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लहसुन की फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए द्वितीयक पोषक तत्व सल्फर एवं जिंक का प्रमुख योगदान रहता है।
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सल्फर फसल में एक अच्छे उर्वरक के साथ, कवकनाशी और कीटनाशक की तरह भी काम करता है। यह पौधे को भोजन बनाने में मदद करता है। सल्फर फसल में कई प्रकार के हानिकारक कवक, मकड़ी आदि के प्रकोप को नियंत्रित करता है।
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इसकी कमी को पूरा करने के लिए बुवाई के समय मिट्टी में बेंटोनाइट सल्फर 5 किलो प्रति एकड़ उपयोग कर सकते हैं या सिंगल सुपर फॉस्फेट 50 किलो प्रति एकड़ का उपयोग अनिवार्य रूप से कर सकते हैं। फसल की अच्छी और शीघ्र वृद्धि के लिए लिक्विड सल्फर 80% SC 400 मिली प्रति एकड़ की दर से फसल पर छिड़काव कर सकते हैं।
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जिंक भी आठ आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक हैं। इसकी कमी से लहसुन की फसल की पैदावार और गुणवत्ता बहुत हद तक प्रभावित होती है और फसल की उपज में 20% तक कमी आ जाती है।
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जिंक पौधे के विकास के लिए अहम होता है। यह पौधों में कई एंजाइमों और प्रोटीनों के संश्लेण में प्रमुख भूमिका निभाता है।
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इसके साथ साथ ज़िंक वृद्धि हार्मोन के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान करता है। परिणाम स्वरुप इंटर्नोड का आकर बढ़ता हैं।
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भूमि में जिंक सल्फेट 5 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करके इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
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