मंदसौर मंडी में 9 सितंबर को क्या रहे लहसुन के भाव?
वीडियो के माध्यम से देखें, मध्य प्रदेश के मंदसौर मंडी में आज क्या रहे लहसुन के भाव ?
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Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।
9 सितंबर को इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज के भाव?
वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 9 सितंबर के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?
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खेती प्लस की कार्यमाला है कमाल की, जानें कैसे होता है किसानों को लाभ
ग्रामोफ़ोन खेती प्लस सेवा की शुरुआत के बाद से ही किसानों के बीच चर्चा का विषय बन गया और किसानों के बीच इस सेवा से जुड़ने के लिए होड़ सी मच गई थी। इस खरीफ सीजन में इस सेवा से सैकड़ों किसान जुड़े और उन्होंने स्मार्ट खेती को अपनाया। किसानों ने खेती प्लस से जुड़कर अपनी फसल से सम्बंधित कृषि कार्यमाला सूची का अच्छे ढंग से उपयोग किया जिसका लाभ उन्हें मिल रहा है।
गौरतलब है की खेती प्लस सेवा के अंतर्गत किसानों को अपनी इच्छित फसल की कार्यमाला सूची दी जाती है जिसमे पूरे फसल चक्र के दौरान की जाने वाली कृषि कार्यों को दर्ज किया गया है। इस सूची में किस वक़्त कौन से कीट का प्रकोप हो सकता है या फिर किस फसल अवस्था में कौन से उर्वरक दिए जाने चाहिए साथ ही कब कब सिंचाई की जानी चाहिए जैसी सभी बातें इस कार्यमाला में दर्ज हैं।
इस कार्यमाला को वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञों की टीम द्वारा बनाया गया है। कार्यमाला के आधार पर खेती करने से किसानों को खेती में कम खर्च और ज्यादा मुनाफा होता है। खेती प्लस सेवा के इन फायदों को देखते हुए किसान रबी फसलों की बुआई से पहले ही इस सेवा की बुकिंग करवा रहे हैं। आप भी इस सेवा के लिए अपनी बुकिंग करवा सकते हैं।
अभी खेती प्लस सेवा से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
Shareमध्य प्रदेश में शुरू हुआ ड्रोन उपयोग, सस्ते में होगा छिड़काव
ड्रोन का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है पर अब कृषि क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल भी बढ़ने लगा है। खेतों में ड्रोन से कीटनाशक का एक अच्छा और सस्ता विकल्प है और इस विकल्प को पिछले दिनों मध्य प्रदेश के मंदसौर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र एवं उद्यानिकी महाविद्यालय की मदद से इस्तेमाल किया गया।
शुरूआती प्रयोग के रूप में सोयाबीन की फसल में ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव हुआ। इस प्रयोग काफी सफल भी रहा। आने वाले दिनों में प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों में भी इसका प्रयोग किसानों के लिए किया जा सकता है।
बता दें की वर्तमान में इसे प्राइवेट कम्पनी द्वारा प्रदर्शित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत एक एकड़ के क्षेत्र में छिड़काव हेतु 500 रुपए का शुल्क लिया जाता है। फिलहाल यह रेट अधिक लग रही है पर यह रेट आने वाले समय में और घटेगी।
स्रोत: कृषक जगत
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आलू की उन्नत किस्में एवं खेत तैयार करने की विधि
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आलू की सामान्यता लगाई जाने वाली किस्म में सोलनम ट्यूबरोसम मुख्य है। इसके पौधे छोटे और मोटे तने वाले तथा इनकी पत्तियों का आकार बड़ा व अपेक्षाकृत लंबा होता है। आलू की किस्मों में आमतौर पर किसान भाई कुफरी ज्योति, कुफरी मुथु, कुफरी स्वर्णा, कुफरी मलार, कुफरी सोगा, कुफरी आनंद, कुफरी चमत्कार, कुफरी अलंकार और कुफरी गिरिराज का चुनाव कर सकते हैं।
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उन्नत बीज किस्म के चयन के बाद बारी आती है आलू के खेत की तैयारी की, आलू की फसल के अच्छे ट्यूब्राइजेशन के लिए एक अच्छी तरह से भुरभुरी मिट्टी या सीड बेड की आवश्यकता होती है। खरीफ फसल की कटाई के तुरंत बाद खेत में मिट्टी पलटने वाले हल से एक बार 20-25 सेमी गहरी जुताई करें। इसके बाद, दो से तीन क्रॉस हैरोइंग या स्थानीय हल से चार से पांच जुताई करें, यह सतह को चिकना और समतल बनाने के लिए आवश्यक है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखें।
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आलू की बुवाई आप रिज तथा फरो जैसे प्रचलित बिधियों से खेत को तैयार करके कर सकते हैं।
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जिस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा कम हो उस मिट्टी में 4 मैट्रिक टन प्रति एकड़ गोबर की ठीक से सड़ी हुई खाद को भूमि तैयार करने के दौरान देना चाहिए, यह मात्रा रोपण के एक पखवाड़े पहले दिया जाना चाहिए। बता दें की आलू के पौधे को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती हैं।
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मध्य प्रदेश के इन क्षेत्रो में और बढ़ेगी बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य प्रदेश के भी उत्तरी तथा मध्य भागों में बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी। निम्न दबाव का क्षेत्र अब गुजरात पर बना हुआ है जो राजस्थान की ओर बढ़ेगा। गुजरात सहित राजस्थान के दक्षिणी और पूर्वी जिलों में तेज बारिश अगले 24 घंटों तक जारी रहेगी। उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल सहित दिल्ली में मानसून सक्रिय होने की संभावना है। दक्षिण भारत में जारी बारिश के गतिविधियों में अब कमी आएगी।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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मंदसौर मंडी में 8 सितंबर को क्या रहे लहसुन के भाव?
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8 सितंबर को इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज के भाव?
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कपास की 105 से 115 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन
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कपास की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग अलग प्रकार के रस चूसक कीटों एवं इल्लियों का आक्रमण होता है जैसे की गुलाबी सुंडी, एफिड, जैसिड, मकड़ी, आदि।
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इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित बीमारियाँ भी कपास की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं। इसमें जीवाणु धब्बा रोग, जड़ गलन, तना गलन, अल्टेरनेरिया पत्ती धब्बा रोग आदि प्रकार के रोग कपास फसल को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।
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इनके नियंत्रण के लिए निम्न छिड़काव उपयोग में ला सकते हैं।
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इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ + डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ + थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ + कासुगामायसिन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ + इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ + हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ + स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड @ 24 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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