के तौर पर सीधे किसानों के खातों में जमा किया जाएगा।

स्रोत: किसान समाधान

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में और बढ़ने वाली है सर्दी

Weather Forecast

मध्य भारत समेत आस पास के अन्य क्षेत्रों में हवाओं का रुख बदलने वाला है जिस वजह से मध्य प्रदेश के उत्तरी भागों में ठंड का प्रकोप बढ़ने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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गोभी की फसल में डाउनी मिल्ड्यू को कैसे करें नियंत्रित?

Symptoms and How to control Downy Mildew in Cauliflower
  • गोभी के तने पर भूरे धब्बे दिखाई देते हैं जिन पर सफेद फफूंदी मृदुरोमिल होती है।
  • पत्तियों की निचली सतह पर बैगनी भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। 
  • इस रोग के प्रभाव से फूलगोभी का शीर्ष संक्रमित होकर सड़ जाता है।
  • उचित जल प्रबंधन करें ताकि मिट्टी की सतह पर अतिरिक्त नमी न रहे।
  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालैक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% WP @ 600 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें
  • एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23% SC @ 200 मिली/एकड़ या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें  
  • फसल चक्र अपनाएं एवं खेत में साफ़ सफाई बनाये रखें।
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गेहूँ की बुआई के 40-45 दिनों में छिड़काव करने से मिलेंगे कई लाभ

Benefits of spray in wheat crop in 40-45 days of sowing
  • गेहूँ की 40-45 दिनों की अवस्था दरअसल फसल वृद्धि की बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है।
  • इस समय कवक जनित एवं कीट जनित रोगों से भी फसल की सुरक्षा की जाने की जरुरत होती है।
  • कीट नियंत्रण के लिए: इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 60 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कवक रोगों के लिए: हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • वृद्धि विकास के लिए: होमोब्रेसीनोलाइड 0.04% @ 100 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड @ 300 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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किसान पशुधन बीमा से अब पशुधन हानि पर पाएं मुआवजा

Now get compensation on livestock loss with Farmers Livestock Insurance

पशुपालन करने वाले किसान अक्सर पशुधन की हानि को लेकर चिंतित रहते हैं। पर अब पशुधन बीमा योजना के माध्यम से पशुधन हानि की भरपाई संभव हो गई है। इस योजना को मध्य प्रदेश के सभी जिलों में लागू कर दिया गया है।

इस योजना के अंतर्गत एक हितग्राही अधिक से अधिक 5 पशुओं का बीमा करवा सकता है। इस योजना में भेड़, बकरी, सूअर आदि में 10 पशुओं की संख्या को एक पशु इकाई माना जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि भेड़, बकरी एवं सूअर पालक एक बार में 50 पशुओं का बीमा करवा सकते हैं।

स्रोत: कृषक जगत

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