प्याज की फसल में रोपाई के 40-45 दिन बाद, कंद निर्माण होना प्रारम्भ हो जाता है। इस अवस्था में, यूरिया 30 किग्रा + कैल्शियम नाइट्रेट 10 किग्रा + मैगनेशियम सल्फेट 10 किग्रा को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में, सामान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें।
यूरिया: यह नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके उपयोग से, पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।
कैल्शियम नाइट्रेट: इसमें 15.5% नाइट्रोजन और 18.5% कैल्शियम होता है। कैल्शियम के अलावा, इससे फसलों को नाइट्रोजन की भी पूर्ती होती है। पौधों की वृद्धि के लिए कैल्शियम एक महत्वपूर्ण द्वितीयक पोषक तत्व है। कैल्शियम नाइट्रेट फसलों के लिए कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है। यह फसलों में उपज की गुणवत्ता और लंबी शेल्फ लाइफ को बढ़ाता है। यह पौधों में कंदो के विकास में मदद करता है।
मैग्नीशियम सल्फेट: इसमें 9.5% मैग्नीशियम और 12% सल्फर होता है। मैग्नीशियम के साथ यह फसलों को सल्फर भी उपलब्ध करवाता है जिससे फसल की गुणवत्ता के साथ-साथ उत्पादन भी बेहतर मिलता है। यह एंजाइम एवं कार्बोहाइड्रेट के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पौधों में क्लोरोफिल के संश्लेषण में मदद करता है और फास्फोरस ग्रहण और अवशोषण में भी सुधार करता है।
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