लगाएं हाईटेक नर्सरी, सरकार देगी 20 लाख रुपये तक की सब्सिडी
केंद्रीय कृषि मंत्रालय एग्रोफारेस्ट्री योजना के अंतर्गत हाईटेक नर्सरी लगाने हेतु 20 लाख रुपये तक का भारी अनुदान देती है। बता दें की यह योजना साल 2016-17 से चलाई जा रही है।
इस योजना के अंतर्गत इमारती लकड़ी के पौध रोपण प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाता है। इसके तहत शीसम, सागौन, सफेदा, मालाबार, नीम, अरडू, चंदन एवं पॉपलर जैसे वृक्षों के पौधरोपण को शामिल किया गया है।
वर्तमान में यह योजना मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, पंजाब जैसे राज्यों में चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत छोटी-बड़ी व हाईटेक नर्सरी लगाने हेतु सरकारी एजेंसियों को 100% एवं किसानों व निजी एजेंसियों को 50% का अनुदान मिलता है।
स्रोत: कृषक जगत
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मुफ्त में होगा गौ-भैंस वंशीय पशुओं कृत्रिम गर्भाधान, पढ़ें पूरी खबर
पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने व दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने के उद्देश्य से वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम शुरू की थी। इसके अंतर्गत गौ-भैंस वंशीय पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान होता है। इस योजना के दो चरण पूरे हो गए हैं। अब मध्यप्रदेश में 1 अगस्त 2021 से इसके तीसरा चरण भी शुरू हो गया है।
इसके लिए मध्यप्रदेश को 63 करोड़ 43 लाख रूपये की राशि स्वीकृत की गई है। इस राशि में से 26 करोड़ 77 लाख 66 हजार जारी कर भी दी गई है। पशुपालन व डेयरी विकास मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल ने इस बाबत बताया कि “देश के 14 राज्यों के लिये स्वीकृत राशि में से सर्वाधिक राशि मध्यप्रदेश को राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के द्वितीय चरण में 50 हजार गौ-भैंस वंशीय मादा पशुओं में लक्ष्य के विरूद्ध 17 लाख 55 हजार कृत्रिम गर्भाधान के कारण मिली है।”
स्रोत: किसान समाधान
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कद्दू वर्गीय फसलों को फल मक्खी के प्रकोप से ऐसे बचाएं
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फल मक्खी के लार्वा फलों में छेद करके उनके भीतरी भाग को खाते हैं और इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैं।
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मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है और अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेद करके उन्हें हानि पहुचाती है। इन छेदों से, फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है। अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
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इसके प्रबंधन के लिए ग्रसित फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए।
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इन मक्खियों को नियंत्रित करने के लिये कद्दू वर्गीय फसलों की कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिए। पौधे की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी पत्तों के नीचे अंडे देती है।
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गर्मी के दिनों में, गहरी जुताई करके मृदा के अंदर उपस्थित, मक्खी की सुप्त अवस्था (प्यूपा) को नष्ट कर देना चाहिए।
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कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप या फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
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इसके अलावा थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC 80 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG 40 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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अगले 6-7 दिन इंदौर देवास उज्जैन समेत पूरे मध्य प्रदेश होगी भारी बारिश
मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में फिर से बारिश का दौर शुरू हो चुका है। यह बारिश अभी और ज्यादा बढ़ेगी और 22 अगस्त तक पूरे प्रदेश में भारी बारिश करवाएगी। वीडियो के माध्यम से जानें मध्य प्रदेश का मौसम पूर्वानुमान।
स्रोत: मौसम तक
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17 अगस्त को इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज के भाव?
वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 17 अगस्त के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
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खरगोन के व्यापारी को ग्राम व्यापार से मिला फसल व्यापार का बड़ा प्लेटफॉर्म
हमारे देश में फसल का व्यापार करना हमेशा से एक जटिल कार्य रहा है। फसल व्यापारी को फसलों के स्रोत पता करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। गांवों में रहने वाले किसान हों या अलग अलग क्षेत्रों में रहने वाले अन्य विक्रेता हों, इन सबों तक अपनी पहुंच बनाने, फसल की क्वालिटी और भाव बगैरह पर बात करने में और आखिर में सौदा तय करने में काफी समय और मेहनत लगता है। इस कार्य में खर्च भी बहुत ज्यादा हो जाता है। पर ग्रामोफ़ोन एप के ग्राम व्यापार पर व्यापारी ये काम बड़ी आसानी से घर बैठे ही कर रहे हैं। इन्हीं व्यापारियों में से एक हैं खरगोन मध्य प्रदेश के मनोज कुमार गुप्ता जो पिछले 8-9 साल से फसलों का व्यापार कर रहे हैं।
जब ग्रामोफ़ोन पर ग्राम व्यापार की शुरुआत की गई तब से ही मनोज जी इसका लाभ लेने लगे और आज वे लगभग अपना पूरा व्यापार ग्राम व्यापार से ही कर लेते हैं। ग्राम व्यापार से व्यापार के अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए मनोज जी कहते हैं की “मेरे फसल व्यापार को अच्छा प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा था, और इसीलिए कुछ कमी रह जा रही थी। पर ग्राम व्यापार के आने से मुझे एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिला जिसकी मुझे जरूरत थी।” वीडियो के माध्यम से जानें मनोज जी के अनुभव उन्हीं की जुबानी।
Shareएजोटोबैक्टर जैव उर्वरक का फसलों के लिए महत्व
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एजोटोबैक्टर एक जीवाणु है जो जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।
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यह एक जैविक उत्पाद है जो के फसलों में नत्रजन स्थिरीकरण, के लिए उपयोग किया जाता है।
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यह जैव उर्वरक सभी प्रकार की गैर दलहनी फसलें (दलहनी जाति की फसलों को छोड़कर) में प्रयोग किया जा सकता है।
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इसकी वजह से फसलों के उत्पादन में 10 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी होती है तथा फलों एवं दानों का प्राकृतिक स्वाद बना रहता है।
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इस जैविक उर्वरक का उपयोग करने से 20 से 30 किग्रा० नत्रजन की बचत भी की जा सकती है।
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इसका उपयोग करने से फसलों का अंकुरण शीघ्र होता है तथा जड़ों का विकास अधिक एवं शीघ्र होता है।
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इसके उपयोग से फसलों में रोगजनकों के प्रति प्रतिरोधकता बढ़ जाती है।
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इंदौर समेत मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में अच्छी बारिश की संभावना, जानें मौसम पूर्वानुमान
अगस्त महीने में पहला निम्न दबाव बंगाल की खाड़ी पर बना है जो पश्चिम दिशा में बढ़ते हुए मध्य भारत को बारिश देगा। इसके साथ ही दिल्ली सहित पंजाब हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा बिहार में भी बारिश बढ़ेगी। पश्चिम बंगाल में भी कई स्थानों पर तेज बारिश की संभावना है। दक्षिण भारत में मानसून की चाल कमजोर रहेगी।
स्रोत: स्काइमेट वेदर

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16 अगस्त को इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज के भाव?
वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 16 अगस्त के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
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