मौसम में आये अचानक परिवर्तन के कारण कहीं-कहीं बहुत अधिक बारिश हुई है।
इसके कारण तरबूज की फसल में कवक रोगों के प्रकोप की सम्भावना बहुत बढ़ गई है।
इसके अलावा तरबूज की फसल में इस समय अल्टेरनेरिया ब्लाइट, गमी स्टेम ब्लाइट, उकठा रोग आदि हो सकते है। इसके नियंत्रण के लिए इन रोगो पर प्रभावी उत्पादों का उपयोग अवश्य करें।
इन उत्पादों के उपयोग से तरबूज़ की फसल में होने वाले रोगों से फसल को बचाया जा सकता है।
अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा: इस रोग के निवारण के लिए कार्बेडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
गमी स्टेम ब्लाइट/उकठा रोग: कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।
रबी फसलों की कटाई का काम अब खत्म हो रहा है और ज्यादातर किसान अपनी उपज की बिक्री की तैयारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के किसानों के लिए खुशखबरी आई है। प्रदेश में चना, मसूर और सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीदी आगामी 27 मार्च से शुरू होने जा रही है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में रबी विपणन वर्ष 2021-22 के तहत एमएसपी पर चना, मसूर एवं सरसों की खरीदी की तिथि पहले 22 मार्च निश्चित की गई थी। पर अचानक हुई बारिश को देखते हुए राज्य के कृषि विभाग ने इस तिथि को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है और अब यह प्रक्रिया 27 मार्च से शुरू होने जा रही है।
स्रोत: कृषक जगत
कृषि सलाहों और कृषि क्षेत्र से सम्बंधित हर जानकारी के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख पढ़ते रहें और अपनी फसल की सही बिक्री के लिए ग्राम व्यापार पर स्वयं खरीदारों के करें संपर्क।
मध्य भारत में पिछले कई दिनों से मौसम की गतिविधियां देखने को मिल रही थी और बारिश के साथ साथ तेज हवाएं भी चल रही थी। इसके साथ ही कई इलाकों में ओलावृष्टि भी देखने को मिली थी। हालाँकि अब मध्य भारत में धीरे धीरे तापमान बढ़ने की संभावना है जिससे मौसम पूरी तरह से साफ हो जाएगा। इसके साथ धूप भी तेज रहेगी और इन इलाकों में अगले एक हफ्ते तक मौसम की गतिविधियां देखने को नहीं मिलेगी।
स्रोत : स्काईमेट वीडियो
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गर्मियों के मौसम में कद्दू वर्गीय फसलें बहुत मात्रा में लगायी जाती है।
गर्मियों में लगने के कारण सूर्य के तेज प्रकाश के कारण इन फसलों के फल में सन स्ट्रेचिंग हो जाती है।
इसके कारण फसल की गुणवत्ता बहुत प्रभावित होती है।
किसानों ने इस समस्या से बचने के लिए लगाई गई फसल के फल को घास से ढककर रखें।
इसके अलावा फसल में नियमित सिंचाई करते रहना चाहिए।
नियमित सिंचाई करने से मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है।
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ग्रामोफ़ोन एप की मदद से स्मार्ट खेती करने वाले किसानों के लिए ग्रामोफ़ोन एक और सौगात लेकर आया है जिसकी मदद से किसान घर बैठे मनपसंद खरीददार को सही रेट पर अपनी उपज बेच पाएंगे। इस सौगात का नाम है ‘ग्राम व्यापार’ जो ग्रामोफ़ोन एप पर एक नए फीचर के रूप में किसान भाइयों के लिए लाया गया है। इस नए फीचर को अपने एप पर पाने के लिए आपको अपना ग्रामोफ़ोन एप प्लेस्टोर पर जाकर अपडेट करना होगा।
लॉगिन के समय चुनें एप मोड
अपडेट करने के बाद जब आप एप खोलेंगे और लॉगिन करेंगे तब आपको चुनना होगा कि आप किसान हैं या फिर व्यापारी। जब आप “मैं किसान हूँ” चुनेंगे तब एप का मुख्य स्क्रीन खुल जाएगा।
मुख्य स्क्रीन से व्यापार स्क्रीन
मुख्य स्क्रीन के निचले हिस्से के केंद्र में मौजूद गोल बटन से आप व्यापार विकल्प में चले जाएंगे। व्यापार विकल्प पर आपको खरीददार और विक्रेता की सूची नजर आएगी।
ऐसे बनाएं फसल बिक्री सूची
व्यापार स्क्रीन के दाहिने-निचले हिस्से में बने + के चिन्ह पर क्लिक कर आप अपनी फसल की बिक्री सूची तैयार कर सकते हैं। इसके लिए आपको बेची जाने वाली सामग्री का नाम, मात्रा, भाव, बेचने की तारीखें व गुणवत्ता सम्बन्धी जानकारी दर्ज करनी होगी और आखिर में इसे प्रकाशित करना होगा। ऐसा करने से आपकी फसल की बिक्री सूची सफलतापूर्वक दर्ज हो जायेगी।
ढूंढें भरोसेमंद खरीददार
इसके साथ ही आप चाहें तो खरीददारों की सूची में जाकर खुद ही अपनी फसल के लिए सही और भरोसेमंद खरीददार ढूंढ सकते हैं। यहाँ आपको खरीददार द्वारा इच्छित फसल और उसकी गुणवत्ता संबंधी जानकारी के साथ फसल के भाव की भी जानकारी मिल जायेगी। खरीददार के संपर्क सूत्र यानी फोन नंबर पर आप स्वयं उनसे बात कर सकते हैं और अपनी फसल का सौदा तय कर सकते हैं।
तो कुछ इस प्रकार आप घर बैठे अपनी फसल का सौदा तय कर सकते हैं और अच्छा भाव प्राप्त कर सकते हैं। तो देर किस बात की, इस बार रबी फसलों की बिक्री ग्राम व्यापार से ही करें। ज्यादा जानकारी के लिए मिस्ड कॉल करें 1800-315-7470
इसके प्रकोप से पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती हैं। यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनाने के कारण होता है।
इससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
ग्रसित पौधों की फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
इसके नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
अपनी हर फसल के खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।
पिछले 24 घंटों से मध्य प्रदेश के साथ साथ विदर्भ, मराठवाड़ा में बारिश की गतिविधियाँ जारी हैं। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में भी हल्की बारिश हुई है। आज भी इन इलाकों में बारिश की गतिविधियाँ जारी रहने की संभावना है। हालांकि धीरे धीरे मौसम की ये गतिविधियाँ काफी कम हो जाएंगी और छुटपुट बारिश की गतिविधियाँ मध्य प्रदेश के साथ विदर्भ, मराठवाड़ा और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में देखने को मिलेगी। इसके साथ ही इन इलाकों में तापमान कल से बढ़ने लगेगा।
स्रोत : स्काईमेट वीडियो
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यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं जो गिलकी की फसल के कोमल अंगों जैसे पत्तियां, फूल, कलियों एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
इसके प्रकोप के कारण पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। ये पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में पौधा मर जाता है।
इसके नियंत्रण हेतु प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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