अगले हफ्ते किस फसल के भाव में है तेजी की संभावना, जानें मंडी विशेषज्ञ की राय

Which crops can get a price rise next week

वीडियो के माध्यम से जानें अगले हफ्ते किस फसल के भाव में आ सकती है तेजी।

वीडियो स्रोत: मार्केट टाइम्स टीवी

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सोयाबीन की बुआई करने के बाद कवक रोगों से बचाव के ये उपाय जरूर करें

What measures to take to avoid fungal diseases after sowing soybean crop
  • वर्तमान समय में किसानों को सोयाबीन की फसल से बहुत अधिक लाभ नहीं मिल पाता है इसके पीछे बहुत से कारण है। इसका एक मुख्य कारण सोयाबीन की फसल में होने वाले कवक रोग हैं जिसके कारण फसल बहुत अधिक प्रभावित होती है।

  • सोयाबीन फसल में लगने वाले कवक रोगों में पौध सडन रोग, झुलसा रोग, पत्ती धब्बा रोग आदि प्रमुख हैं जिसके कारण बहुत ज्यादा नुकसान होता है।

  • इनके नियंत्रण के लिए रोग प्रबधन करना बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए रोग रोधी किस्मों का चयन करें एवं बुआई के पूर्व, बीज़ एवं मिट्टी उपचार जरूर कर लें। साथ ही फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत छिड़काव करें।

  • सोयाबीन की फसल में पानी बहुत देर तक एवं अधिक मात्रा में रुकने ना दें, क्योंकि जितनी अधिक मात्रा में पानी जमा होगा, पौधे पर प्रभाव एवं फसल में कवक जनित रोगों का प्रकोप उतना ही ज्यादा होगा।

  • कवक रोगों के नियंत्रण के लिए हमेशा एक ही तरह के कवकनाशी का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि एक ही कवकनाशी का बार बार उपयोग करने से रोग की उस कवकनाशी के प्रति प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण रोग का नियंत्रण नहीं हो पाता है।

  • सोयाबीन को निश्चित दूरी पर बोयें, अधिक घना ना बोयें क्योंकि इससे भी कवक के आक्रमण की सम्भावना रहती है। खरपतवार का नियंत्रण करें क्योंकि कवक जनित रोगों को फैलाने में यह भी सहायक होते हैं।

स्मार्ट कृषि एवं उन्नत कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों व यंत्रों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

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लहसुन के भाव में देखने को मिल सकती है अस्थिरता, जानें इसकी वजह

garlic mandi rate

भारत में लहसुन के भाव आने वाले दिनों में अस्थिरता की स्थिति देखने को मिल सकती है। मंडी विशेषज्ञ से वीडियो के माध्यम से जानें इसके पीछे की क्या है वजह?

वीडियो स्रोत: मार्केट टाइम्स टीवी

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कद्दू वर्गीय फसलों की मचान बना कर करें खेती, मिलेंगे कई लाभ

Benefits of cultivating by making machan in cucurbitaceous crops
  • मचान विधि क्या है: इस विधि में तार का जाल बनाकर कद्दू वर्गीय फसलों की बेल को जमीन से ऊपर रखा जाता है। इससे बेल वाली सब्जियों को आसानी से उगा सकते हैं। इसके साथ ही फसल को कई प्रकार के रोगों से बचाया जा सकता है। इससे फसल का ज्यादा उत्पादन प्राप्त होता है।

  • गर्मी के मौसम में खीरा, तोरई, करेला, लौकी समेत कई अन्य सब्जियों की खेती की जाती है लेकिन बारिश होने के कारण यह फसलें गलने लगती हैं। अगेती किस्म की बेल वाली सब्जियों को मचान विधि से लगाकर किसान अच्छी उपज पा सकते हैं।

  • सबसे पहले इनकी नर्सरी तैयार की जाती है। फिर मुख्य खेत में जड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए रोपण किया जाता है। मचान बनाने के लिए, बांस या तार की मदद से जाल बनाकर सब्जियों की बेल को ऊपर पहुंचाया जाता है। बरसात के मौसम में, मचान की खेती फल को नुकसान से बचाती है। फसल में यदि कोई रोग लगता है तो मचान में दवा छिड़कने में भी आसानी होती है।

  • मचान विधि से खेती करने का लाभ: फसल की बेल खुल कर फैल पाती है, फसल को भरपूर धूप और हवा मिलती है, खरपतवार और घास भी कम निकलती है, मचान को 3 साल तक उपयोग कर सकते हैं, कीट और रोग का खतरा कम हो जाता है क्योंकि इससे फसल भूमि के संपर्क में आने से बच जाती है एवं बीमारियों का प्रकोप बहुत कम होता है। फसल की देखभाल आसानी से हो जाती है और छिड़काव आदि करने में आसानी होती हैं, एक समय में 2 से 3 सब्जियों की खेती कर सकते हैं।

  • मचान विधि किसान की आमदनी को दोगुना करने में सफल साबित हो सकती है। इस विधि के माध्यम से किसान 90 प्रतिशत फसल को खराब होने से बचा सकता है। इसके साथ ही किसानों को खेती में नुकसान भी कम होगा।

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मध्य प्रदेश के इन इलाकों में होती रहेगी मानसून की बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Monsoon

पिछले दो दिनों के दौरान मानसून काफी तेज गति से आगे बढ़ा है जिसके कारण देश के कई इलाके में बारिश जारी है। मध्य प्रदेश व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश विभागों को कवर कर चुका है मानसून। गुजरात को कवर करते हुए दक्षिणी राजस्थान के कुछ और भागों में भी पहुंच गई है मानसून। परंतु अब मानसून की प्रगति में ब्रेक लग सकते हैं दिल्ली, पंजाब, हरियाणा तथा उत्तरी राजस्थान को कुछ और दिन इंतजार करना पड़ेगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पूर्वी उत्तर पूर्वी भारत और भारत के पश्चिमी तट पर भारी वर्षा जारी रहेगी।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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19 जून को मध्य प्रदेश की मंडियों में क्या रहे अलग अलग फसलों के भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

मंडी

फसल

न्यूनतम

अधिकतम

मॉडल

रतलाम _(नामली मंडी)

गेहूँ लोकवन

1596

1760

1610

रतलाम _(नामली मंडी)

इटालियन चना

4100

4500

4344

रतलाम _(नामली मंडी)

डॉलर चना

6699

6699

6699

रतलाम _(नामली मंडी)

यलो सोयाबीन

6000

6700

6250

रतलाम _(सेलाना मंडी)

सोयाबीन

6500

9600

8050

रतलाम _(सेलाना मंडी)

गेहूँ

1586

2126

1856

रतलाम _(सेलाना मंडी)

चना

4027

4851

4439

रतलाम _(सेलाना मंडी)

अलसी

6250

6873

6561

रतलाम _(सेलाना मंडी)

मेधी दाना

6000

6245

6122

रतलाम _(सेलाना मंडी)

मक्का

1500

1500

1500

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इंदौर मंडी में 19 जून को क्या रहे प्याज के भाव?

mandi bhaw of onion

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 19 जून के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

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किसान ऑनलाइन माध्यम से कराएं खरीफ फसलों का बीमा, जानें प्रक्रिया?

Farmers should get insurance of Kharif crops online

बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से अक्सर किसानों की फसल प्रभावित होती है। किसानों को होने वाले इन्हीं नुकसानों से बचाता है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। फिलहाल खरीफ-2021 की फसलों के लिए फसल बीमा आवेदन की प्रक्रिया जारी है।

कैसे करें आवेदन?

इसका आवेदन आप बैंक के माध्यम से और ऑनलाइन भी कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन देने के लिए https://pmfby.gov.in/ लिंक पर जाकर फॉर्म भरें। इसके आवेदन के लिए एक फोटो और पहचान पात्र हेतु पैन कार्ड, ड्रायविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड की जरुरत होती है। इसके अलावा एड्रेस प्रूफ के लिए भी एक दस्तावेज़ जरूरी होता है जिसके लिए किसान को खेती से जुड़े दस्तावेज़ और खसरा नंबर दिखाने होते हैं। फसल की बुआई हुई है इसकी सत्यता हेतु प्रधान, पटवारी या फिर सरपंच का पत्र देना होता है। एक कैंसिल चेक भी देना होता है ताकि क्लेम की राशि खाते में सीधे आए।

स्रोत: कृषि जागरण

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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आखिर कौन से कारक फसल के उत्पादन को प्रभावित करते हैं?

What factors affect crop production?
  • जलवायु: यह फसल प्रारूप को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है। जलवायु ही यह निर्धारित करती है कि कौन-सी फसल किस क्षेत्र में अच्छा उत्पादन प्रदान करेगी। एक क्षेत्र की फसल उत्पादन क्षमता मुख्य रूप से वहां की जलवायविक तथा मिट्टी की दशा पर निर्भर करती है।

  • मिट्टी: मिट्टी भी फसल प्रारूप को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रत्येक मिट्टी में कुछ विशेष गुण होते हैं तथा जो किसी फसल विशेष के उत्पादन हेतु अधिक अनुकूल होते हैं। इसी तरह किसी क्षेत्र की मिट्टी अधिक उपजाऊ तो किसी क्षेत्र की मिट्टी कम उपजाऊ होती है।

  • वर्षा: कम या अधिक वर्षा के कारण भी फसल बहुत प्रभवित होती है क्योंकि कुछ फसलें अधिक वर्षा के कारण कवक रोगों से ग्रसित हो जाती हैं एवं कुछ फसलें कम वर्षा के कारण अच्छे से अंकुरित नहीं हो पाती हैं। दाना भरते समय अगर वर्षा न हो और पानी की कमी हो जाये तो दाना नहीं भरता है और उपज में कमी हो जाती है।

  • तापमान: तापमान पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पौधों के चयापचय की भौतिक प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यदि तापमान कम व अधिक होगा तो फसल की वृद्धि रुक जायेगी।

  • सिंचाई: सिंचाई गैर-भौतिक कारकों में महत्वपूर्ण कारक है। हम सिंचाई द्वारा वर्षा की कमी की भरपाई कर सकते हैं। नहरों का निर्माण कर हम सिंचाई का प्रबंध कर सकते हैं। सिंचाई सुविधा से प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।

  • बीज: बीजों की गुणवत्ता भी फसल प्रारूप को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उच्च पैदावार वाले बीजों को बोने से भारत जैसी कृषि-अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किया जा सकता है। उन्नत बीजों से क्षेत्र-विशेष की उपज को 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

  • उर्वरक: उर्वरक मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि कर खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करने में सहायक होते हैं। जिन क्षेत्रों में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है वहां की कृषि उपज में वृद्धि होती है।

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मानसून ने फिर पकड़ी रफ़्तार, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में होगी बारिश

Remove term: Monsoon Rain Monsoon Rain

मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों के साथ पश्चिमी जिलों की तरफ भी बाद सकता है मानसून और हो सकती है भारी बारिश। उत्तर प्रदेश में भी बारिश की गतिविधियां बढ़ने के साथ-साथ मानसून भी आगे बढ़ने की संभावना है। गुजरात में बारिश की गतिविधियां बढ़ी हैं जिससे मानसून के आगे बढ़ने की राह सुगम हो चली है। दिल्ली पंजाब और हरियाणा सहित राजस्थान को अभी मानसून का थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। पश्चिमी तट पर भारी वर्षा की गतिविधियां जारी रहने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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