अगले 10 दिन कई राज्यों में होगी भीषण बारिश, देखें मौसम पूर्वानुमान

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अगले 10 दिनों के दौरान देश के पश्चिमी तटों सहित मध्यप्रदेश, विदर्भ, उत्तरी मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण पूर्वी राजस्थान और गुजरात के कई जिलों में मूसलाधार बारिश हो सकती है। उत्तर तथा पूर्वी भारत में भी बारिश की गतिविधियों में बढ़ोतरी संभव है। तेलंगाना सहित उत्तरी आंध्र प्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश के असर दिखाई दे रहे हैं।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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अगले हफ्ते किन फसलों के भाव में आएगी तेजी, देखें विशेषज्ञ समीक्षा

The prices of which crops will increase in the coming week

वीडियो के माध्यम से जानें आने वाले दिनों में किस फसल के भाव में आ सकती है तेजी।

वीडियो स्रोत: मार्केट टाइम्स टीवी

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर जरूर करें।

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सोयाबीन की फसल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?

किसान भाइयों, सोयाबीन की उच्च पैदावार के लिए उचित पोषण प्रबंधन और उर्वरकों का प्रयोग बहुत आवश्यक है। सोयाबीन में पोषक तत्वों की मांग फसल बढ़वार से लेकर बीज भराव तक अधिकतम होती है। 

बुवाई के 1 सप्ताह पूर्व खेत की तैयारी करते समय गोबर की खाद 4 टन + कालीचक्र (मेट्राजियम) @ 2 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में डालें।

बुवाई के समय सोयाबीन समृद्धि किट (एक किट प्रति एकड़) “किट में शामिल उत्पाद हैं – प्रो कॉम्बिमैक्स (एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया) – 1 किलोग्राम + समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक (ट्राईकॉट मैक्स )- 4 किलोग्राम), सोयाबीन के लिए राइजोबियम (जैव वाटिका आर सोया)” – 1 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से अवश्य प्रयोग करें। 

साथ ही एमओपी 20 किलोग्राम, डीएपी 40 किलोग्राम, या (एसएसपी के साथ डीएपी 25 किलोग्राम), एसएसपी 50 किलोग्राम, अमोनियम सल्फेट/यूरिया एसएसपी के साथ 15/8 किलोग्राम), केलडान (कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड) 5 किलोग्राम या दंतोत्सु (क्लोथियानिडिन 50% डब्ल्यूडीजी 100 ग्राम, जिंक सल्फेट 3 किलोग्राम, सल्फर 90% डब्ल्यू जी 5 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से अवश्य प्रयोग करें।

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धान की फसल में सीधी बुवाई पद्धति में बियासी के फायदे

  • धान की अधिकांश खेती सीधी बुवाई विधि से की जाती है। इसमें वर्षा आरम्भ होने पर खेत की जुताई कर छिटकवां विधि से बीज बोने के पश्चात् देशी हल या पाटा चलाकर बीज ढँक दिया जाता है।

  • बुवाई के 30-35 दिन बाद, जब 10 से 15 इंच का पौधा हो जाता है, तथा 15-20 सेमी.पानी भरने के बाद, खड़ी फसल में बैल चालित हल से हल्की जुताई (बियासी) कार्य किया जाता है। 

  • इससे मिट्टी दलदली हो जाती है, जिससे फसलों की वृद्धि में मदद मिलती है। 

  • जहां प्रति इकाई अधिक पौधे हों वहां जुताई करने से पौधे जड़ से निकल आते हैं, उसके बाद जहां पौधों की संख्या कम हो वहां रोपाई की जा सकती है। 

  • अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत बियासी करना आवश्यक है, इससे खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता और वायु परिसंचरण में सुधार होता है।

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देश के विभिन्न मंडियों में 3 जुलाई को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

वाराणसी

प्याज़

10

11

वाराणसी

प्याज़

12

14

वाराणसी

प्याज़

14

15

वाराणसी

प्याज़

15

16

वाराणसी

प्याज़

10

11

वाराणसी

प्याज़

12

13

वाराणसी

प्याज़

15

वाराणसी

प्याज़

17

वाराणसी

लहसुन

15

वाराणसी

लहसुन

25

30

वाराणसी

लहसुन

32

36

रतलाम

आलू

22

23

रतलाम

टमाटर

30

35

रतलाम

हरी मिर्च

24

26

रतलाम

अदरक

28

30

रतलाम

कद्दू

10

14

रतलाम

आम

40

45

रतलाम

आम

32

रतलाम

आम

30

33

रतलाम

पपीता

14

16

रतलाम

प्याज़

4

6

रतलाम

प्याज़

8

11

रतलाम

प्याज़

12

14

रतलाम

प्याज़

14

15

रतलाम

लहसुन

7

14

रतलाम

लहसुन

15

24

रतलाम

लहसुन

26

34

रतलाम

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

21

गुवाहाटी

प्याज़

22

गुवाहाटी

लहसुन

22

27

गुवाहाटी

लहसुन

28

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

गुवाहाटी

लहसुन

23

26

गुवाहाटी

लहसुन

27

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

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भारी बारिश जारी रहने की है संभावना, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

2 जुलाई को मानसून ने पूरे भारत को कवर कर लिया है हालांकि इसकी सामान्य तिथि आठ जुलाई है। दिल्ली सहित उत्तर भारत के अधिकांश भागों में अब बारिश की गतिविधियां बहुत कम हो जाएंगी। 5 जुलाई से एक बार फिर दिल्ली पंजाब हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में बारिश बढ़ेगी। पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत में भी बारिश की गतिविधियों में कुछ कमी आ सकती है। मध्य प्रदेश पूर्वी राजस्थान और गुजरात के कई जिलों सहित महाराष्ट्र और कर्नाटक के तट पर भारी बारिश जारी रह सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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शादीशुदा लोगों को डाकघर की इस स्कीम से होगा दोहरा लाभ, जल्द करें आवेदन

हम भारतीय लोग खर्च करने से ज्यादा रूपए जोड़ने में विश्वास रखते हैं। ऐसे में हम अपने कीमती पैसों का निवेश ऐसी जगह करना चाहते हैं, जहां बचत के साथ लाभ भी मिले। शेयर बाजार में मुनाफा तो है, साथ ही जोखिम भी बहुत है। ऐसे में हम आपको निवेश करने का एक ऐसा विकल्प बताएंगे, जिसमें धन की सुरक्षा के साथ ही आपको रिटर्न की भी गारंटी मिलती है।

भारतीय डाकघर शादीशुदा लोगों के लिए ‘डाकघर मासिक आय योजना’ चला रहा है। इस योजना की मदद से ज्वाइंट अकाउंट के जरिए शादीशुदा लोग दोहरा लाभ उठा सकते हैं। इसमें आप कम से कम 1000 या ज्यादा से ज्यादा 4.5 लाख का निवेश कर सकते हैं। डाकघर की इस खास योजना से जुड़कर आप सालाना 59,400 रूपए तक की राशि कमा सकते हैं। अगर मासिक कमाई की बात करें, तो इसमें आप हर महीने 4950 रूपए तक कमा सकते हैं।

इसके साथ ही पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम के तहत आपको 6.6 फीसदी सालाना देय मासिक भी मिलेगा। हालांकि ज्वाइंट अकाउंट में ज्यादा से ज्यादा 9 लाख रूपए तक ही जमा कर सकते हैं। यह योजना रिटायर्ड कर्मचारियों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुत लाभकारी है। इस योजना के बारे में जानकारी लेने और आवेदन करने के लिए डाकघर की आधिकारिक वेबसाइट https://www.indiapost.gov.in/vas/Pages/IndiaPostHome.aspx पर जाएं।

स्रोत: कृषि जागरन

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे चने के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे खरगोन, खातेगांव, अशोकनगर और पिपलिया आदि में क्या चल रहे हैं चने के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में चना के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

खरगोन

4101

4450

खातेगांव

2801

7041

पिपलिया

3500

4230

अशोकनगर

4000

4575

गोटेगांव

4300

4360

खिरकिया

3799

4326

सिराली

4000

4200

स्रोत: मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड

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धान की खेती न करने पर किसानों को मिल रहा 7000 रूपए का अनुदान

देश के कई हिस्सों में लगातार गिरते भू जलस्तर के कारण पानी की समस्या खड़ी हो रही है। वहीं दूसरी ओर धान की खेती में सबसे ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है। ऐसे में पानी की आवश्यकता को देखते हुए राज्य सरकारें किसानों को इस बार धान की खेती न करने की सलाह दे रही हैं। इसी क्रम में धान की खेती को लेकर हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक अहम फैसला लिया है।

प्रदेश सरकार धान की खेती न करने वाले किसानों को 7 हजार रूपए की आर्थिक मदद करेगी। यह सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी। राज्य सरकार ने यह फैसला घटते भू जलस्तर को देखते हुए लिया है, ताकि पानी का ज्यादा इस्तेमाल होने से रोका जा सके। इसके साथ ही किसान भाईयों को नुकसान न हो इसलिए उन्हें 7 हजार रूपए की मदद दी जा रही है।

इसके अलावा जिन किसान भाईयों ने पिछली बार अपने खेत में धान की खेती की है और इस बार उन्होंने अपने खेत खाली छोड़ दिए हैं, तो उन किसानों को भी सरकार की तरफ से 7 हजार रुपए प्रति एकड़ खेत के हिसाब से अनुदान राशि दी जाएगी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसान ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरन

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जानिए, कपास की फसल में फेरोमोन ट्रैप क्यों लगाना चाहिए?

कपास, भारत की प्रमुख नकदी फसल है। इसे सफेद सोना भी कहते हैं। भारत में अनेक कीट-पतंगों और रोगों से कपास की पैदावार काफी कम मिलती है। कपास को अनेक किस्म की सुंडियों (पतंगों) से भी काफी नुकसान होता है। सुंडियों का प्रकोप उस वक़्त ज़्यादा होता है जब कपास के पौधे 50  से 65 दिन के हो जाते हैं। इससे बचाव का एकमात्र उपाय है फेरोमोन ट्रैप, जबकि बाकी रोगों और कीटों के लिए अन्य उपचार मौजूद हैं।

फेरोमोन ट्रैप के इस्तेमाल से सुंडियों की रोकथाम करके कपास के प्रति हेक्टेयर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

फेरोमोन ट्रैप क्या है:- फेरोमोन ट्रैप में अलग-अलग प्रजातियों के नर वयस्क कीटों को आकर्षित करने के लिए कृत्रिम रबर का ल्यूर (सेप्टा) लगाया जाता है। इसमें उसी प्रजाति के नर को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रसायन लगा होता है। आकर्षित नर पतंग ट्रैप में लगी प्लास्टिक की थैली में आने के बाद वहाँ फंसकर मर जाते हैं। फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग सुंडियों को ग़ैर-रासायनिक तरीके से खत्म करने का इकलौता तरीका है।

फेरोमोन ट्रैप से जुड़ी सावधानियां:-

  • ट्रैप में उपयोग होने वाले ल्यूर (सेप्टा) को 15 दिनों के बाद अवश्य ही बदलें।

  • ल्यूर बदलने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से अच्छी तरह अवश्य धो लें।

  • हर रोज़ सुबह लगाये गये सभी ट्रैप का निरीक्षण करें और फंसे हुए पतंगों का निरीक्षण करने के बाद ही उन्हें नष्ट करें, और सुझाये गये कीटनाशक का छिड़काव करें।

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