आपकी मिर्च फसल के लिए अगली गतिविधि

रोपाई के बाद 11 से 15 दिनों में -थ्रिप्स एवं एफिड कीट के प्रबधन के लिए

वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ाने और इस समय फसल में तेला कीट एवं उकठा रोग का प्रकोप को रोकने के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट (विगरमैक्स जेल) 400 मिली + थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W (मिलड्यूविप) 300 ग्राम + थियामेंथोक्साम 25% WG (थायोनोवा 75)- 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।

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रोपाई के बाद 5 से 10 दिनों में – थ्रिप्स कीट के प्रबधन के लिए

खेत में थ्रिप्स, एफ़िड्स हमलों को नियंत्रण करने के लिए 10 नीला और पीला स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ में लगाये|

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रोपाई के बाद 3 से 5 दिनों में- पूर्व उद्भव खरपतवारो के नियंत्रण के लिए

अंकुरण से पहले खरपतवार के प्रबंधन के लिए पेण्डामैथलीन 38.7% CS (स्टोम्प एक्स्ट्रा) 700 मिली को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ का छिड़काव करें|

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रोपाई के बाद 1 से 10 दिनों में -आधारीय खुराक (बेसल डोज) और प्रथम सिंचाई

रोपाई के ठीक बाद पहली सिंचाई दें और उपरोक्त उर्वरक की बेसल खुराक मिट्टी में मिलाएं | यूरिया – 45 किग्रा, एसएसपी – 200 किग्रा, एमओपी- 50 किग्रा प्रति एकड़ इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैलाएं|

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रोपाई के दिन – कवक रोगो से बचाव के लिए रोपणी उपचार एवं रोपाई

मायकोरायझा 5 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर तैयार कर लें। ट्रांसप्लानिग से पहले पौधों की जड़ों को इस घोल में डुबोएं ताकि फफूंद जनित रोगों से बचा जा सके। फिर रोपाई को क्यारियों में 120 सेमी X 45-60 सेमी की दूरी पर रोपित करें। 

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रोपाई से 6 से 8 दिन पहले- उठी हुई क्यारियों (बेड) की तैयारी और मिर्च की पौध के मध्य दुरी

पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2 फुट रखते हुए कुंड और मेढ़ तैयार करें। यदि ड्रिप सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो खरपतवारों को रोकने और प्रकाश संश्लेषण क्रिया को बढ़ावा देने के लिए प्लास्टिक मल्च का इस्तेमाल करे|

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रोपाई के 9 से 10 दिनों पहले – रोपाई के लिए मुख्य खेत की तैयारी

5 मैट्रिक टन सड़ी गोबर की खाद मिर्च समृद्धि किट को अच्छी तरह से मिलाये और प्रति एकड़ की दर से खेत में बिखेर दे|

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बुवाई के 20-25 दिन बाद- नर्सरी में मकड़ी और फफूंद जनित रोगों का प्रबंधन

वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ाने और इस समय फसल में मकड़ी एवं फफूंदजनित रोग का प्रकोप रोकने के लिए ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, सीवीड एक्सट्रेक्ट (विगरमैक्स जेल) 40 ग्राम + मेटलैक्सिल 8% + मैंकोजेब 64% WP (संचार) 60 ग्राम+ अबामेक्टिन अबासीन 15 मिली प्रति पंप की दर से छिडकाव करे । 

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बुवाई के 10-15 दिन बाद- नर्सरी में थ्रिप्स प्रबंधन

थ्रिप्स और फफूंद रोग के प्रबंधन थियामेथोक्साम 25% WP (थायोनोवा) 10 ग्राम/पंप + थियोफैनेट मिथाइल 70% W / w (मिल्डूविप) 30 ग्राम /पंप का छिड़काव करें। बेहतर वनस्पतिक विकास के लिए ह्यूमिक एसिड (मेक्सरूट) 10 ग्राम / पंप दर से मिलाकर स्प्रे करे ।

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बुवाई के 1 दिनों पहले -बीज़ उपचार एवं बुवाई की तैयारी

बीज को मिट्टी में फफूंद से बचाने के लिए बीजों को कार्बोक्सिन 17.5%+ थायरम 17.5%(विटावैक्स पावर) 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63%(साफ) 3.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी (राइजोकेयर) 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस (मोनास कर्ब) 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। फिर बीज को तैयार उठी हुई क्यारियों (बेड) में छिटक दे |

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