मिर्च की इन उन्नत किस्म के बीजों का करें चयन, मिलेगा बंपर उत्पादन

Advanced varieties of chilies and their properties

एडवांटा AK-47: इस किस्म में पौधा आधा सीधा होता है, पहली फल परिपक्वता 60-65 दिनों में होती है, फल का रंग गहरा लाल एवं गहरा हरा होता है, लंबाई 6-8 सेंटीमीटर एवं मोटाई 1.1-1.2 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है, इसके फल को गिला एवं सुखाकर दोनों प्रकार से बेचा जा सकता है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है।

BASF आर्मर: इस किस्म में पौधा आधा सीधा व मजबूत होता है। इसकी पहली फल परिपक्वता 50-55 दिनों में होती है, फल का सतह भाग अर्द्ध झुर्रीदार होते हैं, ताज़े हरे फल की तुड़ाई 8-10 दिनों के अंतराल से होती रहती है एवं फल की मोटाई लंबाई 9X1 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है, यह लाल सुर्ख करके बेची जाती है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है।

दिव्या शक्ति (शक्ति-51): इस किस्म में पौधा मजबूत और अधिक शाखाओं वाला होता है। इस किस्म की पहली फल परिपक्वता 42-50 दिनों में हो जाती है, फल का रंग गहरा हरा होता है, लंबाई 6-8 सेंटीमीटर व मोटाई 0.7-0.8 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन अधिक होता है, यह अत्यधिक गर्म और गहरे लाल रंग की होती है। इसके फल सूखने पर इसे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए 100% प्रतिरोधी होती है।

हु वाज सानिया 03: इस किस्म में पौधा सीधा एवं पहली फल परिपक्वता 50-55 दिनों में हो जाती है। इसके परिपक्व फल लाल एवं अपरिपक्व फल पीले-हरे होते हैं। फल की लम्बाई 15-17 सेंटीमीटर एवं मोटाई 0.3 MM होती है। इस किस्म में तीखापन अधिक होता है और यह किस्म सुखाने के लिए उपयुक्त होती है।

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अब गेहूँ की कटाई होगी आसान, ब्रश कटर से घंटों की कटाई करें मिनटों में

With Neptune Brush Cutter now wheat harvesting will be easier

रबी मौसम की मुख्य फसल गेहूँ की कटाई का समय आ गया है। आम तौर पर ज्यादातर किसान पारम्परिक तरीके से गेहूँ की कटाई करते हैं। इसमें बहुत अधिक मेहनत लगती है साथ ही काफी समय भी लगता है। अपनी मेहनत और समय को बचाने के लिए आप इस बार गेहूँ की कटाई के लिए नेपच्यून ब्रश कटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस ब्रश कटर की मदद से आप आसानी से और कम समय में गेहूँ की कटाई कर पाएंगे। यह ब्रश कटर 4 स्ट्रोक एवं 2 स्ट्रोक के इंजन विकल्प में ग्रामोफ़ोन पर उपलब्ध है। इसमें अलग अलग प्रकार के कटिंग ब्लेड भी उपलब्ध है जिससे आप गेहूँ के अलावा अन्य फसलों व खेतों के अनचाहे घास, खरपतवार व झाड़ियों की भी सफाई आसानी से कर सकते हैं।

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क्या होती गोबर और गोमूत्र की मदद से की जाने वाली जीरो बजट खेती?

zero budget farming
  • जीरो बजट खेती एक प्रकार से प्राकृतिक खेती होती है।

  • यह खेती देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र पर निर्भर होती है।

  • इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है।

  • इसमें रासायनिक खाद के स्थान पर किसान गोबर से तैयार की हुई खाद बनाते हैं।

  • देसी प्रजाति के गाय के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत तथा घनजीवामृत बनाया जाता है।

  • इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है।

  • जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है।

  • जबकि जीवामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में कि जा सकता है।

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बेल वाली फसलों के लिए कई प्रकार के फायदे पहुंचाता है छाया घर

What is the importance of shade house for bailed crops
  • छाया घर एक जालों एवं अन्य बुनी हुई सामग्री से बना हुआ ऐसा ढांचा होता है जिसमें खुली जगहों से आवश्यक धूप, नमी व वायु का प्रवेश होता है।

  • यह पौधे के विकास के लिए सहायक तथा उचित सूक्ष्म वातावरण बनाता है।

  • यह बेलबूटेदार, सब्ज़ियों एवं पौधों की खेती में मदद करता है।

  • कीट प्रकोप के विरुद्ध सुरक्षा के लिये भी इसका उपयोग किया जाता है।

  • आंधी, वर्षा, ओले व पाले जैसे मौसम के प्राकृतिक प्रकोपों के विरुद्ध भी यह सुरक्षा प्रदान करता है।

  • गर्मियों के दिनों में पौधों की मृत्यु दर कम करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।

  • टिशू कल्चर के पौधों की मज़बूती के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।

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किसानों को इंडियन ऑयल कंपनी देगी डीजल की खरीदी पर छूट

Indian Oil Company will give a discount on the purchase of diesel to farmers

सरकार की प्रसिद्ध तेल कंपनी इंडियन ऑयल किसानों के लिए एक ख़ास कार्ड जारी किया है जिसकी मदद से डीज़ल की खरीदी करते समय किसानों को छूट मिलती है। इस कार्ड का नाम एक्स्ट्रापावर रूरल कार्ड (XTRAPOWER Rural Card) है।

एक्स्ट्रापावर रूरल कार्ड की मदद से पंप सेट, डीजी सेट, मछली पालन, सिंचाई जैसी प्रक्रियाओं के लिए डीज़ल खरीदी के समय कुछ छूट दी जाती है। यह कार्ड प्राप्त करने के लिए आपको एक पहचान पत्र एवं संपर्क सूत्र संबंधी जानकारी देनी पड़ती है।

इस कार्ड के माध्यम से छूट एक लॉयल्टी प्रोग्राम के माध्यम से दी जाती है। कार्डधारक को 100 रुपए की डीज़ल खरीदी पर 30 प्वॉइंट्स मिलते हैं और ये 30 प्वॉइंट्स 30 पैसे के बराबर होते हैं। जब कार्ड धारक के पास 10 हजार प्वॉइंट्स हो जाएंगे, तब इसका उपयोग किया जा सकता हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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मल्चिंग का ऐसे करें उपयोग, फसलों को मिलेंगे कई लाभ

mulching benefits

खेत में लगायी गयी फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पौधे के चारो और घास या फिर प्लास्टिक की एक परत बिछाई जाती है इसी को मल्चिंग कहा जाता है।

मल्चिंग दो प्रकार की होती है

प्लास्टिक मल्चिंग विधि: जब खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक शीट द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है, तो इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है। इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है और फसल उत्पादन भी बढ़ता है। बता दें कि यह शीट कई प्रकार और कई रंग में उपलब्ध होती है।

घास मल्चिंग विधि: इस विधि में खेत से निकले बीज़ रहित घास को पौधो के चारों तरफ बिछा दिया जाता है जिससे तेज़ रौशनी एवं कम पानी में भी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

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बायोगैस के हैं कई फायदे, जानें कहाँ कहाँ कर सकते हैं उपयोग?

There are many benefits of biogas
  • बायोगैस सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की तरह ही एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।

  • यह गैस का वह मिश्रण है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है।

  • इसका मुख्य घटक हाइड्रोकार्बन है, जो ज्वलनशील है और जिसे जलाने पर ताप और ऊर्जा मिलती है।

  • बायोगैस का उत्पादन एक जैव-रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है, जिसके तहत कुछ विशेष प्रकार के बैक्टीरिया जैविक कचरे को उपयोगी बायोगैस में बदलते हैं।

  • इस उपयोगी गैस का उत्पादन जैविक प्रक्रिया (बायोलॉजिकल प्रोसेस) द्वारा होता है, इसलिए इसे जैविक गैस (बायोगैस) कहते हैं। मिथेन गैस बायोगैस का मुख्य घटक है।

  • बायोगैस ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है, जिसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है।

  • इसका इस्तेमाल घरेलू तथा कृषि कार्यों के लिए भी किया जा सकता है।

  • बायोगैस संयंत्र से प्राप्त गैस का उपयोग भोजन पकाने व रौशनी करने के लिए किया जाता है।

  • बायोगैस से द्वि ईंधन इंजन चलाकर 100 प्रतिशत तक पेट्रोल एवं 80 प्रतिशत तक डीजल की बचत भी की जा सकती है।

  • इस तरह के इंजनों का उपयोग बिजली उत्पादन एवं कुएँ से पानी पंप करने में किया जाता है।

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मिट्टी परीक्षण में ऑर्गेनिक कार्बन का क्या है महत्व?

Importance of Organic Carbon for soil
  • ऑर्गेनिक कार्बन मिट्टी में ह्यूमस के निर्माण में सहायता करता है। इससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है और उर्वरता को बनाए रखता है।

  • मिट्टी में इसकी अधिकता होने से मिट्टी की भौतिक और रासायनिक गुणवत्ता बढ़ जाती है। मिट्टी की भौतिक गुणवत्ता जैसे मिट्टी की संरचना, जल धारण क्षमता, आदि को कार्बनिक कार्बन द्वारा बढ़ाया जाता है।

  • इसके अतिरिक्त पोषक तत्वों की उपलब्धता, स्थानांतरण एवं रूपांतरण और सूक्ष्मजीवी पदार्थों व जीवों की वृद्धि के लिए भी जैविक कार्बन बहुत उपयोगी होता है।

  • यह पोषक तत्वों की लिंचिंग (भूमि में नीचे जाना) को भी रोकता है।

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में बढ़ेगा तापमान और चलेंगी गर्म हवाएं

Weather Update Hot

पिछले 24 घंटों के दौरान मध्य भारत के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के ज्यादातर इलाके शुष्क ही बने रहें। आने वाले दिनों में भी इन इलाकों में मौसम की गतिविधियां देखने को नहीं मिलेगी। गुजरात में अब भीषण गर्मी का प्रकोप शुरू हो जाएगा। मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, खंडवा, खरगोन, बैतूल, होशंगाबाद जैसे इलाकों में अगले 1-2 दिनों में हीट वेव आने की संभावना है।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

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मध्य प्रदेश में अब आग से हुई फसल-क्षति की भरपाई करेगी सरकार

Government will now compensate for crop damage caused by fire in Madhya Pradesh

किसानों को कई बार आगजनी के कारण भी अपनी फसलों का नुकसान झेलना पड़ता है। इसी नुकसान की भरपाई के लिए अब मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। मध्यप्रदेश सरकार के किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने इस बाबत कहा कि “सरकार आग से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के रूप में किसानों को आरबीसी-6 (4) में राहत राशि उपलब्ध करायेगी।”

मंत्री कमल पटेल ने पिछले दिनों प्रदेश के कुछ जिले में आग से हुए फसलों के नुकसान का सर्वे करवाने के निर्देश दिए थे। मंत्री कमल पटेल ने ये बातें ग्राम उंदराखेड़ी में आयोजित किये गए एक कार्यक्रम में कही।

स्रोत: युएनआई वार्ता

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