कहीं घना कोहरा तो कहीं बर्फबारी, कई राज्यों में बारिश की संभावना

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पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर पश्चिमी राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश में घना कोहरा छाया हुआ है जो अगले दो दिनों तक जारी रह सकता है। पहाड़ों का मौसम अब साफ हो चुका है लेकिन नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस 29 तारीख की रात से आएगा। 30 दिसंबर से 2 जनवरी तक पहाड़ों पर एक बार फिर बर्फबारी हो सकती है। 30 या 31 दिसंबर से पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र सहित पूर्वी भारत और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में बारिश होने के आसार है। कड़ाके की सर्दी की शुरुआत जनवरी के पहले सप्ताह में ही दिखाई देगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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75% की बंपर सब्सिडी पर करें ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी और पपीते की खेती, जानें क्या है सरकार की योजना

Mukhyamantri Horticulture Mission Scheme

धान और गेहूँ जैसी पारंपरिक फसलों की खेती के अलावा किसान ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी जैसे फलों की खेती से अच्छा ख़ासा लाभ प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाने के उद्देश्य से “मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना” चला रही है जिसमें किसान ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी और पपीते जैसी बागवानी फसलों की खेती भारी सब्सिडी के साथ कर सकते हैं। बता दें की इन फलों की खेती पर सरकार 40 से 75 प्रतिशत तक कि सब्सिडी देती है।

बिहार सरकार के अंतर्गत आने वाले बागवानी विभाग के ऑफिसियल एक्स अकाउंट से किये गए पोस्ट के अनुसार “स्ट्रॉबेरी और ड्रैगन फ्रूट की खेती की इकाई लागत 1 लाख 25 हजार रुपये पर सब्सिडी 50 हजार रुपये तक प्राप्त होंगे। वहीं, पपीते की खेती पर किसानों को 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी। पपीता की फसल में लगने वाली इकाई लागत 60,000 रुपये पर 45 हजार रुपये सब्सिडी के तौर पर दिए जाएंगे। योजना का लाभ लेने के लिए किसान बिहार कृषि विभाग के ऑफिसियल वेबसाइट पर जा कर आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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लहसुन के भाव में तेजी बरकरार, उच्च भाव पहुंचे 26500 रुपये के पार

garlic mandi rate,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर अकोदिया औसत 2400 17001
सीहोर आष्टा लहसुन 17700 17700
धार बदनावर लहसुन 12000 13000
भोपाल भोपाल लहसुन 12150 12250
मन्दसौर दलौदा लहसुन 3000 23200
इंदौर इंदौर लहसुन 5699 19500
रतलाम जावरा लहसुन 5701 26900
शाजापुर कालापीपल लहसुन 11081 15591
नीमच मनसा लहसुन 5800 18450
मन्दसौर मन्दसौर लहसुन 7911 25600
राजगढ़ नरसिंहगढ़ लहसुन 9300 19100
नीमच नीमच औसत 651 18300
नीमच नीमच लहसुन 1750 20502
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 3000 24412
रतलाम रतलाम देसी 14201 21601
रतलाम रतलाम लहसुन 1241 20901
रतलाम सैलाना औसत 17401 17401
रतलाम सैलाना देसी 8641 20000
रतलाम सैलाना लहसुन 6000 18800
शाजापुर साजापुर लहसुन 1423 15187
सीहोर सीहोर लहसुन 5200 20801
मन्दसौर शामगढ़ लहसुन 15671 17251
शाजापुर शुजालपुर देसी 500 17701
शाजापुर शुजालपुर चीन 14801 14801
उज्जैन उज्जैन लहसुन 12484 14200

स्रोत: एगमार्कनेट

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लहसुन की फसल में 50-55 दिन की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन!

Nutrient management in garlic crops at the 50-55 days old stage

लहसुन की फसल अभी 50-55 दिन की हो रही है, इस अवस्था में अच्छे कंद विकास के लिए, बोरोन 1 किग्रा + कैल्शियम नाइट्रेट 10 किग्रा + एमओपी 20 किग्रा को आपस में मिलाकर एक एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें। 

उपयोग के फायदे

बोरोन

  • फफूंद जनित रोगों से प्रतिरोध क्षमता बढ़ाता है। 

  • लहसुन के कंदों में चमक और रंग अच्छा आता है।

कैल्शियम नाइट्रेट

  • कंद का आकार बढ़ाता है, एवं बेहतर गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त होती है।

  • लहसुन के कंद ठोस बनते हैं जिनसे इनकी भंडारण क्षमता बढ़ती हैं। 

पोटैशियम 

  • पोटैशियम पौधे में संश्लेषित शर्करा को पौधे के सभी भागो तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पोटैशियम प्राकृतिक नत्रजन की कार्य क्षमता को बढ़ावा देता है। पौधों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है। पोटैशियम से उपज बढ़ती हैं। 

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जनवरी के शुरुआत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बारिश के आसार

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अगले दो दिनों तक उत्तर भारत के कई राज्यों में घना कोहरा छाने की संभावना है। एक नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस 29 तारीख से पहाड़ों पर पहुंचेगा जो 2 या 3 जनवरी तक पहाड़ों को प्रभावित करेगा। इसके प्रभाव से बनने वाले चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के द्वारा राजस्थान के कई भागों सहित मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक बारिश की संभावना बन रही है। फिलहाल देश के अधिकांश राज्यों के तापमान ज्यादा नहीं गिरेंगे परंतु जनवरी के पहले सप्ताह में कड़ाके की ठंड होने की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

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मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
पन्ना अजयगढ़ मिल गुणवत्ता 2315 2325
बड़वानी अंजड़ लोकवन 2300 2300
छतरपुर बड़ामलहेड़ा मिल गुणवत्ता 2375 2400
रायसेन बरेली मिल गुणवत्ता 2550 2561
शाहडोल ब्यौहारी मिल गुणवत्ता 2300 2300
बेतुल बेतुल मिल गुणवत्ता 2425 2453
मंडला बिछिया मिल गुणवत्ता 1800 1800
शाहडोल बुढ़ार मिल गुणवत्ता 2400 2400
रीवा चाकघाट मिल गुणवत्ता 2300 2300
छतरपुर छतरपुर मिल गुणवत्ता 2350 2350
धार धार लोकवन 2600 2650
डिंडोरी डिंडोरी स्थानीय 2200 2225
रीवा हनुमना मिल गुणवत्ता 2250 2250
जबलपुर जबलपुर मिल गुणवत्ता 2250 2250
कटनी कटनी मिल गुणवत्ता 2300 2300
शिवपुरी खनियाधाना मिल गुणवत्ता 2305 2320
टीकमगढ़ खरगापुर मिल गुणवत्ता 2200 2312
गुना मकसूदनगढ़ मिल गुणवत्ता 2360 2394
मंडला मंडला मिल गुणवत्ता 2310 2350
मंडला मंडला स्थानीय 2101 2350
टीकमगढ़ निवाड़ी मिल गुणवत्ता 2375 2400
रायसेन ओबेदुल्लागंज स्थानीय 2710 2710
जबलपुर पाटन मिल गुणवत्ता 2285 2290
टीकमगढ़ पृथ्वीपुर मिल गुणवत्ता 2255 2260
सागर राहतगढ़ मिल गुणवत्ता 2300 2300
रीवा रीवा मिल गुणवत्ता 2380 2380
सागर शाहगढ़ मिल गुणवत्ता 2300 2310
विदिशा शमसाबाद मिल गुणवत्ता 2318 2320
उमरिया उमरिया स्थानीय 2350 2350

स्रोत: एगमार्कनेट

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भिंडी की भरपूर उपज के लिए ऐसे करें खेत को तैयार और पोषण प्रबंधन!

Watermelon and Muskmelon field preparation
  • भिंडी की फसल के लिए भुरभुरी, अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी जिसका पीएच रेंज 6.0-6.8 तक हो सबसे उपयुक्त होती है। 

  • कार्बनिक पदार्थों से भरपूर भूमि में बीज का अंकुरण एवं जड़ों का विकास अच्छा होता है। 

  • पिछली फसल की कटाई के बाद एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। 

  • इसके बाद, गोबर की खाद 8 से 10 टन + स्पीड कम्पोस्ट 4 किग्रा + कॉम्बैट (ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0 % डब्ल्यूपी) @ 2 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में समान रूप से भुरकाव करें।

  • इसके बाद 2-3 जुताई हैरो की सहायता से करें। अगर मिट्टी में नमी कम हो तो पहले पलेवा करें, फिर खेत की तैयारी करें और आखिर में पाटा चलाकर खेत समतल बना लें।

  • खेत तैयार होने के बाद, बीज की बुवाई सिफारिश की गयी दूरी पर ही करें।

  • पौध से पौध एवं कतार से कतार की दूरी 30 x 30 सेमी रखें। एक एकड़ क्षेत्र के लिए 1.5-2.2 किग्रा बीज, पर्याप्त होता है।

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नए साल पर कई राज्यों में होगी बारिश, और पहाड़ों पर भारी हिमपात

know the weather forecast,

नए साल की शुरुआत में एक नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी देगा। पूर्वी हवाओं के प्रभाव से पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली में बारिश की संभावना बन रही है। कड़ाके की सर्दी के लिए अभी कुछ और दिन इंतजार करना पड़ेगा। दक्षिण भारत में भी हल्की बारिश की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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हल्की बारिश और बर्फबारी के आसार, अब गिरेंगे तापमान

know the weather forecast,

एक हल्का वेस्टर्न डिस्टरबेंस पहाड़ों पर होकर गुजर रहा है जिसके प्रभाव से ऊंचे पहाड़ों पर हिमपात होगा तथा कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है। भारत के अधिकांश राज्यों का मौसम अगले कुछ दिनों तक शुष्क बना रहेगा। गंगा के मैदानी क्षेत्रों में कोहरा छाया रह सकता है। दक्षिण तमिलनाडु और दक्षिण केरल में हल्की बारिश की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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जान लें रबी धान की खेती के लिए खेत की तैयारी एवं पोषण प्रबंधन!

Know about field preparation and nutrition management for rabi paddy cultivation

वैसे तो ज्यादातर किसान धान की खेती खरीफ मौसम में हीं करते हैं जब पूरे देश में मानसून की बारिश होती है। पर आजकल बहुत सारे किसान रबी सीजन में भी धन की खेती करते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं। इस सीजन में अगर आप भी धान की खेती करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको इसके लिए खेत की तैयारी से लेकर पोषण प्रबंधन आधी का ख़ास ख्याल रखने की जरूरत है। इस लेख में आइये विस्तार से जानते हैं इन्हीं विषयों की जानकारी। 

खेत की तैयारी: ऐसे खेत का चयन करें जिसकी मिट्टी अच्छी तरह से तैयार खरपतवार रहित हो तथा जल धारण क्षमता भी अधिक हो। मिट्टी में में पाए जाने वाले जैविक तत्व एवं जीव अच्छी तरह से काम करते हों। इससे पौध का जड़ विकास सही से होता है। खेत में चारों तरफ से मजबूत मेढ़ बंदी कर दें। इससे पानी खेत में लंबे समय तक संचित रखा जाता है। एक अच्छी जुताई से खेती योग्य भूमि में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहती है। एवं खरपतवार भी कम उगते हैं। धान की रोपण के लिए, मुख्य खेत की तैयारी के समय, जुताई से 1 या 2 दिन पूर्व गोबर की खाद @ 4 टन + स्पीड कम्पोस्ट @ 4 किग्रा + कॉम्बैट – ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी @ 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें एवं खेत में सिंचाई कर दें और पानी को सोखने दें। जुताई के समय पानी की गहराई 2.5 सेमी रखें। धान की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करें, इसके बाद खेत को मचाकर समतल कर ले। समतल खेत में पानी की सामान्य गहराई बनी रहती है।

पोषण प्रबंधन: रोपाई के दिन कीचड़ में यूरिया- 20 किग्रा + एसएसपी- 50 किग्रा + डीएपी- 25 किग्रा + एमओपी- 20 किलो + धान समृद्धि किट – 11 किग्रा, समृद्धि किट में शामिल उत्पाद (ट्राई कोट मैक्स – जैविक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुल्विक, जैविक पोषक तत्वों का एक मिश्रण, @ 4 किलोग्राम + टीबी 3 – नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया, फास्फेट घुलनशील बैक्टीरिया और पोटेशियम गतिशील बैक्टीरिया, @ 3 किलोग्राम + ताबा जी – जिंक घुलनशील बैक्टीरिया, @ 4 किलोग्राम) को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें। पौध रोपण के लिए कतार से कतार एवं पौध से पौध की दूरी 20×15 सेमी रखें।  

किसान भाई रबी मौसम में भी काफी जगहों पर धान की कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई करते हैं। तो आइये जानते है, बुवाई से पूर्व खेत की तैयारी एवं बीज को अंकुरित व उपचारित कैसे करें!

धान की कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई विधि 

सबसे पहले जिस किस्म का चुनाव किया गया है बुवाई के लिए, उसे किसी पात्र में पानी में डुबा दें और इसे डुबो कर अच्छी तरह से हिलाएं जिससे ख़राब बीज ऊपर तैरने लगेगा। ख़राब बीज को पात्र से निकाल कर बाहर कर दें, एवं शुद्ध बीज को 18 से 20 घंटे के लिए पानी में डूबा कर छाया में रखें। 18 से 20 घंटे पूरा हो जाने के बाद, धान को बोरे में या साफ सूती कपड़े में पानी से बाहर निकाल लें और बीज उपचार के रूप में, स्प्रिंट (कार्बेन्डाजिम 25%+ मैंकोजेब 50% डब्ल्यूएस) @ 35 ग्राम, प्रति 10 किग्रा के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर बीजों को अच्छी तरह से मिला लें। इसके बाद इसे पुवाल या बोरे के माध्यम से ढक कर रख दें। उचित नमी बनाए रखने के लिए, समय समय पर ऊपर से पानी का हल्का छिड़काव करते रहें। इससे अंकुरण अच्छा होता है। पर्याप्त नमी एवं तापमान मिलने पर 24 घंटे में अच्छा अंकुरण हो जायगा। फिर इसे मचाकर तैयार किये गए, भूमि में समान रूप से बुवाई कर दें एवं खेत में अधिक पानी हो तो उसे खेत से बाहर निकाल दें। 

धान की गीली सीधी बुवाई के लिए, खेत की तैयारी के समय जुताई के 2 दिन पूर्व गोबर की खाद @ 4 टन + स्पीड कम्पोस्ट @ 4 किग्रा + कॉम्बैट – ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी @ 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें एवं खेत में पानी भर दें और पानी को सोखने दें। जुताई के समय पानी की गहराई 2.5 सेमी रखें। धान की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करें एवं पाटा चलाकर खेत को अच्छी तरह से मचाकर समतल कर ले। बुवाई के दिन कीचड़ में, एसएसपी- 50 किग्रा + डीएपी- 25 किग्रा + एमओपी- 20 किलो + धान समृद्धि किट – 11 किग्रा, किट में शामिल तत्व (ट्राई कोट मैक्स – जैविक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुल्विक, जैविक पोषक तत्वों का एक मिश्रण, @ 4 किलोग्राम + टीबी 3 – नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया, फास्फेट घुलनशील बैक्टीरिया और पोटेशियम गतिशील बैक्टीरिया, @ 3 किलोग्राम + ताबा जी – जिंक घुलनशील बैक्टीरिया, @ 4 किलोग्राम) को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर,  एक पाटा चलाकर खाद को कीचड़ में अच्छी तरह से मिला दें एवं बीज की बुवाई करें साथ ही अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दे। 

कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई विधि से 25% तक श्रम की बचत होती है। रोपण पद्धति की अपेक्षा 7 से 10 दिन पहले इसकी फसल पक कर तैयार हो जाती है। वहीं सीधी बुवाई में नर्सरी उगाने एवं रोपाई करने की जरुरत नहीं होती है।

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