आपकी मिर्च फसल के लिए अगली गतिविधि

 बुवाई के 8 से 10 दिनों पहले -नर्सरी की तैयारी के लिए

खेत पर 10 किलो सड़ी गोबर की खाद (FYM) + DAP 1 किलो + हुमीक एसिड (मेक्सरूट) 50 ग्राम/प्रति वर्ग मीटर फैलाएं| उसके बाद 10 सेमी जमीन से उठी हुई और सुविधाजनक लम्बाई व चौड़ाई रख कर उठी हुई क्यारियों (बेड) तैयार करें। हल्की सिंचाई दें।

Share

आपकी मिर्च फसल के लिए अगली गतिविधि

रोपाई के 135-150 दिन बाद- इल्ली एवं रस चूसक कीट और कवक रोगों को नियंत्रित करने के लिए

इल्ली एवं रस चूसक कीट और कवक रोगों को नियंत्रित करने के लिए 00:00:50 1 किलो + पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC (प्रूडेंस) 250 मिली + मेटिराम 55% + पायराक्लोस्ट्रोबिन 5% WG (क्लच) 600 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलकर छिड़काव करे |

Share

इन योगासनों से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं और कोरोना से बचें

With these Yogas increase the body's immunity and avoid corona

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से पूरा भारत परेशान है। इस साल संक्रमण बहुत तेजी से फ़ैल रहा है। हालाँकि जिन लोगों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है उन्हें इस संक्रमण से ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है। आज के इस वीडियो में देखिये कुछ ऐसे योगासनों की जानकारी जो आपको कोरोना से बचाएंगे और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाएंगे।

वीडियो स्रोत: ज़ी न्यूज़

ये भी पढ़ें: कोरोना का टीका लगवाने के लिए घर बैठे करें रजिस्ट्रेशन, जानें पूरी प्रक्रिया

कृषि व कृषकों के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। नीचे दिए गए शेयर बटन पर क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ साझा करें।

Share

कम पानी में भी सब्जी वर्गीय फसल से ले सकते हैं अच्छा उत्पादन

How to make water available in vegetable crops during water shortage in the summer season
  • गर्मियों के मौसम में सब्जी वर्गीय फसलों की बहुत ज्यादा मांग होती है।

  • पर किसानों के पास सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं होता है इस कारण किसान सब्ज़ी वर्गीय फसलों से ज्यादा लाभ प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

  • सिंचाई के पानी की कमी होने पर भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए सब्जियों वाली फसलों की सीधे धूप वाली जगह पर बुआई नहीं करनी चाहिए।

  • फसल की सिंचाई की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए की कम पानी में भी फसल का उत्पादन अच्छे से हो पाए।

  • ड्रिप सिचाई, फव्वारा सिचाई या बागवानी पानी के बर्तन से भी सीधे पौधे की जड़ों के पास पानी दिया जा सकता है।

  • इस प्रकार कम पानी में भी अच्छी फसल उगाई जा सकती है।

अपनी फसल के खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

आज मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में हो सकती है बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

देश के कई राज्यों में प्री मॉनसून वर्ष हो रही है। 5 मई को मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों में बारिश की संभावना है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड पंजाब तथा हरियाणा और उत्तर प्रदेश के तराई वाले क्षेत्रों में भी बारिश की संभावना है। पूर्वी भारत में बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा तथा पूर्वोत्तर राज्यों में भी काल बैसाखी का प्रकोप है जिसके कारण भारी वर्षा हो सकती है।

वीडियो स्रोत: मौसम तक

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

जैविक कवकनाशी व जैविक कीटनाशक के प्रयोग से मिलते हैं कई कृषि संबंधित लाभ

Use of organic fungicides and organic pesticides gives many agricultural benefits
  • जैविक कवकनाशी तथा जैविक कीटनाशक कीटों, फफूंदों, जीवाणुओं एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद है।

  • यह फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों एवं व्याधियों से सुरक्षित कर उत्पादन बढ़ाने में सहयोग करते हैं।

  • जीवों एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद होने के कारण, जैविक कीटनाशक एवं फफूंद नाशक लगभग एक माह में भूमि में मिलकर अपघटित हो जाते हैं तथा उनका कोई अवशेष नहीं रहता। यही कारण है कि इन्हें पारिस्थितिकी मित्र के रूप में भी जाना जाता है।

  • जैविक उत्पादों के प्रयोग के तुरन्त बाद फलियों, फलों, सब्जियों की कटाई कर प्रयोग में लाया जा सकता है।

आधुनिक और स्मार्ट खेती से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहे ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

मध्यप्रदेश में इस तारीख तक चलेगा चना, मसूर और सरसों के उपार्जन का कार्य

Gram lentil and mustard will be procured in Madhya Pradesh till this date

मध्य प्रदेश में कोरोना मापदंडों के साथ साथ चना, मसूर, सरसों की खरीदी का काम चल रहा है। हालांकि कोरोना के बढ़ते आंकड़े की वजह से बहुत सारे किसान इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। इसी की वजह से अब प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने खरीदी की तारीखों को लेकर नया निर्णय लिया है।

कृषि मंत्री कमल पटेल ने इस विषय पर बात करते हुए कहा कि “कोरोना संकट को दृष्टिगत रखते हुए किसानों के हित में निर्णय लिया गया है कि अब चना, मसूर और सरसों का उपार्जन 25 मई तक किया जायेगा।” तो प्रदेश के किसान आगामी 25 मई तक अपनी सुविधा अनुसार अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे।

स्रोत: कृषक जगत

आधुनिक और स्मार्ट खेती से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहे ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

फसलों में नाइट्रोजन की कमी से नजर आएंगे ये लक्षण

nitrogen deficiency in crops
  • नाइट्रोजन की कमी से पौधों की पत्तियों का रंग हल्का पीला होने लगता है।

  • साथ ही इसकी कमी से पौधों का विकास भी रुक जाता है।

  • पौधों की निचली पत्तियां झड़ने लगना भी इसकी कमी का एक लक्षण है।

  • इसकी कमी से पौधों में कल्ले एवं फूल भी कम निकलते हैं।

  • नाइट्रोजन की कमी से फसल समय से पहले पक जाती है, पौधे लंबे एवं पतले दिखाई देते हैं।

आधुनिक और स्मार्ट खेती से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहे ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में 6 और 7 मई को होगी बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

मध्य प्रदेश के कई इलाकों में पिछले दो दिनों से छिटपुट बारिश देखने को मिल रही है। आगामी 6 और 7 मई को पुनः मध्य प्रदेश समेत मराठवाड़ा और विदर्भ के क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियां तेज हो जाएंगी।

वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

अगली फसल में नहीं होगा मकड़ी का प्रकोप, अपनाएँ ये बचाव उपाय

How do farmers protect the next crop from mites outbreak
  • किसान अपनी फसल में मकड़ी के प्रकोप को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। यदि पिछली फसल में मकड़ी का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में हुआ हो तो इसका असर नई फसल में भी दिखाई देता है।

  • पिछली फसल के अवशेषों को खेत में नहीं छोड़ना चाहिए, ऐसा करने से मकड़ी का हमला खेत की नई फसल में नहीं होता है।

  • दरअसल यही अवशेष नई फसल में मकड़ी के प्रकोप का कारण बनते हैं।

  • इसलिए फसल को मकड़ी से बचाने के लिए पिछली फसल के अवशेषों को खेत से दूर एक गड्ढा खोदकर उसमे डाल दें।

  • इसके बाद फसल अवशेषों पर डिकमपोज़र का छिड़काव करें एवं गड्ढे को मिट्टी से ढक दें।

  • इस प्रकार यह अवशेष खाद में परिवर्तित हो जाएंगे।

ऐसी ही फसल सुरक्षा के अन्य उपायों से संबंधित जानकारी के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ते रहें। इस लेख को अपने मित्रों से साझा करने के लिए नीचे दिए गए शेयर बटन पर क्लिक करें।

Share