- स्यूडोमोनास एक जैविक कवकनाशी है जो जीवाणुनाशी की तरह भी कार्य करता है।
- स्यूडोमोनास दरअसल पौधे में लगने वाले हानिकारक कवक के साथ-साथ रबी मौसम में लगाई जाने वाली फसलों को प्रभावित करने वाले पाले की समस्या से भी बचाती है।
- यह एक ऐसा बैक्टीरिया है जो बहुत अधिक कम तापमान में भी जीवित रह लेता है जिसके कारण फसलों में लगने वाले पाले से फसल की सुरक्षा होती है।
- आपको पता होगा की पाले का प्रकोप तापमान में गिरावट के कारण होता है और स्यूडोमोनास पाले के प्रभावी नियंत्रण में काफी लाभकारी सिद्ध होता है।
- स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से बुआई के 15-30 दिनों में छिड़काव के रूप में एवं मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से बुआई के 30-40 दिनों में छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
- तापमान अचानक से कम होने की स्थिति में या कोहरा अधिक होने की स्थिति में आवश्यकता होने पर ही इसका उपयोग करें।
टमाटर के लिए अति महत्वपूर्ण है कैल्शियम, जानें इसके फायदे
- टमाटर की फसल के लिए महत्वपूर्ण तत्वों में से एक होता है कैल्शियम।
- कैल्शियम दरअसल टमाटर की फसल में कोशिका विभाजन की प्रक्रिया को बढ़ाता है।
- इस प्रक्रिया के कारण टमाटर की फसल में फल उत्पादन बहुत अच्छा होता है।
- कैल्शियम तत्व टमाटर में होने वाले फल सड़न रोग (ब्लॉसम एन्ड रॉट) की रोकथाम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- टमाटर की फसल में ऊतकों की गतिशीलता को बढ़ाने में भी कैल्शियम बहुत मदद करता है।
गेहूँ के बाद अब धान की खरीदी में भी मध्यप्रदेश बना सकता है रिकॉर्ड
आपको पता होगा की समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी के मामले में मध्यप्रदेश ने सी बार पंजाब को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया था। अब ऐसी संभावना जताई जा रही है की धान की खरीद में भी मध्यप्रदेश अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ सकता है।
गौरतलब है की पिछले साल मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 25.86 लाख टन धान की खरीद हुई थी। वहीं इस बार 40 लाख टन धान की खरीदी किये जाने अनुमान है। बता दें की पिछले कुछ सालों में प्रदेश में कृषि क्षेत्र के लिए कई बड़े बदलाव किये गए हैं। प्रदेश में कृषि कैबिनेट बनाने जैसे कदमों से कृषि क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है। अब इन्ही सुधारों के नतीजे भी सामने आने लगे हैं।
स्रोत: नई दुनिया
Shareलहसुन की फसल में जलेबी बनने की समस्या एवं बचाव के उपाय
- लहसुन की फसल में जलेबी बनने की समस्या थ्रिप्स कीट के प्रकोप के कारण होती है।
- यह थ्रिप्स कीट सबसे पहले लहसुन की पत्तियों के नाजुक भाग को खुरच कर उसके रस को चूसने का काम करता है।
- इसके परिणाम स्वरूप लहसुन की पत्तियों के किनारे जलने की शिकायत आने लगती है और पूरे पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती है। इस तरह पौधा धीरे-धीरे सूखने लगता है।
- इसके कारण लहसुन की पत्तियां जलेबी के आकार में मुड़ने लगती हैं इसीलिए इस समस्या को जलेबी बनने की समस्या कहते हैं।
- इस रोग के निवारण के लिए प्रोफेनोफोस 50% EC@ 500 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP @ 300 ग्राम/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 250 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
प्याज़ एवं लहसुन में बुआई के 30-40 दिनों में ऐसे करें प्रबधन
- प्याज़ एवं लहसुन की फसल में बुआई के 30-40 दिनों बाद फसल पूर्ण वर्द्धि अवस्था में रहती है जिसके कारण प्याज़/लहसुन की फसल में कीट एवं कवक जनित रोगों का प्रकोप बहुत होता है। इनके नियंत्रण हेतु निम्र उपाय किया जाना बहुत आवश्यक है।
- कवक रोग नियंत्रण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कीट नियंत्रण लिए फिप्रोनिल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 ग्राम/एकड़ कीदर से छिड़काव करें।
- फसल के अच्छे वृद्धि एवं विकास के लिए यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + सूक्ष्म पोषक तत्व @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- इन सभी उत्पादों का उपयोग करने से प्याज़ एवं लहसुन की फसल का अच्छा विकास होता है एवं उत्पादन बहुत हद तक बढ़ जाता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से दें अपनी फसल को सुरक्षा, जल्द कराएं पंजीकरण
किसान रबी फसलों की बुआई के कार्य में लगे हैं। ऐसे में अपनी फसलों को भविष्य की प्राकृतिक आपदाओं से बचाने हेतु फसलों का बीमा करवाना भी जरूरी होता है। ऐसा करने से फसल क्षति होने पर उसकी भरपाई की जाती है। फसल क्षति की भरपाई के लिए ही सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाती है। इस योजना के अंतर्गत फसल की बुआई से लेकर कटाई के बाद तक की पूरे फसल चक्र में फसल की सुरक्षा होती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रबी 2020-21 के अंतर्गत पंजीकरण का कार्य शुरू हो गया है। ज्यादातर राज्यों में किसान 15 दिसम्बर 2020 तक बीमा करा सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत ऋणी एवं अऋणी किसान जो भू-धारक व बटाईदार हो सम्मिलित हो सकते हैं।
स्रोत: किसान समाधान
Shareप्याज़ समृद्धि किट के उपयोग से फसल को मिलते हैं कई लाभ
- प्याज की फसल के लिए ग्रामोफोन लेकर आया है प्याज़ समृद्धि किट।
- यह किट मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इससे मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक कवक खत्म होते हैं और पौधे को होने वाले नुकसान से भी बचाव होती है।
- यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
- यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती है, जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
- यह किट मिट्टी की संरचना में सुधार करके पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है और जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार कर के जड़ विकास को बढ़ावा देता है।
- यह जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है और मिट्टी में सूक्ष्म जीवो की गतिविधि को बढ़ावा देता है।
चने की फसल से अच्छी उपज प्राप्ति हेतु चना समृद्धि किट का करें उपयोग
- यह समृद्धि किट दरअसल खेत की मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- मिट्टी में पाए जाने वाली हानिकारक कवकों को खत्म करके यह पौधे को होने वाले नुकसान से बचाती है।
- यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
- यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है। इससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती हैं, और फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती हैं।
- मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी यह कम नहीं होने देता है। यह जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार से जड़ विकास को बढ़ावा देता है।
- जड़ों के द्वारा यह मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है, मिट्टी में सूक्ष्म जीवो की गतिविधि को बढ़ावा देता है।
पशुपालन क्षेत्र में विकास हेतु मध्यप्रदेश में बनेगी गौ कैबिनेट
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के द्वारा गौधन के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु गौ-कैबिनेट बनाने का फैसला किया है। इस कैबिनेट के अंतर्गत पशुपालन, वन, पंचायत तथा ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग को शामिल किया जायेगा। बता दें कि इस कैबिनेट की पहली बैठक आने वाले 22 नवम्बर को प्रस्तावित है। इसी दिन गोपाष्टमी का पावन पर्व भी मनाया जाता है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इससे पहले कृषि कैबिनेट भी बनाया था। इस कैबिनेट के निर्णयों पर अमल किया गया जिसका परिणाम कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के रूप में मिला। इसके अलावा किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ भी इससे मिला जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हुआ। अब ठीक इसी प्रकार गौ-कैबिनेट के निर्माण से गौ-सेवकों, पशु पालकों और किसानों को लाभ होगा।
स्रोत: द हिंदू
Shareचने में लगने वाली हरी इल्ली के नियंत्रण के उपाय
- चने की फसल कीट प्रकोप के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होती है क्योंकि यह रबी के कम तापमान वाले मौसम में लगायी जाती है।
- चने की फसल में हरी इल्ली का बहुत अधिक प्रकोप होता है, यह इल्ली हरे और भूरे रंग की हो सकती है। यह इल्ली चने की फसल की पत्तियों के पर्णहरित को खुरच कर खा जाती है।
- इसके प्रकोप के कारण चने की पत्तियों को बहुत अधिक नुकसान होता है एवं अविकसित फलों एवं फूलों को भी यह कीट बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
- इस कीट के निवारण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।
- जैविक उपचार रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।