मिश्रित खेती करने से किसानों को मिलते हैं कई फायदे

How is inter-cropping beneficial o farmers?
  • मिश्रित खेती की प्रक्रिया को कृषि की तकनीकी भाषा में अंतरसस्य (इंटरक्रॉपिंग) कहते हैं।
  • इस प्रकार की खेती खेतों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने में मददगार होती है।
  • इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करने पर रासायनिक/उर्वरक के अनुप्रयोग में कमी आती है ।
  • मिश्रित फसल में खरपतवार, कीड़े और बीमारी की समस्या कम होती है।
  • अंतरसस्य (इंटरक्रोपिंग) में सब्जियों की फसलें कम अवधि में उच्च उत्पादन देती है।
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करेले की फसल में विषाणुजनित रोगों का प्रबंधन 

 

  • करेले में विषाणुजनित रोग आम तौर पर सफेद मक्खी तथा एफिड से होता है। 
  • इस रोग में सामन्यतः पत्तियों पर अनियमित हल्की व गहरी हरी एवं पीली धारियां या धब्बे दिखाई देते हैं।
  • पत्तियों में घुमाव, अवरुद्ध, सिकुड़न एवं पत्तियों की शिराएं गहरी हरी या पीली हल्की हो जाती हैं।
  • पौधा छोटा रह जाता है और फल फूल कम लगते है या झड़ कर गिर जाते हैं।  
  • रोग से बचाव के लिए सफेद मक्खी और एफिड को नियंत्रित करना चाहिए। 
  • इस प्रकार के कीटों की रक्षा हेतु 10-15 दिन के अंतराल पर एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 40 ग्राम/एकड़ और स्ट्रेप्टोमाईसीन 20 ग्राम  200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या
  • डाइफेनथूरोंन 100 ग्राम के साथ स्ट्रेप्टोमाईसीन 20 ग्राम  200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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करेले की फसल को रसचूसक कीटों से कैसे बचाएं

 

  • रसचूसक कीटों में एफिड, हरा तेला, सफ़ेद मक्खी, मीलीबग जैसे कीट आते हैं जो करेले की फसल को नुकसान पहुँचाते हैं।
  • रसचूसक कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी या
  • थायोमेथोक्सोम 25 डब्लू जी 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। 
  • कीटनाशकों का बदल बदल कर छिड़काव करना चाहिए ताकि कीट कीटनाशकों के विरुद्ध प्रतिरोध शक्ति उत्पन्न न कर पाये। 
  • जैविक माध्यम से बवेरिया बेसियाना 1 किलो प्रति एकड़ उपयोग करें या उपरोक्त कीटनाशक के साथ मिला कर भी प्रयोग कर सकते हैं। 

 

 

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एन्थ्रेक्नोस रोग से करेले की फसल को कैसे बचाएं

  • यह करेले में पाया जाने वाला एक भयानक रोग है।
  • सबसे पहले इसके कारण पत्तियों पर अनियमित छोटे पीले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
  • आगे की अवस्था में ये धब्बे गहरे होकर पूरे पत्तियों पर फैल जाते हैं।
  • फल पर छोटे काले गहरे धब्बे उत्पन्न होते है जो पूरे फल पर फ़ैल जाते हैं।
  • नमी युक्त मौसम में इन धब्बों के बीच में गुलाबी बीजाणु बनते हैं।
  • इससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधा आती है फलस्वरूप पौधे का विकास पूरी तरह से रुक जाता है।
  • इस रोग से बचाव के लिए कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम 37.5 @ 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
  • 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75% डब्ल्यू पी 400 ग्राम प्रति एकड़ या  क्लोरोथालोनिल 75 डब्ल्यूपी ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
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करेले में चूर्णिल आसिता/ भभूतिया रोग का प्रबंधन

  • सबसे पहले पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफ़ेद-धूसर धब्बे दिखाई देते है जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग के पाउडर में बदल जाते हैं।
  • ये फफूंद पौधे से पोषक तत्वों को खींच लेती है और प्रकाश संश्लेषण में बाधा डालती है जिससे पौधे का विकास रूक जाता है
  • रोग की वृद्धि के साथ संक्रमित भाग सूख जाता है और पत्तियां गिर जाती है।
  • पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 400 मिली या थियोफेनेट मिथाइल 70 डब्लू पी या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन  23 एस सी का 200 मिली प्रति एकड़ 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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बैंगन में जैसिड कीट का प्रबंधन

  • एसीटामिप्रिड 20% WP @ 80 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। 
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% @ 80 मिली/एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • एविडेंट (थाइमिथोक्सम) @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
  • एबासिन (एबामेक्टिन 1.8% ईसी) @ 150 एमएल/एकड़ का छिड़काव करें।
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बैगन की फसल में जैसिड नामक कीट की पहचान

  • शिशु एवं वयस्क कीट दोनों हरे रंग के एवं छोटे आकार के होते है।
  • शिशु एवं वयस्क, पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं।
  • ग्रसित पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ जाती है जो बाद में पीली हो जाती है एवं उन पर जले हुये धब्बे बन जाते हैं।
  • इनके द्वारा माइकोप्लाज्मा रोग जैसे लघु पर्ण एवं विषाणु रोग जैसे चितकबरापन स्थानांतरित हो जाता है।
  • इस कीट के अत्यधिक प्रभाव देखे जाने पर पौधे में फल लगना कम हो जाता है।
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लीफ माइनर कीट को नियंत्रित कर खरबूजे का उत्पादन बढ़ाएं 

  • आक्रमण की शुरुआती अवस्था में प्रभावित पौधे को खेत से बाहर निकाल दें या नष्ट कर दें।
  • वेपकील (एसिटामप्रिड) @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
  • कॉन्फीडोर (इमिडाक्लोप्रिड) @ 100 एमएल/एकड़ का छिड़काव करें या
  • बिलीफ (थाइमिथोक्सम 12.6% + लेम्ब्डासाइहलोथ्रिन 9.5% ZC) @ 100  ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
  • एबासिन (एबामेक्टिन 1.8% ईसी) @ 150 एमएल का छिड़काव करें। 
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सोशल मीडिया के जरिए किसानों को शिक्षित कर रही है सरकार: नरेंद्र सिंह तोमर

हम इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में हैं। लगभग हर कंपनी या संगठन अपने ग्राहकों से जुड़ने के लिए इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रही है। अब इसी कड़ी में अब सरकार राष्ट्र के किसानों के साथ जुड़ने के लिए भी कई सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का भी उपयोग कर रही है।

कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बाबत कहा कि सरकार देश भर में किसानों को शिक्षित करने के लिए फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब आदि का उपयोग कर रही है। भारत में खेती के विकास पर बोलते हुए, तोमर ने कहा कि “सरकार ने किसानों के लाभ के लिए लगभग 100 मोबाइल एप संकलित किए हैं। ये एप ICAR, कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित किए गए हैं।”

किसानों का सच्चा साथी ग्रामोफ़ोन भी पिछले चार वर्षों से किसानों का मार्गदर्शन कर रहा है। हमारे कृषि विशेषज्ञ हमारे मोबाइल एप और विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से किसानों को बहुमूल्य सुझाव देते रहते हैं। किसान अपनी फ़सलों में किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिए हमें हमारे टोल-फ्री नंबर पर भी कॉल कर सकते हैं।

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FPO योजना से किसान को होगा फायदा, जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां

केंद्र सरकार की तरफ से कृषि विकास हेतु आने वाले पांच वर्ष में 5000 करोड़ रुपये की बड़ी रकम खर्च की जायेगी। दरअसल केंद्र सरकार किसानों को आर्थिक मदद देकर समृद्ध बनाने की योजना पर चल रही है। अब किसान उत्‍पादक संगठन (FPO-Farmer Producer Organisation) बना कर किसान खुद का भविष्य सवारेंगे। इसके लिए सरकार की तरफ से 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन बनाये जाने की मंजूरी दे दी है। इसकी शुरुआत पीएम मोदी ने उत्तरप्रदेश के चित्रकूट से किया है और इसके अंतर्गत आने वाले 5 वर्ष में इस पर 5000 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।

क्या है FPO? 

FPO-Farmer Producer Organisation अर्थात कृषक उत्पादक कंपनी वैसे किसानों का समूह होता है जो कृषि उत्पादन के काम में हो और आगे चल के खेती से संबंधित व्यावसायिक गतिविधियाँ चलाने में सक्षम हो। आप भी एक समूह बना कर कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड हो सकते हैं।

कैसे होगा किसानों को फायदा?

कृषक उत्पादक कंपनी लघु एवं सीमांत किसानों का समूह होगा और इससे जुड़े हुए किसानों को अपने उत्पादन के लिए बाजार के साथ साथ खाद, बीज, दवा तथा खेती के उपकरण आदि भी आसानी से सस्ती दरों पर मिल पाएंगे।

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