प्याज़ की फसल में रोपाई के 15 दिनों में छिड़काव एवं पोषण प्रबंधन

Spray and nutrition and management in 15 days of onion transplanting
  • प्याज़ के अच्छे उत्पादन के लिए रोपाई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन एवं छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • उचित तरीके से पोषक तत्व प्रबंधन करने से प्याज़ के पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सही प्रकार से उपयोग किया जाता है एवं प्याज़ की फसल की जड़ें जमीन में अच्छे से फैल जाती हैं। इससे फसल में रोगों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता भी उत्पन्न हो जाती है। 
  • यूरिया @ 30 किलो/एकड़ + सल्फर 90% @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाकर रोपाई से पहले खाली खेत में भुरकाव करें।
  • यूरिया नाइट्रोज़न का स्रोत है साथ हीं सल्फर कवक जनित रोगों की रोकथाम के साथ ही साथ पोषक तत्व की पूर्ति करने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • कीट के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • अच्छी फसल वृद्धि एवं जड़ों के जमीन में अच्छे फैलाव के लिए ह्यूमिक एसिड @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।  
  • कवक जनित रोगों के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

ग्रामोफ़ोन के मार्गदर्शन में महज 1.5 साल में किसान की वार्षिक कमाई बढ़ कर हुई 25 लाख

साल 2016 में जब ग्रामोफ़ोन की शुरुआत हुई तब से लेकर अब तक 5 लाख से भी ज्यादा किसान ग्रामोफ़ोन से जुड़े हैं और इस जुड़ाव से किसानों की समृद्धि भी बढ़ रही है। इन्ही समृद्ध किसानों में से एक है खरगोन जिले के भीकनगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव पीपरी के निवासी शेखर पेमाजी चौधरी।

डेढ़ साल पहले टीम ग्रामोफ़ोन जब शेखर पेमाजी चौधरी से मिली थी तब उन्होंने अपने करेले के हरे भरे खेत दिखाए थे और बताया था की उन्होंने ग्रामोफ़ोन की सलाह पर अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाया और इसी कारण करेले की फसल से उन्हें करीब 8 लाख की कमाई हुई। इस शुरूआती सफलता के करीब डेढ़ साल बाद आज शेखर एक समृद्ध किसान हो गए हैं और अपने आसपास के अन्य किसानों के लिए एक आदर्श की तरह साबित हुए हैं।

पिछले दिनों जब एक बार फिर टीम ग्रामोफ़ोन शेखर से मिलने पहुंची तो उन्होंने अपनी समृद्धि के पीछे की बड़ी ही प्रेरक कहानी बताई। उन्होंने बताया की कैसे पिछले डेढ़ साल में उन्होंने अपने छह एकड़ के खेतों में अपनी मेहनत और ग्रामोफ़ोन की सलाहों की मदद से खेती की और सालाना 25 लाख की कमाई की। उन्होंने यह भी बताया की इस कमाई से उन्होंने 16 लाख का घर बनाया और 8 लाख की कार भी खरीदी। बता दें की शेखर जी की 25 लाख की कुल कमाई में करीब 12 लाख का कृषि खर्च आता है और 13 लाख का मुनाफ़ा उन्हें हर साल मिलता है।

शेखर जी की यह कहानी सभी किसान भाइयों के लिए एक प्रेरणादायी है। दूसरे किसान भाई भी शेखर जी की तरह ग्रामोफोन से जुड़ कर समृद्ध हो सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप या तो टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन करें।

Share

आलू की फसल में बुआई के 15 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in 15 days of potato crop
  • आलू की फसल में बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है। 
  • आलू एक कन्दवर्गीय फसल है इसी कारण आलू की फसल को पोषक तत्वों की ज्यादा आवश्यकता होती है एवं कीट जनित एवं कवक जनित रोगों का प्रकोप भी इसमें बहुत अधिक होता है। 
  • बुआई के 15 दिनों में आलू की फसल अपनी वृद्धि के शुरूआती अवस्था में होती है, इसी कारण अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए पोषण प्रबंधन किया जाता है। ऐसा करने से कीट जनित एवं कवक जनित रोगों के प्रकोप से बचाव हो जाता है। 
  • कीट प्रबंधन के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।   
  • कवक जनित रोगों के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ़्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • पोषण प्रबंधन के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट @ 400 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

आलू की फसल में खरपतवारों का प्रबंधन कर नुकसान से बचें

Weed Management in Potato Crop
  • आलू की फसल रबी की मुख्य फसल है और बारिश के मौसम के बाद मिट्टी में बहुत अधिक नमी होने के कारण आलू की फसल की बुआई के बाद खरपतवार बहुत अधिक मात्रा में उगने लगते हैं।
  • सभी प्रकार के खरपतवारों का नियंत्रण समय पर एवं उचित खरपतवारनाशी का उपयोग करके किया जा सकता है। 
  • बुआई के 1-3 दिनों बाद खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए पेंडामेथलिन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ का छिडकाव करें।
  • इस प्रकार छिड़काव करने से बुआई के बाद शुरूआती अवस्था में उगने वाले खरपतवारों का नियंत्रण किया जा सकता है। 
  • बुआई के बाद दूसरे छिड़काव में मेट्रीब्युजीन 70% WP @ 100 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव बुआई के 3-4 दिन बाद या आलू का पौधा जब 5 सेमी का होने लगे तो उससे पहले ये छिडकाव करें।
  • अंतिम छिड़काव (सकरी पत्ती के लिए): बुआई के 20-30 दिनों बाद करें। इस अंतिम छिड़काव में प्रोपेकुजाफोफ 10% EC या क्विज़लॉफ़ॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

केंद्र सरकार ने प्याज के बीज एक्सपोर्ट पर लगा दी है रोक, जानें वजह

Why did the central government ban onion seed exports

कुछ हफ्ते पहले प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब इसी कड़ी में सरकार ने प्याज के बीजों के एक्सपोर्ट पर भी अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। देश में प्याज की उपलब्धता बरकरार रहे इसी वजह से सरकार ने यह निर्णय लिया है।

इस निर्णय की जानकारी विदेश व्यापार निदेशालय की तरफ से दी गई है। निदेशालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना में यह बताया गया कि प्याज के बीज के एक्सपोर्ट को निषिद्ध श्रेणी डाल दिया गया है, पहले यह प्रतिबंधित श्रेणी में था।’ इसका मतलब यह हुआ की अब प्याज के बीज के एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से रोक लग गई है।

स्रोत: कृषि जागरण

Share

प्याज़ एवं लहसुन की फसल में ऐसे करें खरपतवारों का प्रबंधन

Weed management in onion and garlic
  • मिट्टी में प्राकृतिक रूप से बहुत प्रकार के मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं पर अत्यधिक खरपतवारों के प्रकोप के कारण प्याज़ एवं लहसुन की फसल को ये पोषक तत्व पूरी तरह नहीं मिल पाते हैं।
  • इसके कारण फ़सल में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • प्याज़ एवं लहसुन की अच्छी फसल उत्पादन के लिए समय-समय पर खरपतवार प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए निम्र प्रकार से खरपतवार प्रबंधन किया जा सकता है।
  • पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से बुआई के 3 दिनों के अंदर लहसुन में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए इसकी सिफारिश की जाती है।
  • प्रोपेक़्युज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ़्लोर्फिन 12% EC @ 250-350 मिली/एकड़ फसल में लगाने के 25-30 दिनों के बाद और 40-45 दिन बाद उपयोग करें।
  • ऑक्सीफ़्लोर्फिन 23.5% EC @ 100 मिली/एकड़ + प्रोपेक़्युज़ाफॉप 10% EC @ 300 मिली/एकड़ या क्युजालोफॉप इथाइल 5% EC @ 300 मिली/एकड़ की दर से बुआई के 20 से 25 दिनों में छिड़काव करें।
Share

मटर की फसल में एफिड के लक्षण एवं नियंत्रण की विधि

Control of Aphids in Pea
  • एफिड (माहु) एक छोटे आकार का कीट है जो पत्तियों का रस चूसते हैं जिसके फलस्वरूप पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं और पत्तियों का रंग पीला हो जाता है।
  • इसके कारण बाद में पत्तियाँ कड़क हो जाती हैं और कुछ समय बाद सूखकर गिर जाती हैं।
  • मटर के जिस पौधे पर एफिड का प्रकोप होता है उस पौधे का विकास ठीक से नहीं होता है एवं पौधा रोग ग्रस्त दिखाई देता है। 
  • इस रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL.@ 100 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

लहसुन की फसल में कैल्शियम तत्व की होती है अहम भूमिका

Role of Calcium in Garlic
  • लहसुन की फसल के लिए कैल्शियम एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व होता है और यह फसल की पैदावार तथा गुणवत्ता को बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • कैल्शियम के कारण जड़ स्थापना में वृद्धि होती है एवं कोशिकाओं के विस्तार को बढ़ाता है जिससे पौधों की ऊँचाई बढ़ती है।
  • यह रोग और ठंढ से सहिष्णुता बढ़ाता है, यद्यपि लहसुन में कैल्शियम की सिफारिश की गई मात्रा उपज, गुणवत्ता और भंडारण क्षमता के लिए अच्छी होती है।
  • कैल्शियम की अनुशंसित खुराक 4 किलोग्राम/एकड़ या मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए।
Share