धान की फसल में सीधी बुवाई पद्धति में बियासी के फायदे

  • धान की अधिकांश खेती सीधी बुवाई विधि से की जाती है। इसमें वर्षा आरम्भ होने पर खेत की जुताई कर छिटकवां विधि से बीज बोने के पश्चात् देशी हल या पाटा चलाकर बीज ढँक दिया जाता है।

  • बुवाई के 30-35 दिन बाद, जब 10 से 15 इंच का पौधा हो जाता है, तथा 15-20 सेमी.पानी भरने के बाद, खड़ी फसल में बैल चालित हल से हल्की जुताई (बियासी) कार्य किया जाता है। 

  • इससे मिट्टी दलदली हो जाती है, जिससे फसलों की वृद्धि में मदद मिलती है। 

  • जहां प्रति इकाई अधिक पौधे हों वहां जुताई करने से पौधे जड़ से निकल आते हैं, उसके बाद जहां पौधों की संख्या कम हो वहां रोपाई की जा सकती है। 

  • अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत बियासी करना आवश्यक है, इससे खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता और वायु परिसंचरण में सुधार होता है।

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