👉🏻किसान भाइयों, सोयाबीन की फसल में बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
👉🏻सोयाबीन की फसल में बीज उपचार जैविक एवं रसायनिक दोनों विधियों से किया जा सकता है।
👉🏻सोयाबीन में बीज उपचार फफूंदनाशी एवं कीटनाशी दोनों से किया जाता है।
👉🏻फफूंदनाशी से बीज उपचार करने के लिए करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी) @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या वीटा वैक्स अल्ट्रा (कार्बोक्सिन 17.5%+ थायरम 17.5% एफएफ) @ 2.5 मिली/किलो बीज या कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी) @ 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित करें।
👉🏻कीटनाशी से बीज उपचार करने के लिए थायो नोवा सुपर (थायोमिथोक्साम 30% एफएस) @ 4 मिली/किलो बीज या गौचो (इमिडाक्लोरोप्रिड 48% एफएस) @ 1.25 मिली/किलो बीज से बीज उपचार करें।
👉🏻सोयाबीन फसल में नाइट्रोज़न स्थिरीकरण को बढ़ाने के लिए राइजोबियम [जैव वाटिका -आर सोया] @ 5 ग्राम किलो बीज से उपचारित करें।
👉🏻फफूंदनाशी से बीज उपचार करने से सोयाबीन उकठा रोग, जड़ सड़न रोग से सुरक्षित रहती है।
बीज का अंकुरण सही ढंग से होता है अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है, फसल का प्रारंभिक विकास समान रूप से होता है।
👉🏻राइज़ोबियम से बीज़ उपचार सोयाबीन की फसल की जड़ो में गाठो (नॉड्यूलेशन) को बढ़ाता है एवं अधिक नाइट्रोज़न का स्थिरीकरण करती है।
👉🏻कीटनाशकों से बीज उपचार करने से मिट्टी जनित कीटो जैसे-सफ़ेद ग्रब, चींटी, दीमक आदि से सोयाबीन की फसल की रक्षा होती है।
👉🏻प्रतिकूल परिस्थितियों (कम/उच्च नमी) में भी अच्छी फसल प्राप्त होती है।
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