प्याज़ के पौध की खेत में रोपाई के समय करें पोषण प्रबंधन

Nutrition Management while transplanting onion nursery
  • प्याज़ की पौध को मुख्य खेत में लगाने से पहले पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • अतः इस बात का विशेष ध्यान रखते हुए रोपाई के समय खेत में सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होना आवश्यक है।
  • इस समय पोषण प्रबधन करने के लिए युरिया @ 25 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • युरिया का उपयोग नाइट्रोज़न स्रोत के रूप एवं फसल एवं मिट्टी में नाइट्रोज़न की कमी की पूर्ति के लिए किया जाता है। यह फसल की बढ़वार के लिए आवश्यक है।
  • इसी के साथ ग्रामोफ़ोन की पेशकश प्याज़ समृद्धि किट का उपयोग अच्छी वृद्धि एवं प्याज़ की फसल के अच्छे विकास के लिए किया जा सकता है।
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प्याज़ की खेत में रोपाई से पहले ऐसे करें पौध उपचार

How to treat onion seedlings before transplanting in the main field
  • जिस प्रकार प्याज़ की रोपाई के पूर्व मिट्टी उपचार आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार रोपाई के समय पौध उपचार करना भी बहुत आवश्यक होता है।
  • इससे जमीन में मौजूद अनुपलब्ध तत्व प्याज़ की फसल को प्राप्त होते है जो की प्याज़ की सामान एवं जल्दी वृद्धि के लिए सहायक होते हैं। 
  • जड़ों की अच्छी वृद्धि एवं विकास तथा सफ़ेद जड़ों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ साथ प्याज़ की फसल को अच्छी शुरुआत देने में भी पौध उपचार मददगार होता है। 
  • पौध उपचार करने के लिए माइकोराइजा @ 5 ग्राम प्रति लीटर का घोल तैयार करें। पौध को खेत से उखाड़ने के बाद, 10 मिनट के लिए इस घोल में डुबोएं और इसके बाद खेत में बुआई करें।
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बारिश के बाद अब बढ़ेगी ठंड, जानें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

देश के कई राज्यों में ठंड का असर अब देखने को मिलने लगा है। राजधानी दिल्ली और एनसीआर समेत देश के कई इलाकों में ठंड बढ़ने लगी है। हर रोज तापमान में गिरावट हो रही है।

बात करें अगले 24 घंटों के मौसम पूर्वानुमान की तो पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और विदर्भ में हल्की हल्की बारिश की गतिविधियाँ जारी रहेंगी। दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ हिस्सों में भी हल्की बारिश हो सकती है। पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में घने कोहरे के कारण कड़ाके की ठंड जारी रहने की संभावना है। दिल्ली में भी शीतलहर की आशंका है।

स्रोत: कृषि जागरण

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सरकार इन 6 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में

Government is preparing to ban these 6 pesticides

आगामी 31 दिसंबर 2020 से 6 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने वाली है। बताया जा रहा है की इन कीटनाशकों का उपयोग लोगों और जानवरों के लिए जोखिम भरा है।

ये छह कीटनाशक हैं

– अल्लाक्लोर (Alaclor)

– डिक्लोरवोस (Dichlorvos)

– फूलना (Phorate)

– फॉस्फैमिडन (Phosphamidon)

– ट्रायजोफॉस (Triazophos)

– ट्राइक्लोरफॉन (Trichlorfon)

इससे पहले सरकार ने 8 अगस्त 2020 से 12 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया था

ये 12 कीटनाशक हैं

– बेनामिल (Benomyl)

– कार्बेरिल (Carbaryl)

– डायज़िनॉन (Diazinon)

– फेनारिमोल (Fenarimol)

– दसवां

– लिनुरोन (Linuron)

– मेथॉक्सी एथिल मरक्यूरिक क्लोराइड (Methoxy Ethyl Mercury Chloride)

– मिथाइल पैराथियान (Methyl Parathion)

– सोडियम साइनाइड (Sodium Cyanide)

– थिओमेटोन (Thiometon)

– ट्राइडेमॉर्फ (Tridemorph)

– ट्राइफ्यूरलिन (Trifluralin)

स्रोत: कृषि जागरण

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प्याज़ की नर्सरी से खेत में रोपाई से पहले मुख्य खेत की तैयारी और मिट्टी उपचार

onion transplanting
  • प्याज़ की पौध को मुख्य खेत में लगाने से पहले मुख्य खेत की तैयारी करना बहुत आवश्यक होता है। 
  • खेत की तैयारी के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की खेत में सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होना आवश्यक है। 
  • खेत की तैयारी के लिए FYM @ 4-6 टन/एकड़ की दर से मिट्टी में कार्बन तत्व की पूर्ति के लिए खेत में भुरकाव करें। 
  • एसएसपी @ 60 किलो/एकड़ की दर से फॉस्फोरस, कैल्शियम, सल्फर तत्वों की पूर्ति लिए खेत में भुरकाव करें। 
  • DAP@ 25 किलो/एकड़ की दर से जड़ों के अच्छे वृद्धि एवं विकास के लिए खेत में भुरकाव करें।  
  • पोटाश @ 40 किलो/एकड़ की दर से फसल में एवं मिट्टी में पोटाश की पूर्ति के लिए खेत में भुरकाव करें।
  • इसी के साथ ग्रामोफ़ोन की खास पेशकश प्याज़ समृद्धि किट का उपयोग अवश्य करें।
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गेहूँ की खरीदी हेतु जनवरी माह से रजिस्ट्रेशन हो जाएगी शुरू

Registration will be started from January to purchase wheat

किसान फिलहाल गेहूँ के फसल की बुआई में लगे हैं। कई क्षेत्रों में बुआई पूरी हो गई है तो कई क्षेत्रों में बुआई अभी भी चल रही है। ऐसे में हरियाणा सरकार अगले साल किसानों से गेहूँ की खरीदी के लिए अभी से ही तैयारी में लग गई है।

इस बार बार किसान ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ के तहत एक जनवरी से गेहूँ बिक्री हेतु पंजीकरण करा सकेंगे। सरकार किसानों हेतु कॉल सेंटर भी बनाने वाली है जिसके माध्यम से किसानों को खरीदी सम्बन्धी जानकारियाँ दी जायेगी।

स्रोत: भास्कर

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मध्यप्रदेश में हो रही बारिश में आ सकती है कमी, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की तरफ से आ रही आद्र हवाओं के कारण मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से बरसात हो रही है। इस बरसात में आने वाले दिनों में कमी आने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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मौसम परिवर्तन से फसलों में कवक जनित रोग का है खतरा, जानें सुरक्षा उपाय

Risk of fungal diseases in crops due to weather change

मौसम में लगातार होने वाले परिवर्तन के कारण प्याज़, लहसुन, आलू एवं सब्ज़ी वर्गीय फसलें बहुत अधिक प्रभावित होती हैं। इस प्रभाव के कारण सबसे पहले फसल में पत्ते पीले दिखाई देते हैं और किनारों से सूखने लग जाते हैं। आलू एवं सब्जी वर्गीय फसलों में छेती अंगमारी, पत्ती धब्बा रोग, डाउनी मिल्डू जैसे रोगों का प्रकोप होता है। मौसम की विपरीत परिस्थिति के कारण फसल को होने वाले नुकसान से फसल को बचाने के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग बहुत आवश्यक होता है।

प्रबंधन:

  • कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़
  • या मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 4% WP @ 500 ग्राम/एकड़ या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली/एकड़
  • या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/P@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इसी के साथ हर छिड़काव के साथ स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें। स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस को कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP के साथ उपयोग ना करें।
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मौसम परिवर्तन से होने वाले इल्लीवर्गीय कीटों के प्रकोप से फसलों का ऐसे करें बचाव

मौसम में अचानक हुए परिवर्तन के कारण रबी सीजन की सब्जी वर्गीय फ़सलों के साथ साथ आलू, गेहू, चना आदि फसलों में इल्लियों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होने की सम्भावना रहती है। कम तापमान एवं अधिक नमी वाले मौसम में इल्लियां अंडो से बाहर निकलती है एवं इनके शिशु फसलों की पत्तियों, तने, फलों, फूलों आदि को कुतर कर फसलों को बहुत नुकसान पहुँचाती है।

इस तरह के मौसम में हरी इल्ली, तम्बाकू की इल्ली, फल छेदक आदि इनके नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग बहुत प्रभावशाली होता है।

नियंत्रण: इन इल्ली वर्गीय कीटों के निवारण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

हर छिड़काव के साथ जैविक उपचार रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से अवश्य उपयोग करें।

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में अभी और गिरेगा तापमान, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

सर्दियों के मौसम ने पहाड़ी क्षेत्रों में दस्तक दे दी है और इसी का असर अब धीरे धीरे मैदानी क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। इसके कारण कई जगहों पर मौसम के मिज़ाज में बदलाव देखने को मिला है। मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में पिछले दो-तीन दिनों से हलकी बारिश देखने को मिल रही है और तापमान में भी गिरावट हुई है।

आगामी कुछ दिनों में हालांकि बारिश तो बंद होगी पर तापमान के और गिरने की संभावना जताई जा रही है। आगामी 24 घंटों के दौरान जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में न्यूनतम तापमान में कमी की संभावना है।

इसके अलावा कोंकण गोवा और मध्य महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश तथा गरज-चमक के साथ बौछारें गिरने का अनुमान है। वहीं उत्तरी मध्य प्रदेश, उत्तरी छत्तीसगढ़, तटीय कर्नाटक, केरल और अरुणाचल प्रदेश में भी कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है।

स्रोत: कृषि जागरण

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