मध्य प्रदेश समेत मध्य भारत के कई क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश की गतिविधियां आज से थम जायेगी। दरअसल आज से वेदर सिस्टम उत्तर एवं मध्य भारत से आगे बढ़ते हुए अब उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में पहुंचेगा और बारिश का दौर भी मध्य और उत्तरी भारत से खत्म हो जाएगा।
तरबूज की खेती आजकल कई किसान करते हैं और इससे अच्छा लाभ भी उन्हें मिलता है। पर क्या आप जानते हैं की तरबूज की खेती की वजह से इतिहास में एक बार दो रियासतों के बीच युद्ध छिड़ गई थी? जी हाँ ये वाक्या दरअसल राजस्थान में सन 1644 ईस्वी में पेश आया था जब तरबूज की फसल के लिए बीकानेर और नागौर रियासतों के बीच युद्ध छिड़ गई और इसमें हजारों सैनिकों की जान भी चली गई थी।
बीकानेर और नागौर रियासत की सीमा पर उगे तरबूज की फसल के लिए दो खेत मालिकों के बीच हुई कहासुनी इस युद्ध के शुरुआत का कारण बनी। दरअसल बीकानेर रियासत के आखिरी गांव में तरबूज की फसल लगाई गई। इस तरबूज की बेल फैलते-फैलते दूसरी रियासत के गांव में चली गई। जब तरबूज के फल उगने लगे तब इसी फल पर दावेदारी के लिए यह युद्ध हुई। इस युद्ध में जीत बीकानेर रियासत की हुई और नागौर के सैनिक बुरी तरह हार गए थे।
पिछले 24 घंटे से मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में बारिश की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। यह गतिविधियां आज और कल भी जारी रह सकती हैं। कल के बाद से ये गतिविधियां थम जाएंगी। इसके साथ ही सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक हल्की बारिश जारी रह सकती है। विदर्भ सहित केरल और दक्षिणी तमिलनाडु में भी छिटपुट बारिश के आसार बन रहे हैं।
केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की बैठक में देश के अलग अलग राज्यों द्वारा एमएसपी पर गेहूँ खरीदने हेतु लक्ष्य तय किये गये। इस बैठक में मध्य प्रदेश को 135 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। बता दें कि यह लक्ष्य देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है।
मध्य प्रदेश के बाद पंजाब को 130 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। अन्य राज्यों में हरियाणा को 80 लाख टन, उत्तर प्रदेश को 55 लाख टन, राजस्थान को 22 लाख टन, उत्तराखंड को 2.20 लाख टन, गुजरात को 1.5 लाख टन और बिहार को 1 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है।
गेहूँ की फसल में लगने वाला यह रोग दरअसल एक बीज़ जनित रोग है और यह अस्टीलैगो सेजेटम नामक एक कवक की वजह से होता है।
इस रोग से संक्रमित बीज ऊपर से देखने में बिल्कुल स्वस्थ बीजों की तरह ही दिखाई देते हैं।
इस रोग के लक्षण बाली आने पर ही दिखाई देते हैं। रोगी पौधों की बालियों में दानों की जगह रोग जनक के रोगकंड (स्पोर्स) काले पाउडर के रूप में नजर आते हैं जो हवा से उड़कर अन्य स्वस्थ बालियों में बन रहे बीजों को भी संक्रमित कर देते हैं।
इस रोग के नियंत्रण का सबसे अच्छा उपाय बीज़ उपचार ही है।
इसके आलावा इस रोग के नियंत्रण के लिए कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 600 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
कम्बाइन हार्वेस्टर, ट्रेक्टर, पॉवर टिलर व अन्य कृषि यंत्रों के दाम बहुत ज्यादा होते हैं और इन यंत्रों पर टैक्स भी काफी लगता है जिस कारण बहुत सारे किसान इसका उपयोग करने में असमर्थ रहते हैं। किसानों की इस समस्या को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है।
दरअसल मध्यप्रदेश सरकार कृषि यंत्रों पर लिए जाने वाले भारी भरकम टैक्स को कम करने का निर्णय लिया है। इस मसले पर हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया की कृषि यंत्रों पर लिए जाने वाले टैक्स को अब 9% घटा दिया गया है | बता दें की पहले मध्यप्रदेश में कृषि यंत्रों की खरीदी पर किसानों को 10% टैक्स देना पड़ता था पर अब इसे घटा कर महज 1% कर दिया गया है |
खेत की मिट्टी उपजाऊ हो तभी किसान खुशहाल रह सकता है और इसी मिट्टी के स्वास्थ का आकलन कर किसानों को कृषि सहायता पहुँचाने हेतु ग्रामोफ़ोन ने सुपर फसल प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इस प्रोग्राम से सैकड़ों किसानों को लाभ हुआ है। इससे ना सिर्फ अच्छी उपज की प्राप्ति हुई बल्कि खेत की मिट्टी की उर्वरता भी अच्छी हुई।
धार जिले के किसान श्री मुकेश कुशवाहा ने इस प्रोग्राम की मदद से मिट्टी परीक्षण करवाया और मिट्टी में मौजूद कमियों को दूर किया। ऐसा करने से उनकी कृषि लागत में काफी कमी आई और उत्पादन भी अच्छा हुआ। इस साल मौसम की मार के कारण ज्यादातर किसानों की सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई पर मुकेश जी ने ग्रामोफ़ोन के मार्गदर्शन में 10 क्विंटल/एकड़ की अच्छी उपज प्राप्त की। मुकेश जी ने अपनी 3 एकड़ के खेत से कुल 30 क्विंटल उपज की प्राप्ति की।
मुकेश जी की यह कहानी सभी किसान भाइयों के लिए एक प्रेरणादायी है। दूसरे किसान भाई भी मुकेश जी की तरह ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ सकते हैं और अपनी कृषि को बेहतर कर सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप या तो टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन करें।
मध्य प्रदेश के उत्तरी एवं पूर्वी क्षेत्रों में कई जगहों पर बारिश की संभावना बन रही है। इसके अलावा पहाड़ों पर हिमपात आगे भी जारी रहने की संभावना है। मैदानी क्षेत्रों में भी बारिश की गतिविधियां बढ़ने की संभावना है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा बिहार तथा झारखंड में भी बारिश हो सकती है।