वीडियो के माध्यम से जानें आने वाले दिनों में प्याज के भाव में तेजी आएगी या मंदी?
वीडियो स्रोत: मार्केट टाइम्स टीवी
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इस रोग के कारण पत्तियों के ऊपर छोटे, वृत्ताकार या अनियमित, गहरे भूरे या काले रंग के धब्बे बन जाते हैं। जैसे-जैसे ये धब्बे आकार में बढ़ते हैं वैसे वैसे किनारे से हल्के और केंद्र से गहरे काले रंग के होते जाते हैं।
ये धब्बे अनियमित घावों का निर्माण करते हैं। गंभीर रूप से प्रभावित पत्तियां क्लोरोटिक हो जाती हैं और गिर जाती हैं।
तना संक्रमण के कारण शाखाओं में केंकर युक्त वृद्धि होती है और वे मुरझा जाते हैं। फलों पर, हल्के पीले रंग की सीमा वाले गोल, उभरे हुए पानी से लथपथ धब्बे बनते हैं।
ये धब्बे भूरे रंग में बदल जाते हैं जिससे केंद्र में एक अवसाद पैदा हो जाता है जिसमें जीवाणु की चमकदार बूंदें देखी जा सकती हैं।
नियंत्रण: पुरानी फसल के अवशेष को खेत से समाप्त कर देना चाहिए। साथ ही रोग मुक्त पौधों से बीज प्राप्त करना चाहिए।
नर्सरी को उस मिट्टी में लगाना चाहिए जहां मिर्च कई वर्षों से नहीं उगाई गई हो।
इसके रासायनिक नियंत्रण के लिए कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम प्रति एकड़ या स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 24 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।
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समृद्धि किट दरअसल मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह मिट्टी में पाए जाने वाली हानिकारक कवकों को खत्म करके प्याज और लहसुन के पौधे को होने वाले नुकसान से बचाता है।
यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में भी यह मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, ताकि जड़ पूरी तरह से विकसित हो सके, जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
यह मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है, जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार से जड़ विकास को बढ़ावा देता है।
जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में भी यह मदद करता है साथ ही मिट्टी में सूक्ष्म जीवो की गतिविधि को बढ़ावा देता है।
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बंगाल की खाड़ी में गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया है जो जल्द ही डिप्रेशन का रूप धारण करेगा तथा पश्चिम दिशा में आगे बढ़ेगा। दक्षिण पूर्वी राजस्थान तथा उससे सटे गुजरात पर भी चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र गहरा कर निम्न दबाव बन गया है। मध्य भारत में भारी बारिश के आसार हैं। पूर्वी, उत्तर-पूर्वी तथा दक्षिण भारत में मानसून कमजोर बना रहेगा। दिल्ली सहित पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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वीडियो के माध्यम से देखें, मध्य प्रदेश के मंदसौर मंडी में आज क्या रहे लहसुन के भाव ?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
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वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 11 सितंबर के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
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अच्छी फसल उत्पादन के लिए पोटाश एक आवश्यक पोषक तत्व होता है।
पोटाश की संतुलित मात्रा फसल में बहुत प्रकार की प्रतिकूल परिस्थिति जैसे बीमारियां, कीट, रोग, पोषण की कमी आदि के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
यह दानों में चमक लाने तथा वज़न बढ़ाने में साहयक होता है एवं उपज की गुणवत्ता भी इससे बढ़ती है।
पोटाश के द्वारा फसल में अच्छा जड़ विकास एवं मज़बूत तना विकास होता है जिसके फलस्वरूप फसल मिट्टी में अपनी पकड़ अच्छी तरह से बना लेती है।
पोटाश की संतुलित मात्रा मिट्टी की जल धारण क्षमता का विकास करती है।
पोटाश फसलों की पैदावार एवं गुणवत्ता बढ़ाने वाला तत्व है।
इसकी कमी से फसल का विकास रुक जाता है और पत्तियो का रंग गहरा नहीं हो पाता है।
पोटाश की कमी से फसल की पुरानी पत्तियां किनारे से पीली पड़ जाती है एवं पत्तियों के ऊतक मर जाते हैं, बाद में पत्तियां सूख जाती हैं।
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पश्चिमी मध्य प्रदेश पर बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना है साथ ही बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र बना है। इससे उड़ीसा छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश पूर्वी राजस्थान तथा पूर्वी गुजरात में भारी बारिश दे सकता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल तथा पूर्वोत्तर राज्यों में मानसून कमजोर बना रहेगा। दक्षिण भारत में भी मानसून की गतिविधियां बहुत कम देखी जायेगी। दिल्ली सहित पंजाब हरियाणा तथा पश्चिमी हिमालय क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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पौधे के कीटों को नियंत्रित करने के लिए जिन जैविक कीटनाशकों और कवाकनाशकों का उपयोग किया जाता है उन्हीं नियंत्रकों को बायोकन्ट्रोल एजेंट या जैविक नियंत्रक कहा जाता है।
ये जैविक नियंत्रण कीटों जैसे कि नेमाटोड, खरपतवार, कीड़े और घुन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जैविक नियंत्रण एजेंट अपने प्राकृतिक दुश्मनों के साथ-साथ पौधों की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पायी जाने वाली प्रजातियों को संतुलित बनाये रखने में मदद करते हैं।
जैविक नियंत्रक को एक जीवित जीव के अनुप्रयोग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। अर्थात दूसरे जीवों को नियंत्रित करने वाले इस प्रक्रिया मे जो जीव भाग लेते हैं उनको जैविक नियंत्रक कहते हैं।
जैविक नियंत्रक के प्रकार है कीटनाशक, कवकनाशी बैक्टीरिया वायरस इत्यादि।
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एक के बाद एक बनने वाले लो प्रेशर की वजह से मध्य भारत में बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी। उड़ीसा छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में एक बार फिर बारिश बढ़ सकती है। उत्तर प्रदेश और बिहार सहित पूर्वी भारत और उत्तर भारत में भी मानसून सक्रिय होने के कगार पर है। दक्षिण भारत में मानसून की गतिविधियां कमजोर बनी रहेगी।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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