मध्य प्रदेश में मौसम में होगा बदलाव, तापमान में होने वाली है बढ़ोतरी

Weather Forecast

एक विपरीत चकर्वर्तीय हवाओं का क्षेत्र मध्य प्रदेश के ऊपर बना हुआ है जिसके प्रभाव से मौसम पूरी तरह साफ़ रहने की उम्मीद है। दिन के समय में गर्मी बढ़ेगी साथ ही सुबह और शाम के तामपान में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

वीडियो श्रोत: स्काईमेट वेदर

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प्याज की 50 से 60 दिनों की फसल अवस्था में जरूर करें ये काम

Crop management in onion in 50 - 60 days
  • प्याज की फसल की इस अवस्था में तीन अलग-अलग रूपों में फसल प्रबंधन करना आवश्यक होता है।
  • कवक रोगों से रक्षा के लिए: पत्ती झुलसा रोग एवं बैगनी धब्बा रोग के निवारण के लिए क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC @ 400 मिली/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
    जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कीटों से रक्षा के लिए: रस चूसक कीटों एवं मकड़ी जैसे कीटों के नियंत्रण के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
    जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • पोषण प्रबंधन: प्याज़ की इस अवस्था में पोषण प्रबंधन के लिए 00:52:34@ 1 किलो/एकड़ और साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्व @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मिश्रित खेती करने से किसानों को मिलते हैं कई फायदे

How is inter-cropping beneficial o farmers?
  • मिश्रित खेती की प्रक्रिया को कृषि की तकनीकी भाषा में अंतरसस्य (इंटरक्रॉपिंग) कहते हैं।
  • इस प्रकार की खेती खेतों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने में मददगार होती है।
  • इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करने पर रासायनिक/उर्वरक के अनुप्रयोग में कमी आती है ।
  • मिश्रित फसल में खरपतवार, कीड़े और बीमारी की समस्या कम होती है।
  • अंतरसस्य (इंटरक्रोपिंग) में सब्जियों की फसलें कम अवधि में उच्च उत्पादन देती है।
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कद्दू वर्गीय फसलों में जैविक सूक्ष्म जीवाणु एजेटोबेक्टर के उपयोग से मिलेंगे कई लाभ

Benefits of the use of organic microbial culture Azotobacter in cucurbit crops
  • एज़ोटोबैक्टर स्वतंत्रजीवी नाइट्रोजन स्थिरिकरण वायवीय जीवाणु हैंं।
  • यह जीवाणु वातावरण के नाइट्रोजन को लगातार जमीन में जमा करता रहता है।
  • इसका उपयोग करने पर 20% से 25% तक कम नाइट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती है।
  • ये जीवाणु बीजों का अंकुरण प्रतिशत बढ़ा देते हैंं।
  • तने एवं जड़ों की संख्या और लंबाई बढ़ाने में भी यह सहायक होते हैं।
  • रोग आने की संभावना को भी यह कम करते हैं।
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धतूरे के उपयोग का जैविक खेती में मिलता है कई लाभ

Benefit of Dhatura (moonflower) in organic farming
  • धतूरा एक पादप है जो लगभग 1 मीटर तक ऊँचा होता है। इसके पेड़ काले-सफेद दो रंग के होते हैं।
  • धतूरा आम तौर पर ज़हरीला और जंगली फल माना जाता है।
  • इसके औषधीय गुणों के कारण इसका कृषि में भी काफी महत्व होता है।
  • इसकी पत्तियों को गोमूत्र एवं पानी में गलाकर उपयोग करने पर यह कीटनाशक की तरह कार्य करता है।
  • धतूरे का उपयोग पंचगव्य बनाने में भी किया जाता है।
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ग्रामोफ़ोन के को-फाउंडर हर्षित गुप्ता को फोर्ब्स की प्रतिष्ठित 30 Under 30 सूची में मिली जगह

Harshit Gupta in Forbes 30 Under 30 list

ग्रामोफ़ोन के को-फाउंडर हर्षित गुप्ता को विश्व प्रसिद्ध पत्रिका फोर्ब्स ने प्रतिष्ठित 30 Under 30 उद्यमियों की सूची में स्थान दे कर सम्मानित किया है। बता दें की फोर्ब्स पत्रिका हर साल ये सूची जारी करता है जिसमें 30 वर्ष की आयु से कम के 30 सफल उद्यमियों को शामिल किया जाता है।

हर्षित गुप्ता इस प्रतिष्ठित सूची में एग्रीटेक सेक्टर का नेतृत्व कर रहे हैं। बता दें की ग्रामोफ़ोन की शुरुआत साल 2016 में हुई और इसकी नीव IIM तथा IIT जैसे बड़े संस्थानों से निकले चार युवाओं ने हर्षित गुप्ता, तौसीफ खान, निशांत वत्स एवं आशीष सिंह ने रखी। आज ग्रामोफ़ोन से 6 लाख से अधिक किसान जुड़ें हुए हैं और यह संख्या हर रोज बढ़ रही है।

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में तापमान में आएगी गिरावट, जाने मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में उत्तरी हवाओं का प्रभाव देखने को मिलेगा जिसके कारण तापमान में भी गिरावट देखने को मिलेगी। इस कारण इस क्षेत्र में ठंड में थोड़ी वृद्धि देखने को मिल सकती यही।

स्रोत: स्काईमेट वेदर

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मटका खाद कैसे होता है तैयार और क्या हैं इसके फायदे

How is Matka Khad prepared and what are its benefits
  • जिस प्रकार नाडेप विधि, वर्मीकम्पोस्ट, बायो गैस आदि खाद बनने की विधि है ठीक उसी प्रकार मटका खाद बनने की भी एक सामान्य एवं सरल विधि है।
  • इस विधि के द्वारा अच्छी गुणवत्ता वाला खाद बनता है एवं यह कम खर्च में तैयार हो जाता है।
  • इसे तैयार करने के लिए गाय-भैंस का मूत्र, गुड़, एक मटका, पानी एवं गोबर की आवश्यकता होती है।
  • इन सभी सामग्रियों को आपस में मिलाकर मटके में डाल कर रखें एवं हर 2-3 दिनों में लकड़ी की सहायता से इसे हिलाते रहें।
  • इस प्रकार 7 से 10 दिनों में मटका खाद बनकर तैयार हो जाता है।
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लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलेपन की समस्या का ऐसे करें निवारण

What is the reason of yellowing of garlic and onion leaves
  • जिस प्रकार मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं, इसके कारण लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलेपन की समस्या बहुत अधिक आ रही है।
  • लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलापन कवक जनित रोगों, कीट जनित रोगों एवं पोषण संबधी समस्या के कारण भी हो सकता है।
  • यदि यह कवक जनित रोगों के कारण से होता है तो कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • पोषक तत्वों की कमी के कारण होने पर सीवीड@ 400 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कीटों के प्रकोप के कारण होने पर प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 80 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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तरबूज की फसल के बेहतर विकास के लिए महत्वपूर्ण है बोरान

Importance of Boron for Watermelon
  • तरबूज की फसल के लिए मुख्य रूप से 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमे बोरान एक प्रमुख आवश्यक पोषक तत्व है।
  • बोरान तरबूज के पौधे की जड़ों को विकृत नहीं होने देता है और लगातार जड़ों के विकास को बनाए रखता है।
  • बोरान की कमी से पत्तियों की आकृति विकृत हो जाती है, फल कम बनते हैं, पत्तियां एवं तने का विकास बहुत कम होता है एवं तरबूज का फल फटने लगता है।
  • फसल में बोरान पोषक तत्व की पूर्ति छिड़काव के द्वारा, ड्रिप के माध्यम से या खेत में बुआई पूर्व मिट्टी में मिलाकर पूर्ति की जा सकती है।
  • इसलिए मिट्टी की जांच के बाद बोरान का उपयोग करें, ध्यान रहे बोरान की अधिकता भी पौधे पर विषैला प्रभाव डालती है।
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