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- यह करेले में पाया जाने वाला एक भयानक रोग है।
- सबसे पहले इसके कारण पत्तियों पर अनियमित छोटे पीले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
- आगे की अवस्था में ये धब्बे गहरे होकर पूरे पत्तियों पर फैल जाते हैं।
- फल पर छोटे काले गहरे धब्बे उत्पन्न होते है जो पूरे फल पर फ़ैल जाते हैं।
- नमी युक्त मौसम में इन धब्बों के बीच में गुलाबी बीजाणु बनते हैं।
- इससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधा आती है फलस्वरूप पौधे का विकास पूरी तरह से रुक जाता है।
- इस रोग से बचाव के लिए कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम 37.5 @ 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
- 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75% डब्ल्यू पी 400 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75 डब्ल्यूपी ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
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