मक्का की फसल में बुवाई के 15 से 20 दिनों की अवस्था पर पोषक तत्व प्रबंधन

मक्का खरीफ ऋतु की प्रमुख फसल है, परन्तु जहां सिंचाई के साधन हैं वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप में मक्का की खेती की जा सकती है। मक्का कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक बहुपयोगी फसल है, मनुष्य के साथ- साथ पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव भी है तथा मक्का की खेती का औद्योगिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है।

मक्का फसल को शुरुआती अवस्था में खरपतवार रहित होना चाहिए अन्यथा उत्पादन में कमी आती है। बुवाई के 15-20 दिन बाद फसल में डोरा चलाकर निराई-गुड़ाई करे या रासायनिक शाकनाशी का प्रयोग करके पहले खरपतवार को नष्ट कर दे, उसके पश्चात पोषक तत्व का उपयोग करें। जिससे सीधे मुख्य फसल ही पोषक तत्व ग्रहण करेंगे और पोषक तत्व का नुकसान नहीं होगा एवं फसल भी स्वस्थ रहेगी। 

पौधों की इस अवस्था में, यूरिया @ 35 किग्रा + मल्टिप्लेक्स /ग्रोमोर (मैग्नीशियम सल्फेट @ 5 किग्रा)  + दयाल (जिंक सल्फेट @ 5 किग्रा), प्रति एकड़ के हिसाब से उर्वरकों को मिलाकर मिट्टी में मिलाएं।

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