सोयाबीन में 15 से 20 दिनों की अवस्था पर रोग एवं कीट नियंत्रण के उपाय

सोयाबीन की फसल  में 15 से 20 दिन की अवधि में सामान्यतः रस चूसक कीट – सफ़ेद मक्खी , जैसिड, एवं लीफ ईटिंग कैटरपिलर, गर्डल  बीटल एवं कवक जनित रोग जैसे आद्र गलन, जड़ गलन, रस्ट आदि की समस्या दिखाई देती है।

नियंत्रण –

  • पत्ता खाने वाली इल्ली एवं  फफूंद जनित रोग की समस्या के लिए –  इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस जी ) @ 100 ग्राम  + सिलिको मैक्स @ 50 मिली,+ रोको (थायोफिनेट मिथाइल 70 % W/W) @ 300 ग्राम, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें | 

  • रस चूसक कीट, सफ़ेद मक्खी, माहू एवं हरा तेला के नियंत्रण के लिए, थियानोवा-25 (थियामेंथोक्साम 25% WG)@100 ग्राम + विगरमैक्स जेल गोल्ड (वानस्पतिक अर्क, समुद्री शैवाल के अर्क और ट्रेस तत्व) @ 400 ग्राम +  सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें।

  • खड़ी फसल में सफेद ग्रब के नियंत्रण के लिए डेनिटोल (फेनप्रोपाथ्रिन 10% ईसी) @ 500 मिली ,या डेनटोटसु (क्लोथियानिडिन 50.00% डब्ल्यूजी) @ 100 ग्राम को,15 -20 किलो रेत में मिलाकर प्रति एकड़ भुरकाव या ड्रेन्च करें | 

  • गर्डल बीटल के नियंत्रण के लिए लैमनोवा (लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 4.9% ईसी) @ 200 मिली या नोवालक्सम (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेडसी) @ 80 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें।

  • रस्ट के नियंत्रण के लिए मिल्ड्यूविप (थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी) @ 300 ग्राम या नोवाकोन (हेक्साकोनाजोल 5% एससी) 400 मिली +  सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

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धान की फसल में रोपाई के 10 से 15 दिन बाद खरपतवार एवं पोषक प्रबंधन

नॉमिनी गोल्ड (उद्भव के बाद)

  • धान खरीफ ऋतु की प्रमुख फसल है, परन्तु जहां सिंचाई के साधन हैं, वहां रबी और खरीफ दोनों ऋतुओं में धान की खेती की जा सकती है। खरीफ की फसल में रबी की अपेक्षा ज्यादा खरपतवार होता है। खरपतवार के नियंत्रण के लिए – धान की रोपाई के 10 से 15 दिन बाद, 2 से 5 पत्ती वाली अवस्था में, बिस्पायरीबैक सोडियम 10% एस सी (नॉमिनी गोल्ड) @ 80 -100 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

  • फ्लैट फैन नोज़ल का प्रयोग करें। आवेदन के समय खेत से पानी को बाहर निकाल दे, आवेदन के 48 – 72 घंटे के भीतर खेत में फिर से पानी चला दे। एवं खरपतवार उभरने को रोकने के लिए 5-7 दिनों तक पानी बनाए रखें।

 विशेषताएँ

  • नॉमिनी गोल्ड सभी प्रकार की धान की खेती यानी सीधे बोए गए धान, धान की नर्सरी और रोपित धान के लिए एक पोस्ट इमर्जेंट, व्यापक स्पेक्ट्रम, प्रणालीगत शाकनाशी है।

  • नॉमिनी गोल्ड धान की प्रमुख घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करता है।

  • नॉमिनी गोल्ड धान के लिए सुरक्षित है। नोमिनी गोल्ड जल्दी से खरपतवार में अवशोषित हो जाता है और उपयोग के 6 घंटे बाद भी बारिश होने पर भी परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 

2,4 डी से खरपतवार प्रबंधन

चौड़ी पत्ती के खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए, रोपाई के 20 से 25 दिन बाद, 2,4-डी एथिल एस्टर 38% ईसी (वीडमार /सैकवीड 38) @ 400 से 1000 मिली, प्रति एकड़ 150 – 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

पोषक प्रबंधन 

खरपतवार नाशक प्रयोग के एक सप्ताह बाद, यूरिया @ 40 किग्रा, जिंक सल्फेट (ज़िंकफेर) @ 5 किग्रा, सल्फर 90% WG (कोसावेट) @ 3 किग्रा, कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4% जीआर (केलडान) @ 7.5 किग्रा, या फिप्रोनिल 0.3% जीआर (फैक्स, रीजेंट), फिपनोवा 7.5 किग्रा क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 4% जीआर (फरटेरा) @ 4 किग्रा को आपस में मिलकर मिट्टी में प्रयोग करें।

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मध्य भारत में भारी बारिश की संभावना, देखें संपूर्ण देश का मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल के लिए बारिश का इंतजार लगभग समाप्त होने वाला है अब जल्दी ही इन सभी राज्यों को अच्छी बारिश मिलेगी। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात तथा उड़ीसा के कई जिलों में तेज बारिश जारी रहेगी। तेलंगाना के उत्तरी जिलों में भी अच्छी बारिश के आसार हैं।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर जरूर करें।

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देश के विभिन्न मंडियों में 20 जुलाई को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

17

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

20

गुवाहाटी

प्याज़

21

गुवाहाटी

प्याज़

22

गुवाहाटी

लहसुन

22

27

गुवाहाटी

लहसुन

28

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

गुवाहाटी

लहसुन

23

26

गुवाहाटी

लहसुन

27

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

लखनऊ

प्याज़

10

11

लखनऊ

प्याज़

12

13

लखनऊ

प्याज़

14

लखनऊ

प्याज़

15

16

लखनऊ

प्याज़

10

लखनऊ

प्याज़

12

लखनऊ

प्याज़

15

लखनऊ

प्याज़

17

लखनऊ

लहसुन

15

लखनऊ

लहसुन

30

लखनऊ

लहसुन

30

38

लखनऊ

लहसुन

45

50

रतलाम

अदरक

22

24

रतलाम

आलू

21

23

रतलाम

टमाटर

28

30

रतलाम

हरी मिर्च

48

52

रतलाम

कद्दू

15

18

रतलाम

भिन्डी

25

28

रतलाम

नींबू

25

35

रतलाम

फूलगोभी

15

16

रतलाम

बैंगन

13

16

रतलाम

आम

30

33

रतलाम

आम

40

45

रतलाम

आम

30

34

रतलाम

पपीता

14

16

रतलाम

खीरा

14

15

रतलाम

करेला

32

35

रतलाम

शिमला मिर्च

28

30

रतलाम

केला

26

30

रतलाम

प्याज़

3

6

रतलाम

प्याज़

6

9

रतलाम

प्याज़

9

12

रतलाम

प्याज़

12

13

रतलाम

लहसुन

7

12

रतलाम

लहसुन

13

22

रतलाम

लहसुन

22

32

रतलाम

लहसुन

32

44

आगरा

टमाटर

23

आगरा

हरी मिर्च

35

आगरा

बैंगन

20

आगरा

करेला

20

आगरा

फूलगोभी

18

आगरा

शिमला मिर्च

15

आगरा

पत्ता गोभी

16

आगरा

भिन्डी

30

आगरा

आलू

19

आगरा

लौकी

20

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मध्यप्रदेश मंडियों में क्या चल रहे टमाटर के भाव?

आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बड़वानी, हरदा, खरगोन, देवास, धार और हाटपिपलिया आदि में क्या चल रहे हैं टमाटर के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में टमाटर के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अलीराजपुर

1000

3000

बड़वानी

1200

1200

ब्यावरा

900

1500

ब्यावरा

900

1100

दमोह

2500

2500

देवरी

900

1300

देवास

400

1200

देवास

400

1200

धामनोद

1000

1800

धार

1500

1650

गुना

700

1000

गुना

600

850

हाटपिपलिया

1400

2200

हाटपिपलिया

1400

2400

हरदा

1000

1500

हरदा

1200

1800

इंदौर

600

2000

इंदौर

600

2000

जबलपुर

2300

3000

खरगोन

500

1500

खरगोन

500

1000

मनावर

1500

1700

मनावर

1500

1700

मन्दसौर

1400

2900

मन्दसौर

1000

2440

मुलताई

500

1200

मुलताई

500

1500

नरसिंहगढ़

400

850

नरसिंहगढ़

480

800

पंधाना

700

900

पेटलावाद

800

1200

पिपरिया

650

2300

पिपरिया

700

2300

राजगढ़

1500

2000

सबलगढ़

600

600

सांवेर

1275

1625

सेंधवा

1500

2000

सिंगरोली

2000

2000

सिराली

4000

4000

स्योपुरकलां

2000

3000

थांदला

1200

1800

टिमरनी

2500

2500

स्रोत: एगमार्कनेट प्रोजेक्ट

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  टमाटर जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। वीडियो पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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सोयाबीन में बोखनी की समस्या एवं निवारण

बोखनी (कोमेलिना बैंगालेंसिस), यह बहुवर्षीय चौड़ी पत्ती वाला खरपतवार है, इसे स्थानीय भाषा में  केना, बोकानदा, बोखना/बोखनी, कानकौआ आदि के नाम से जानते हैं। ये सोयाबीन के अलावा मक्का, धान आदि फसलों में भी अधिक देखने को मिलता है।  इसे नियंत्रित करना विशेष रूप से कठिन है, क्योंकि जमीन के ऊपर और मिट्टी के नीचे, तने के टूटे हुए टुकड़े आसानी से जड़ पकड़ लेते हैं। सोयाबीन की बेहतर फसल उत्पादन के लिए खरपतवार प्रबंधन समय – समय पर करना बहुत आवश्यक होता है। 

इससे फसलों में होने वाले नुकसान 

ये हवा, पानी, सूर्य का प्रकाश , खाद, पोषक तत्व आदि को ग्रहण कर लेते हैं,  जिससे की मुख्य फसल  के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। जिससे सोयाबीन की बढ़वार कम होती है और पौधा कमजोर रह जाता है। इसे आरम्भिक अवस्था में यदि नियन्त्रित न किया जाये, तो उपज में 40 से 50 % तक की गिरावट देखी जा सकती है। 

नियंत्रण के उपाय 

यांत्रिक विधि : सोयाबीन से अच्छे उत्पादन के लिए, फसल में पहली निराई, बुवाई के 15-20 दिन बाद और दूसरी निराई बुवाई के 40-45 दिनों बाद करनी जरूरी हो जाता है।

रासायनिक विधि :  बोखनी या बोखना के अच्छे नियंत्रण  के लिए अंकुरण के 12 से 20 दिन के अंदर 2 से 3 पत्ती की अवस्था में खरपतवार नाशक का उपयोग करें। क्लोबेन (क्लोरिमुरॉन एथिल) @ 15 ग्राम या वीडब्लॉक(इमिजाथापर 10 % एस एल) @ 400 मिलि + सिलिको मैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 – 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। छिड़काव के समय फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें एवं खेत में नमी बनाये  रखे। 

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे प्याज़ के ताजा भाव ?

onion Mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे देवास, हरदा, खरगोन, जबलपुर, रतलाम और मनावर आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

देवास

400

1200

हरदा

600

800

हरदा

500

750

जबलपुर

800

1200

खरगोन

800

2000

खरगोन

500

1500

मनावर

900

1100

मनावर

900

1100

रतलाम

430

1401

सांवेर

750

1150

सीहोर

200

1263

शुजालपुर

500

1375

थांदला

900

1000

स्रोत: एगमार्कनेट

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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अनानास की खेती से कमाएं लाखों रूपए, ऐसे बढ़ाएं फसल पैदावार

बीते सालों में कृषि क्षेत्र में काफी बदलाव देखने को मिला है। समय और श्रम दोनों की बचत के साथ पारंपरिक खेती ने आधुनिक खेती का रूप ले लिया है। आधुनिकता से जुड़कर किसान फल और सब्जियों की खेती के जरिए खूब मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं अगर इनका चयन सोच समझकर किया जाए तो, बंपर पैदावार के साथ बढ़िया कमाई की जा सकती है।

इन्हीं में से एक अनानास की फसल है। जिसकी खेती साल के बारह महीने होती है। ऐसे में इस फल की खेती करना फायदे का सौदा है। वैसे तो भारत में प्रमुख तौर पर आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, केरल और असम में पारंपरिक रूप से अनानास की खेती की जा रही है। वहीं अब दूसरे प्रदेशों में भी अनानास की खेती होनी शुरू हो गई है। 

खेती के लिए जरूरी जलवायु और मिट्टी

अनानास की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट होनी चाहिए। साथ ही इसकी बढ़िया पैदावार के लिए मिट्टी का पी.एच. स्तर 5 से 6 बीच में होना चाहिए। कहने का मतलब यह है कि अच्छी उपज के लिए पर्याप्त नमी और आर्द्रता के साथ गर्म जलवायु होना जरूरी है। बता दें कि ऐसे गर्म इलाकों में अनानास की खेती सालभर की जा सकती है। हालांकि बाकी इलाकों में साल में दो बार इसकी खेती की जा सकती है। पहली फसल जनवरी से मार्च महीने के बीच और दूसरी फसल मई से जुलाई महीने के बीच बोयी जा सकती है।

एक हेक्टेयर भूमि में एक बार में 16 से 17 हजार अनानास के पौधे लगाए जा सकते हैं। जिनसे करीब 3 से 4 टन फल प्राप्त होता है। जिसका बाजार में दाम 150 से 200 रूपए प्रति किग्रा होता है। वहीं अनानास का एक फल का वजन 2 किग्रा के करीब होता है। दूसरी ओर भारत के अनानास की दुनियाभर में भी खूब मांग है। ऐसे में किसान भाई एक बार में ही अनानास की खेती करके के बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। 

स्रोत: वायएस

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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सोयाबीन में पत्ती खाने वाली इल्ली के रोकथाम के उपाय

सोयाबीन की फसल में जिस प्रकार रस चूसक कीटों का प्रकोप होता है, ठीक उसी प्रकार इल्लियाँ जैसे तम्बाकू की इल्ली,सेमीलूपर,ग्राम पॉड बोरर आदि का प्रकोप बहुत अधिक होता है। ये सोयाबीन की फसल में तना, फूल एवं फल को नुकसान पहुंचाते हैं। 

सेमीलूपर  :- सेमीलूपर सोयाबीन की फसल पर बहुत अधिक आक्रमण  करता है। सोयाबीन की फसल की कुल उपज में  30-40% तक  हानि का कारण बनता है। सोयाबीन की फसल के प्रारंभिक चरणों से ही इसका प्रकोप हो जाता है। यह फसल की इस अवस्था में  बहुत प्रभावित करता है और यदि इस इल्ली का प्रकोप  फली या फूल वाली अवस्था में होता है तो, इससे सोयाबीन की उपज में काफी नुकसान होता है। इल्ली का  प्रकोप आमतौर पर जुलाई के अंत और सितंबर माह के शुरुआत तक होता है।

बिहार हेयरी कैटरपिलर (स्पाइलोसोमा ओबलीकुआ) :-  

नवजात इल्लियाँ झुंड में रहती हैं  एवं सभी एक साथ मिलकर  पत्तियों पर  आक्रमण  करके हरे भाग को खुरच कर खा जाती  है। एवं बाद में पूरे पौधे पर फैल कर सम्पूर्ण पौधों को नुकसान पहुंचाती है। इन इल्लियों के द्वारा खाये गये पत्तियों पर सिर्फ जाली ही रह जाती है।

तम्बाकू की इल्ली

इस कीट के लार्वा सोयाबीन की पत्तियों को खुरचकर पत्तियों कें क्लोरोफिल को खाते हैं, जिससे खाये गए पत्ते पर सफ़ेद पीले रंग की रचना दिखाई देती है। अत्यधिक आक्रमण होने पर ये तना, कलिया, फूल और फलो को भी नुकसान पहुंचाते है। जिससे पौधों पर सिर्फ डन्डीया ही दिखाई देती है।

इनके नियंत्रण के लिए 

प्रोफेनोवा (प्रोफेनोफोस 50% ईसी) @ 400 मिली या नोवालक्सम (थायमेथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा-सायहालोथ्रिन 9.50 % जेडसी) @ 50 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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सोयाबीन में पोषक तत्वों की कमी

सोयाबीन खरीफ ऋतू में बोई जाने वाली प्रमुख फसल है। सोयाबीन की फसल की बढ़वार व अच्छे विकास में, पोषक तत्वों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। पोषक तत्व की कमी के कारण पौधो की पूरी तरह से विकास नहीं होता है फलस्वरूप बढ़वार रुक जाती है और फूल फलियां भी कम लगते हैं। जिससे  उत्पादन में गिरावट आ सकती है। साथ ही इन पोषक तत्व की कमी के कारण पौधों में शारीरिक विकार हो सकते हैं, जैसे – आयरन की कमी के कारण पौधों में हरिमाहीनता हो जाती है। 

इसके पूर्ति हेतु फसलों में संतुलित मात्रा में सूक्ष्म एवं मुख्य पोषक तत्वों की, समय-समय पर छिड़काव किया जाना चाहिए। इस अवस्था में वानस्पतिक विकास के लिए, पानी में घुलनशील उरवर्क दयाल (अनमोल) 19:19:19 @ 1 किग्रा +  मिक्सॉल (लौह, मैंगनीज, जस्ता, तांबा, बोरॉन, मोलिब्डेनम) @ 250 ग्राम + विगरमैक्स जेल गोल्ड (वानस्पतिक अर्क, समुद्री शैवाल) @ 400 ग्राम, 150 से 200 लीटर पानी  के हिसाब से छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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