- इस कीट की इल्लियाँ पत्तों के हरे पदार्थ को खाती हैं तथा खाई गई जगह पर केवल सफेद झिल्ली रह जाती है जो बाद में छेदों में बदल जाती है।
- रासायनिक नियंत्रण हेतु स्पिनोसेड 45% SC @ 300 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 1 किलोग्राम पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
कुसुम योजना से किसानों को मिलेगा सोलर पम्प, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जारी है
कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप सब्सिडी दी जाती है। इससे डीजल की खपत पर और कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी। इसीलिए सरकार इस योजना को बढ़ावा दे रही है।
इस योजना के अंतर्गत सौर ऊर्जा उपकरण स्थापित करने के लिए किसानों को महज 10% राशि का भुगतान करना होगा। इसके अलावा केंद्र सरकार किसानों को बैंक खाते में सब्सिडी देती है। योजना के अंतर्गत लगने वाले सौर प्लांट बंजर भूमि पर लगाए जाते हैं।
इस योजना के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करने की अंतिम तिथि बढ़ा कर 1 दिसंबर कर दी गई है। अतः अंतिम तारिख से पहले किसान कुसुम योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://kusum.online/ पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareफल छेदक से भिंडी की फसल को 22-37% तक हो सकता है नुकसान
- फल छेदक हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा की इल्ली है और यह भिंडी की फसल का मुख्य कीट है। इसे सही समय पर यदि नियंत्रण ना किया जाये तो यह 22-37 प्रतिशत तक फसल को नुकसान पहुंचाता है।
- यह कीट पत्ते, फूल और फल खाता है। यह फलों पर गोल छेद बनाता है और इसके गुद्दे को खाता है।
- इसके नियंत्रण के लिए निम्न उत्पादों के उपयोग करें।
- फिरोमोन ट्रैप द्वारा कीट संख्या के फैलाव या प्रकोप की निगरानी की जा सकती है। फिरोमोन ट्रैप विपरीत लिंग के कीटों को आकर्षित करता है।
- प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या नोवालूरान 5.25% +इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 1 किलोग्राम पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
तरबूज की उन्नत खेती के लिए ऐसे करें में खेत की तैयारी एवं मिट्टी उपचार
- तरबूज की उन्नत खेती के लिए आवश्यकता अनुसार जुताई करके खेत को ठीक प्रकार से तैयार कर लेना चाहिए तथा छोटी-छोटी क्यारियां बना लेनी चाहिए।
- खेत को भारी मिट्टी को ढेले रहित कर बीज बोना चाहिए। रेतीली भूमि के लिये अधिक जुताइयों की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस प्रकार से 3-4 जुताई पर्याप्त होती हैं।
- तरबूज को खाद की आवश्यकता पड़ती है। मिट्टी उपचार के लिये बुआई से पहले सॉइल समृद्धि किट के द्वारा मिट्टी उपचार किया जाना चाहिए।
- इसके लिए सबसे पहले 50-100 किलो FYM या पकी हुई गोबर की खाद या खेत की मिट्टी में मिलाकर बुआई से पहले खाली खेत में भुरकाव करें।
- बुआई के समय DAP@ 50 किलो/एकड़ + एसएसपी@ 75 किलो/एकड़ + पोटाश@ 75 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी भुरकाव करें।
प्याज एवं लहसुन में लगने वाले कवक रोगों का नियंत्रण है जरूरी
- प्याज व लहसुन से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसमें लगने वाले हानिकारक रोगों की रोकथाम आवश्यक है।
- वैसे तो प्याज व लहसुन की फसल पर अनेक रोगों का प्रकोप होता है परन्तु कुछ रोग आर्थिक दृष्टि काफी हानि पहुंचाते हैं।
- प्याज़ एवं लहसुन की फसल में लगने वाले कवक जनित रोगों में प्रमुख हैं आधारीय विगलन (बेसल रॉट), सफेद गलन (व्हाइट रॉट), बैंगनी धब्बा (पर्पल ब्लाच, स्टेम्फीलियम झुलसा (स्टेम्फीलियम ब्लाईट) आदि।
- इन रोगों के निवारण हेतु निम्न उत्पादों का उपयोग करना लाभकारी होता है।
- थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC @ 200 मिली/एकड़ या क्लोरोथायोनिल 75% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
गेहूँ में लगने वाले कवक रोग से फसल को होगा नुकसान, ऐसे करें बचाव
- गेहूँ की फसल में लगने वाले कवक एवं जीवाणु जनित रोगों के प्रकोप की वजह से फसल की बढ़वार कम होने के साथ ही कल्ले भी कम निकलते हैं।
- इसलिए सही वक्त पर इन रोगों की पहचान कर समुचित फसल प्रबंधन करना बेहद जरूरी होता है। ऐसा करने से उपज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
- गेहूँ में लगने वाले रोगों में प्रमुख हैं पत्ती धब्बा रोग, करनाल बन्ट, गेरुआ या रतुआ रोग, अनावृत्त कण्डुआ इत्यादि।
- इन रोगों के नियंत्रण के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग करना लाभकारी होता है।
- हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC@ 200 मिली/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या प्रोपिकोनाज़ोल 25% EC @ 200 मिली/एकड़ की छिड़काव करें।
- जैविक उपचार रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
खुलेंगे 28 फूड प्रोसेसिंग यूनिट, 10 हजार से ज्यादा लोगों को मिलेगा रोजगार
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 28 फूड प्रोसेसिंग यूनिट बनाये जाने की मंजूरी दी है जिससे बहुत सारे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। देश के कुछ 10 राज्यों में ये यूनिट लगाए जाएंगे जिससे 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।
इन राज्यों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड, असम और मणिपुर शामिल हैं। इस योजना के लिए मंत्री द्वारा 320.33 करोड़ रुपये की लागत निर्धारित की गई है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रसंस्करण एवं संरक्षण क्षमताओं का निर्माण और मौजूदा फूड प्रोसेसिंग यूनिटों का आधुनिकीकरण/विस्तार करना है, जिससे प्रसंस्करण के स्तर में वृद्धि होगी, मूल्यवर्धन होगा तथा अनाज की बर्बादी में कमी आएगी।
स्रोत: न्यूज़ 18
Shareमटर की फसल में स्पाइन पॉड बोरर का नियंत्रण
- स्पाइन पॉड बोरर का लार्वा शुरुआत में हरे रंग का होता है और धीरे-धीरे गुलाबी रंग का हो जाता है।
- इसका वयस्क रूप भूरे स्लेटी रंग का होता है एवं इसका मुख भाग नारंगी रंग का होता है।
- यह कीट फूल और युवा फली को बहुत नुकसान पहुँचाता है तथा इसके कारण कलियाँ अपरिपक्व अवस्था में ही गिर जाती हैं।
- इल्ली फलियों के अंदर प्रवेश करके बहुत अधिक नुकसान पहुँचाती है। जिस जगह से फली में इल्ली प्रवेश करती है वहाँ भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।
- बायफैनथ्रिन 10% EC@ 300 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- हर छिड़काव के साथ स्टिकर का उपयोग अवश्य करें। जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
पीएम किसान योजना में हुए कई बदलाव, सातवीं किश्त से पहले पढ़ें पूरी जानकारी
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से करोड़ो किसानों को लाभ मिल रहा है। इस योजना की सातवीं किश्त जल्द ही किसानों की मिलने वाली है। हालांकि सातवीं किश्त से पहले इस योजना में केंद्र सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए।
पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे किसान को अब पीएम किसान मानधन योजना के लिए कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। इस योजना के अंतर्गत किसान पीएम-किसान योजना से प्राप्त लाभ में से सीधे ही अंशदान करने का विकल्प चुन सकते हैं।
पीएम किसान स्कीम से किसान क्रेडिट कार्ड को जोड़ दिया गया है। इसके साथ ही अब प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों के लिए केसीसी बनवाना आसान हो गया है।
किसान अगर पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम का लाभ लेना चाहते हैं तो उनके पास आधार का होना जरूरी है। बिना आधार कार्ड के आप इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते।
पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम के आरम्भ के समय इसका लाभ सिर्फ वैसे किसान ले सकते थे जिनके पास 2 हेक्टेयर या 5 एकड़ कृषि योग्य खेत थी। परन्तु अब मोदी सरकार ने यह बाध्यता खत्म कर दी है।
स्रोत: इंडिया डॉट कॉम
Shareखरपतवारों के प्रकोप से चने की फसल का करें बचाव
- चने की फसल में वार्षिक घास, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार और सकरी पत्ती वाले खरपतवार अधिक मात्रा में उगते हैं।
- इन खरपतवारों का नियंत्रण समय पर करना बहुत आवश्यक होता है नहीं तो यह फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं और उत्पादन भी कम कर सकते हैं।
- बुआई के 1-3 दिनों में खरपतवार प्रबंधन हेतु पेन्डीमेथलीन 38.7% EC @ 700 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- इसी के साथ समय समय पर हाथ से निदाई करते रहने से खरपतवार का प्रकोप कम होता है एवं फसल उत्पादन अधिक होता है।