- किसान अपने खेत पर इकट्ठा किये गए गोबर को डीकम्पोजर की सहायता से आसानी से उपयोगी खाद में बदल सकते हैं।
- 4 किलो डीकम्पोजर कल्चर 2-3 टन गोबर के लिए उपयुक्त रहता है।
- इसके लिए गोबर के ढेर को सबसे पहले अच्छे से पानी से गीला कर लें।
- इसके बाद डीकम्पोजर कल्चर को अच्छे से 200 लीटर पानी में मिलाएं एवं तैयार किये गए इस पूरे मिश्रण का गोबर के ढेर पर छिड़काव करें।
- छिड़काव करते समय अगर संभव हो तो गोबर के ढेर को पलटते रहें। ऐसा करने से डीकम्पोजर कल्चर अच्छी तरह से गोबर में मिल जाएगा।
- इस प्रकार गोबर के ढेर में नमी की मात्रा अच्छे से बनाकर रखें। इससे गोबर बहुत जल्द खाद में परिवर्तित हो जाता है।
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लाल:
- लाल चंदन पाउडर को पानी में मिला कर लाल रंग बनाएं।
- अनार के छिलकों को पानी में उबालकर भी लाल रंग बनाया जा सकता है।
हरा:
- सूखे मेहंदी पाउडर को आप सूखे हरे रंग की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
- पालक, धनिया और पुदीने की पत्तियों का पेस्ट पानी में घोल कर गीला हरा रंग बनाएं।
नारंगी:
- पलाश के फूलों को रात भर पानी में भिगोकर नारंगी रंग बनाएं।
- हरसिंगार के फूलों को पानी में भिगोकर नारंगी रंग बनाया जा सकता है।
पीला:
- 50 गेंदे के फूलों को दो लीटर पानी में मिलाकर उबालें व रात भर भीगने दें। इससे पीला रंग तैयार होगा।
- 1 चम्मच हल्दी को 2 लीटर पानी में डालकर अच्छे से मिलाएं और गाढ़ा पीला रंग बनाएं।
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इस तारीख तक जरूर करवा लें रजिस्ट्रेशन, जल्द आएगी 2000 रुपये की क़िस्त
जिन किसानों ने अभी तक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है उनके पास अभी भी सात दिन का समय है। इस योजना के अंतर्गत आगामी 31 मार्च तक रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चालू है अतः जो भी किसान इस योजना के पात्र हो सकते हैं वे रजिस्ट्रेशन करवा के 2000 रुपये प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप 31 मार्च तक आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं और आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है तो आने वाली 2000 रुपये की किस्त आपको अप्रैल महीने में मिल जायेगी।
बता दें की अब तक इस योजना के अंतर्गत केन्द्र सरकार ने किसानों के खातों में 7 किस्तें भेजी हैं और जल्द ही आठवीं क़िस्त भी किसानों के खातों में पहुँचने वाली है।
स्रोत: ज़ी न्यूज़
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मध्य प्रदेश के इन इलाकों में हो सकती है हल्की बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य प्रदेश के पूर्वी जिले के साथ साथ विदर्भ एवं मराठवाड़ा में हल्की बारिश होने की सम्भवना जताई जा रही है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में भी हलकी बारिश देखने को मिल सकती है। इन सभी इलाकों में आने वाले दो दिनों में हलकी भारिश होते रहने की संभावना है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
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मध्य प्रदेश के मंडियों में 22 मार्च को क्या रहे फसलों के भाव
| मंडी | फसल | न्यूनतम | अधिकतम |
| खरगोन | कपास | 4900 | 6600 |
| खरगोन | गेहूं | 1620 | 1880 |
| खरगोन | चना | 4461 | 4830 |
| खरगोन | मक्का | 1150 | 1389 |
| खरगोन | सोयाबीन | 5435 | 5480 |
| खरगोन | डॉलर चना | 7350 | 7940 |
| खरगोन | तुवर | 5022 | 6270 |
| हरसूद | सोयाबीन | 4600 | 5400 |
| हरसूद | तुवर | 4501 | 6070 |
| हरसूद | गेहूं | 1600 | 1814 |
| हरसूद | चना | 4451 | 4750 |
| हरसूद | मक्का | 1291 | 1299 |
| हरसूद | सरसो | 4000 | 4676 |
| हरसूद | मूंग | 5000 | 5000 |
| मंदसौर | धनिया | 5400 | 6840 |
| मंदसौर | चना | 4200 | 4741 |
| मंदसौर | अलसी | 5800 | 6400 |
| मंदसौर | मेथी | 5400 | 5900 |
| मंदसौर | सोयाबीन | 4800 | 5661 |
| रतलाम_(नामली मंडी) | गेहूं लोकवन | 1640 | 1951 |
| रतलाम_(नामली मंडी) | इटालियन चना | 4700 | 4951 |
| रतलाम_(नामली मंडी) | डॉलर चना | 8704 | 8704 |
| रतलाम_(नामली मंडी) | मेथी | 5657 | 6500 |
| रतलाम_(नामली मंडी) | सोयाबीन | 5000 | 5501 |
| रतलाम | गेहूं शरबती | 2490 | 5001 |
| रतलाम | गेहूं लोकवन | 1695 | 2310 |
| रतलाम | विशाल चना | 4351 | 4870 |
| रतलाम | इटालियन चना | 4351 | 5360 |
| रतलाम | डॉलर चना | 6400 | 8070 |
| रतलाम | यलो सोयाबीन | 5000 | 5715 |
| रतलाम | मटर | 4200 | 6001 |
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तरबूज की 25-30 दिन की फसल अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबधन
- तरबूज की फसल में 25 से 30 दिनों की अवस्था दरअसल फूल आने की अवस्था होती है।
- इस अवस्था में स्वस्थ फूल बने, फूलों का विकास अच्छा हो एवं समय से पहले फूल ना गिरे नहीं इसके लिए इस अवस्था में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- इसके लिए 10:26:26 @ 100 किलो/एकड़ + MOP @ 25 किलो/एकड़ + बोरान @ 800 ग्राम/एकड़ + कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
- इस प्रकार पोषण प्रबंधन करने से तरबूज़ की फसल में NPK, बोरान, पोटाश एवं कैल्शियम नाइट्रेट की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में आगामी एक-दो दिनों में होगी बारिश, जाने मौसम पूर्वानुमान
मध्य भारत में पिछले कई दिनों से प्री-मानसून बारिश हो रही है और इस समय की जो बारिश है वो फसलों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। बारिश के साथ ही तेज हवाएँ चल रही है और ओले गिरने की भी खबर आ रही है। उम्मीद है कि दक्षिणी मध्य प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के ज्यादा तर इलाकों में अगले एक-दो दिनों तक बारिश की गतिविधियाँ जारी रहेगी।
स्रोत : स्काईमेट वेदर
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टमाटर की फसल का मकड़ी के प्रकोप से ऐसे करें बचाव
- यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं और टमाटर की फसल के कोमल भागों जैसे पत्तियां, फूल, कलियों एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
- इसके प्रकोप के कारण पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
- जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में पौधा मर जाता है।
- प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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गेहूँ की कटाई के बाद फसल अवशेष पर ऐसे करें डीकम्पोजर का उपयोग
- गेहूँ की कटाई के बाद उसके फसल अवशेष बहुत अधिक मात्रा में खेत में रह जाते हैं।
- इन अवशेषों के कारण अगली लगाई जाने वाली फसल में इन अवशेषों के कारण कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होता है।
- कवक एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप नई फसल में ना हो इसके लिए गेहूँ की कटाई के बाद खाली खेत में या फिर फसल की बुआई के बाद दोनों ही स्थिति में डीकम्पोजर का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है।
- इसके लिए यदि किसान तरल द्रव्य का उपयोग करना चाहते हैं तो 1 लीटर/एकड़ की दर से डीकम्पोजर का उपयोग छिड़काव के रूप में कर सकते हैं।
- इसके अलावा ग्रामोफोन किसानों को स्पीड कपोस्ट के नाम से डीकम्पोजर उपलब्ध करवा रहा है जिसको 4 किलो/एकड़ में 10 किलो यूरिया के साथ मिलाकर, खेत की 50-100 किलो मिट्टी में मिलाकर खेत में भुरकाव करें।
- जब डीकम्पोजर का उपयोग किया जा रहा हो तो इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।
कद्दू वर्गीय फसलों को स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस के उपयोग से मिलते हैं कई लाभ
- स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस एक जैविक कवकनाशी एवं जीवाणु नाशी की तरह कार्य करता है।
- यह कद्दू वर्गीय फसलों को कवक जनित, जीवाणु जनित, मिट्टी जनित एवं बीज़ जनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- बदलते मौसम के कारण फसलों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों से यह फसल की रक्षा करता है।
- यह कद्दू वर्गीय फसलों में गमी स्टेम ब्लाइट रोग को नियंत्रित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- कद्दूवर्गीय फसलों में अच्छे जड़ विकास, फल विकास, फूल विकास अड्डी में भी यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस कद्दूवर्गीय फसलों को प्रभावित करने वाले रोग जैसे आर्द्र गलन, जड़ गलन, उकठा, तना गलन, फल सड़न, तना झुलसा आदि की रोकथाम में भी सहायक होता है।
