किसानों के खातों में पहुँचने लगी है पीएम किसान की सातवीं क़िस्त, चेक करें अपना स्टेटस

7th installment of PM Kisan has started reaching the accounts of farmers

1 दिसंबर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में 7वीं किस्त के 2000 रुपये आने शुरू हो गए हैं। गौरतलब है कि पीएम किसान योजना के तहत केंद्र सरकार देश के किसानों को आर्थिक मदद करने के लिए हर साल 6,000 रुपये प्रदान करती है। ये पैसे किसानों के खाते में तीन किस्तों में भेजे जाते हैं। सरकार अभी तक किसानों के खातों में छह किस्तों का पैसा भेज चुकी है। इसकी सातवीं किस्त अब किसानों के खातों में जा रही है।

अगर किसी किसान ने इस योजना से रजिस्ट्रेशन करवाया है पर उसके खाते में रकम नहीं पहुंची है तो वो अपना स्टेटस ऑनलाइन माध्यम से चेक कर सकता है।

अपना स्टेटस चेक करने के लिए :

  • योजना की अधिकारिक वेबसाइट ? pmkisan.gov.in पर जाएँ और फार्मर कॉर्नर पर क्लिक करें। इसके बाद आपको लाभार्थी की स्थति दिखाई देगा। अब आप उस पर क्लिक कर दें।

  • लाभार्थी की स्थति पर क्लिक करने के बाद आपको अपना आधार नंबर, खाता नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।

  • इतना करने के बाद आपको इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि आपका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों की सूची में है या नहीं।
  • अगर आपका नाम इस लिस्ट में है और उसमें किसी प्रकार की गलती नहीं है, तो आपको योजना का लाभ जरूर मिलेगा।
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किसानों को सस्ते ईंधन से होगा लाभ, सरकार शुरू करेगी नई योजना

Farmers will benefit from cheap fuel

आने वाले भविष्य में ईंधन की किल्लत न हो इसलिए सरकार वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों की तरफ ध्यान दे रही है। इसी कड़ी में अब पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय एक ऐसी योजना शुरू करने की तैयारी में है जिससे सस्‍ता और स्‍वच्‍छ ईंधन तैयार किया जाएगा। यह ईंधन पांच हजार कॉम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट से तैयार किया जाएगा और इन प्लांट में निवेश के लिए केंद्र सरकार दो लाख करोड़ रुपए का बड़ा निवेश करेगी। इस प्लांट में जैव और फसल अवशेषों से ईंधन तैयार किया जाएगा। 

इस योजना से किसानों के साथ साथ देश के अन्य व्यापारी क्षेत्रों को भी सस्ता ईंधन मिल सकेगा। खासकर के किसानों को सस्ता ईंधन मिलने से कृषि खर्च कम होगा और आय में वृद्धि होगी। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस विषय से जुड़े एमओयू पर हस्ताक्षर करते हुए कहा है कि ‘जैव और फसल अवशेषों से तैयार होने वाले ईंधन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। जिससे किसानों को फसल अवशेषों से भी काफी फायदा होने वाला है।”

स्रोत: कृषि जागरण

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ऐसे करें लहसुन में जड़ सड़न की समस्या का निदान

How to prevent root rot problems in garlic crops
  • लहसुन की फसल में मौसम में हो रहे परिवर्तन एवं वातावरण में नमी के कारण बहुत सारी समस्या आ रही है।
  • इसके कारण लहसुन की पौधों में जड़ सड़न की समस्या बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है।
  • इस रोग के कारण पौधे की बढ़वार रुक जाती है तथा पत्तियों पर पीलेपन को समस्या सामने आती है तथा पौधा ऊपर से नीचे की ओर सूखता चला जाता है।
  • संक्रमण के प्रारंभिक चरण में, पौधों की जड़ें सूखने लगती हैं, बल्ब के निचले सिरे सड़ने लगते हैं और अंततः पूरा पौधा मर जाता है।
  • इस समस्या के समाधान के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ या 400 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम की दर छिड़काव करें।
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खुशखबरी: मध्य प्रदेश में आर्मी कैंटीन की तर्ज पर सरकार खोलेगी किसान कैंटीन

Government will open farmer canteens in Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश की शिवराज चौहान सरकार सेना के लिए ख़ास तौर पर बनाये जाने वाले आर्मी कैंटीन की तर्ज पर किसान कैंटीन बनाने की तैयारी में है। खबर है की ये किसान कैंटीन राज्य की ए क्लास मंडियो में खोले जाने का प्रस्ताव है। यह जानकारी मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने दी है।

कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि ‘सभी सुविधाओं से युक्त मंडियां बनाई जा रही हैं। किसान मंडियों में अपनी उपज बेचकर खाली ट्रॉली लेकर मंडी से जाता है। लेकिन अब खाद-बीज, घर का सामान, पेट्रोल से लेकर तमाम अच्छी गुणवत्ता की चीजें उसे मंडियों में ही मिलेंगी। किसान को खरीदारी के लिए यहां से वहां नहीं भटकना पड़ेगा। मंडियों में शॉपिंग मॉल बनाए जाएंगे।

स्रोत: ज़ी न्यूज़

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दिसंबर के शुरुआत में आलू को अगेती झुलसा रोग से होगा नुकसान

Early blight management in potato crop
  • आलू की फसल में पौधे जलने की समस्या अगेती झुलसा रोग के कारण होती है।
  • इस रोग का प्रकोप दिसंबर महीने की शुरुआत में आलू की फसल में होता है।
  • यह रोग आल्टरनेरिया सोलेनाई नामक फफूंदी के कारण होता है।
  • इसके कारण पत्तियों पर गोल अंडाकार या छल्ले युक्त धब्बे बन जाते हैं जो भूरे रंग के होते हैं।
  • ये धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़ने लगते हैं और पूरी पत्ती को ढक लेते हैं जिससे आखिर में रोगी पौधा मर जाता है।

रासायनिक उपचार:
एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP@ 600 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

जैविक उपचार:
ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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