मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे कैलारस, कालापीपल, लटेरी और पृथ्वीपुर आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

झाबुआ

2,150

2,150

पृथ्वीपुर

1,915

1,927

लटेरी

2,285

2,380

कैलारासो

1,975

2,015

श्योपुरबडोद

1,920

1,998

अजयगढ़

1,900

1,920

लटेरी

2,000

2,150

कालापीपाल

1,890

2,140

सिमरिया

1,820

1,900

भानपुरा

1,850

1,860

पचौरी

1,750

2,100

स्रोत: राष्ट्रीय कृषि बाजार

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। जानकारी पसंद आये तो लाइक और शेयर जरूर करें।

Share

सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण के उपाय

👉🏻किसान भाइयों, सोयाबीन एक प्रमुख तिलहनी फसल है। यदि समय रहते खररपतवारों का प्रबंधन न किया जाए तो इसके द्वारा सोयाबीन की फसल में 40% तक उत्पादन में कमी देखी गई है।

आज के विषय में हम खरपतवार नियंत्रण के उपाय के बारे में जानेगें :-

👉🏻सोयाबीन की फसल उगने से पूर्व बीज बुवाई के बाद और बीज अंकुरण होने से पहले खरपतवारनाशी दवाइयों का इस्तेमाल कर खरपतवारों से छुटकारा पा सकते हैं।

👉🏻बुवाई के 3-5 दिन के अंदर विल्फोर्स-32 (इमेजेथापायर 2% + पेन्डीमिथालीन 30% ईसी) @ 1 लीटर प्रति एकड़ 200  लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। एवं फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें। चौड़ी व सकरी पत्ती वाले खरपतवारों का कारगर नियंत्रण होता है।

👉🏻बुवाई के 3-5 दिन के अंदर मार्क/स्ट्रॉगआर्म (डिक्लोसुलम 84% डब्ल्यूडीजी) 12.4 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें एवं फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें।

खरपतवार नियंत्रण के फायदे 

👉🏻सोयाबीन की फसल में खरपतवारों को नष्ट करने से उत्पादन में लगभग 25 से 70 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। 

👉🏻भूमि में उपलब्ध पोषक तत्व में से 30 से 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 8-10 किग्रा फास्फोरस एवं 40 – 100  किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बचत होती है। 

👉🏻इसके अलावा फसलों का वृद्वि विकास तेजी से होता है तथा उत्पादन के स्तर में बढ़ोतरी होती है, साथ ही कीट एवं रोगों से बचाव होता है।

महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

जानिए, मिर्च की खेती में मल्चिंग के फायदे

👉🏻किसान भाइयों, मिर्च की खेती में लगायी गयी फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पौधे के चारों ओर घास या प्लास्टिक की एक परत बिछाई जाती है, जिसे मल्चिंग कहते है।

मल्चिंग (पलवार) दो प्रकार की होती है, जैविक एवं प्लास्टिक मल्च l 

प्लास्टिक मल्चिंग विधि:- जब खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक शीट द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है तो, इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है l इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है और फसल उत्पादन भी बढ़ता है l बता दें कि यह शीट कई प्रकार और कई रंग में उपलब्ध होती है।

 जैविक मल्चिंग विधि:- जैविक मल्चिंग में पराली पत्तों इत्यादि का उपयोग किया जाता है। इसे प्राकृतिक मल्चिंग भी कहा जाता है। यह बहुत ही सस्ती होती है। इसका उपयोग प्रायः जीरो बजट खेती में भी किया जाता है। पराली को न जलाएं बल्कि इसका उपयोग मल्चिंग में करें। मल्चिंग में इसका उपयोग करने से आपको पराली की समस्या से निजात के साथ अधिक उपज प्राप्त होगी।

 लाभ:-  मृदा में नमी संरक्षण एवं तापमान नियंत्रण में सहायक, हवा एवं पानी से मिट्टी का कटाव कम करना, पौधों के वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना, उत्पादकता में सुधार, भूमि की उर्वरा शक्ति एवं स्वास्थ्य में सुधार, खरपतवारों की वृद्धि को रोकना।

महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

पूरे देश में भारी बारिश का अनुमान, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

मानसून ने फिर से तेजी दिखाई है और कई राज्यों में आगे बढ़ने लगा है। इसके कारण कई क्षेत्रों में तेज बारिश हो रही है जिससे जून में जो अभी तक मानसून की कमी थी उसकी भरपाई होने की उम्मीद जाग गई है। उत्तर भारत में प्री मानसून गतिविधियां जारी रहेंगे। पूर्वी उत्तर पूर्वी तथा दक्षिण भारत में मानसून तेजी पकड़ेगा। मध्य भारत में भी कई स्थानों पर बारिश और मेघ गर्जना संभव है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर जरूर करें।

Share

केले व हल्दी की खेती ने बनाया लखपति, आप भी अपनाएं ये तकनीक

खेती योग्य भूमि का क्षेत्रफल हर बीतते साल के साथ कम होता जा रहा है, ऐसे में फसल उत्पादन पर भारी असर पड़ता दिख रहा है। इन मुश्किलों के बीच उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में रहने वाले किसान अमरेंद्र प्रताप ने एक बढ़िया तोड़ निकाल लिया है। सहफसली यानी मिश्रित खेती की तकनीक को अपनाकर वह लाखों की कमाई कर रहे हैं।

इस तकनीक के जरिए अमरेंद्र प्रताप एक ही खेत में कई तरह की फसलें उगा रहे हैं। इस समय उन्होंने अपने खेत में केले के साथ हल्दी की फसल लगाई है। बता दें कि केले की फसल और हल्दी की फसल एक साथ लगाने से दोनों फसलों के उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें तो केले की फसल में हल्दी की खेती फायदेमंद साबित होती है। 

केले की फसल के साथ हल्दी की खेती

पांच साल पहले बाराबंकी के अमरेंद्र ने एक हेक्टेयर रकबे में केले की फसल लगाई थी। इसके बाद आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए उन्होंने सहफसली खेती की शुरूआत की। जहां अमरेंद्र ने साढ़े चार हेक्टेयर में केले के साथ हल्दी की खेती की। इसकी मदद से अब वह प्रति हेक्टेयर भूमि से 10 लाख रूपए की शुद्ध कमाई के अलावा हल्दी की फसल से 3 -4 लाख रूपए का अतिरिक्त मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। 

इतना ही नहीं अमरेंद्र प्रताप केले, तरबूज, खरबूजा, खीरा, हल्दी और मशरूम जैसी करीब एक दर्जन फसलों की खेती कर रहे हैं। सहफसली तकनीक को अपनाकर इन्होंने अपनी खेती को मुनाफे वाला बना दिया है। अमरेंद्र प्रताप की इस कामयाबी के लिए उन्हें प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा उन्नतशील खेती के लिए सम्मानित किया जा चुका है। 

स्रोत: आज तक

कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

मध्यप्रदेश मंडियों में जानें क्या रहे चने के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे गौतमपुर, महू, खंडवा, खरगोन, धार और सनावद आदि में क्या चल रहे हैं चने के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में चना के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

गौतमपुरा

3,800

3,800

महू

4,261

4,326

खंडवा

3,851

4,225

खरगोन

3,600

4,420

सनावद

4,250

5,355

धार

3,200

4,740

देवास

1,650

1,771

पिपलिया

3,601

4,380

अशोकनगर

4,205

4,550

राघौगढ़

4,195

4,340

श्‍योपुरबड़ौद

4,091

4,271

छिन्दवाड़ा

800

1,000

सिवनी

4,100

4,100

बेगमगंज

3,800

4,450

खिरकिया

3,800

4,360

टिमरनी

3,800

4,316

टीकमगढ़

4,225

4,225

स्रोत: मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपने चना जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

मध्यप्रदेश मंडियों में 17 जून को क्या रहे प्याज़ के भाव?

Onion Mandi Bhaw

आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे मंदसौर, देवास, छिंदवाड़ा, जावरा, खंडवा और कालापीपल आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

छिंदवाड़ा

800

1000

देवास

300

1000

हाटपिपलिया

800

1200

जबलपुर

700

1100

जावरा

500

1200

कालापीपाल

210

1400

खंडवा

400

700

खरगोन

500

1500

खरगोन

500

1500

कुक्षी

500

900

मन्दसौर

120

1251

सबलगढ़

1000

1000

सैलान

150

1400

सांवेर

775

975

सतना

600

700

सेंधवा

265

600

थांदला

900

1000

टिमरनी

500

800

स्रोत: एगमार्कनेट

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

आगे बढ़ी पीएम किसान ई-केवाईसी की अंतिम तारीख, जानें पूरी प्रक्रिया

देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि व्यवसाय पर निर्भर है। ऐसे में किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इनमें से एक ‘पीएम किसान सम्मान निधि योजना’ है। इसके माध्यम से किसानों के खाते में सीधे तौर पर सलाना 6 हजार रूपए की राशि भेजी जाती है।

प्रति वर्ष हर चार माह के अंतराल में 2 हजार रूपए की तीन किस्त किसानों के खाते में भेजी जाती हैं। आंकड़ों के अनुसार देश के लगभग 10 करोड़ किसान परिवार इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। हालांकि अब सरकार ने योजना का लाभ उठाने के लिए ई-केवाईसी कराना अनिवार्य कर दिया है।

लेकिन डेड लाइन देने के बाद भी कई किसान ई-केवाईसी नहीं करवा पाएं हैं। ऐसे में सरकार ने राहत देते हुए इसकी अंतिम तारीख 31 मई से बढ़ाकर 31 जुलाई कर दी है। हालांकि डेडलाइन से पहले ई-केवाईसी न करवाने पर किसान भाई अगली किस्त से वंचित रह सकते हैं।

ई-केवाईसी कराने की प्रक्रिया

ई-केवाईसी के लिए पीएम किसान योजना की वेबसाइट pmkisan.gov.in पर जाएं। यहां दाईं तरफ फार्मर कॉर्नर के नीचे ई-केवाईसी टैब पर क्लिक करें। इसके बाद एक नया पेज ओपन होगा, यहां आधार नंबर डालकर सर्च टैब पर क्लिक करें। अब आपके आधार में रजिस्टर्ड मोबाईल नंबर पर ओटीपी आएगा, जिसे आपको सब्मिट करना है। इस तरह ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

स्रोत: आज तक

कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे पन्ना, कालापीपल, लटेरी और अजयगढ़ आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

पन्ना

1,850

1,860

कालापीपल

1,800

2,015

अलोट

1,960

2,050

पथरिया

1,801

1,979

कालापीपल

2,000

2,560

अजयगढ़

1,900

1,915

श्योपुरबड़ोद

1,959

2,001

लटेरी

1,715

1,925

आलमपुर

1,910

1,974

सिरोंज

1,850

2,900

लटेरी

2,345

2,730

स्रोत: राष्ट्रीय कृषि बाजार

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। जानकारी पसंद आये तो लाइक और शेयर जरूर करें।

Share

जानिए, कपास की खेती में ड्रिप सिंचाई का महत्व

👉🏻किसान भाइयों, ड्रिप इरिगेशन सिस्टम तकनीक की सहायता से कपास की फसल में 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। 

👉🏻इस विधि से फसलों की पैदावार में काफी हद तक वृद्धि देखी गई है। 

👉🏻फसलों को उगाने के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे कुशल जल और पोषक तत्व वितरण प्रणाली है। 

👉🏻यह पानी और पोषक तत्वों को सीधे पौधे की जड़ों के क्षेत्र में, सही मात्रा में, सही समय पर पहुंचता है। 

👉🏻प्रत्येक पौधे को ठीक से पोषक तत्व, पानी मिलता है, जब उसे इसकी आवश्यकता होती है।  

👉🏻ड्रिप सिंचाई से पानी, बिजली, श्रम एवं लागत की बचत होती है और आवश्यक उर्वरक की मात्रा में कमी आती है। 

👉🏻इसके उपयोग से खरपतवारों पर भी लगाम लगाई जा सकती है, इसके प्रयोग से आर्द्रता का स्तर भी अनुकूल बना रहता है।

महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share