- लहसुन की फसल में बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन करने से फसल में अंकुरण अच्छा होता है और बेहतर शुरुआत मिलती है।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने से फसल को नाइट्रोज़न, जिंक एवं सल्फर जैसे मुख्य पोषक तत्व मिल जाते हैं।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + ज़िंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़ + सल्फर 90% @ 10 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- इन सभी उत्पादों को अच्छी तरह से मिलाकर मिट्टी में बिखेर दें। ध्यान रखें की उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना बहुत आवश्यक है।
प्याज की नर्सरी में ऐसे करें पोषण प्रबंधन
- प्याज़ की रोपाई से पूर्व इसके बीजों की बुआई नर्सरी में की जाती है। नर्सरी में बेड का आकार 3’ x 10’ और 10-15 सेमी ऊंचाई में तैयार किए जाते हैं।
- प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत देने के लिए नर्सरी की बुआई के समय से ही पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- नर्सरी में बीज बोने से पहले FYM @ 10 किलो/नर्सरी की दर से उपचार करें।
- नर्सरी लगाते समय सीवीड, एमिनो, ह्यूमिक मायकोराइज़ा @ 25 ग्राम/नर्सरी से उपचारित करें।
- प्याज़ की नर्सरी की बुआई के सात दिनों के अंदर पोषण प्रबंधन किया जाता है। इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत मिलती है।
- पोषण प्रबंधन के लिए ह्यूमिक एसिड@ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
राज्यसभा में कृषि विधेयक पारित, किसानों को अपनी उपज तय मंडियों से बाहर बेचने की मिली छूट
20 सितम्बर को राज्यसभा में दो कृषि विधेयकों को पारित कर दिया गया है। इसमें दो बिल हैं, पहला है कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक 2020 और दूसरा है कृषक कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020।
प्रस्तावित कानून से किसानों को अपने उत्पाद तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट दी जाएगी। इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई शुल्क नहीं ली जाएगी।
यह विधेयक किसानों को अपनी उपज बेचने में आने वाले खर्च को कम करेगा साथ ही उन्हें उपज के लिए बेहतर मूल्य दिलाने में भी मदद करेगा। इस विधेयक की मदद से जहां ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कम उत्पादन वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे।
स्रोत: नवभारत टाइम्स
Shareप्याज़ की नर्सरी में बुआई के सात दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन
- प्याज़ की नर्सरी की बुआई के सात दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- यह छिड़काव कवक जनित बीमारियों तथा कीट के नियंत्रण एवं पोषण प्रबंधन लिए किया जाता है। इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत मिलती है।
- कवक जनित रोगों लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 30 ग्राम/पंप की दर छिड़काव करें।
- कीट प्रबंधन के लिए थियामेंथोक्साम 25% WG@ 10ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन ह्यूमिक एसिड @ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
मटर की फसल में कैसे करें मिट्टी उपचार की प्रक्रिया?
- मटर की फसल में मिट्टी जनित कीटों के नियंत्रण लिए बुआई पहले खाली खेत में 50-100 किलो FYM के साथ मेट्राजियम @ 1 किलो कल्चर को मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें इससे मिट्टी जनित कीटों के नियंत्रण में सहायता मिलती है।
- इसके अलावा दूसरे आवश्यक तत्व यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + डीएपी @ 20 किलो/एकड़ + एसएसपी @ 100 किलो/एकड़ + पोटाश @ 20 किलो/एकड़ की दर से बुआई से पूर्व खेत में भुरकाव करें।
- ये सभी तत्व मटर की बुआई के समय अच्छे अंकुरण के लिए बहुत आवश्यक होते हैं।
- यह सभी मिट्टी उपचार के रूप में मटर की बुआई के समय दिए जाते हैं।
- इसके साथ ही ग्रामोफ़ोन लेकर आया है मटर स्पेशल ‘समृद्धि किट’, इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं, जैसे पीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा।
- इन सभी उत्पादों को मिलाकर इस मटर समृद्धि किट को तैयार किया गया है। इस किट का कुल वज़न 3.5 किलो है जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
- इसे बुआई के पहले 50-100 किलो FYM के साथ इस किट को मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।
- यह किट मटर की फसल को सभी जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती है।
मंडी भाव: मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या है प्याज, टमाटर और अन्य सब्जियों का भाव?
इंदौर के गौतमपुरा मंडी में प्याज़ का भाव 850 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है और बड़वानी जिले के सेंधवा मंडी में टमाटर का भाव 925 रूपये प्रति क्विंटल है। सेंधवा मंडी में ही पत्ता गोभी, फूलगोभी, बैंगन, भिण्डी और लौकी का भाव क्रमशः 750, 950, 825, 925, 600 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
ग्वालियर के भिण्ड मंडी की बात करें तो यहाँ गेहूं और सरसों का भाव क्रमशः 1560, 4770 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। इसके अलावा ग्वालियर के ही खनियाधाना मंडी में मिल क्वालिटी की गेहूं का भाव 1925 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है और भोपाल के बाबई मंडी में मूंग का भाव 4000 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareजिंक तत्व का कृषि में क्या है महत्व?
- जिंक (Zn) फसल के अच्छे उत्पादन के लिए सबसे महत्व पूर्ण कारक माना जाता है एवं भारत में उपज की कमी के लिए चौथा सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता हैं | यह आठ आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
- ज़िंक की कमी से फसल की पैदावार और गुणवत्ता बहुत हद तक प्रभावित होती है और फसल की उपज में 20% तक की कमी आ जाती हैं।
- जिंक पौधे के विकास के लिए अहम होता है। यह पौधों में, कई एंजाइमों और प्रोटीनों के संश्लेण में प्रमुख भूमिका निभाता है।
- इसके साथ साथ ज़िंक वृद्धि हार्मोन के निर्माण में भी महत्वर्ण योगदान करता है जिसके परिणाम स्वरुप इंटर्नोड का आकार बढ़ता है।
- इसकी कमी प्रायः क्षारीय, पथरीली मिट्टी में होती है।
- इसकी कमी के कारण नई पत्तियाँ छोटे आकार की एवं शिराओं के मध्य का हिस्सा चितकबरे रंग का हो जाता है।
- भूमि में जिंक सल्फेट 20 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करके इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
फिर बढ़ रही हैं प्याज की कीमतें, जानें हर साल कीमतों में तेजी आने की क्या है वजह
प्याज की कीमतें एक बार फिर बढ़ने लगी हैं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार की तरफ से पिछले दिनों प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस प्रतिबंध के माध्यम से सरकार प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाना चाहती है।
बहरहाल प्याज की कीमतों में हर साल इसी समय तेजी आने लगती है और ये कीमतें नवंबर में आसमान छूने लगती है। अब सवाल उठता है की हर साल इस सीजन में प्याज इतना महंगा क्यों हो जाता है ?
दरअसल देशभर में जिस तरह से पूरे साल प्याज पैदा होती है, उससे इसकी फसल लगातार ही बाजार में उपलब्ध होती रहती है। सितंबर में अक्सर इसकी फसल पर सूखे या बारिश की मार का असर नजर आता है जिससे इसके आवक पर प्रभाव पड़ता है।
स्रोत: न्यूज़ 18
Shareसरसों की बुआई एवं उर्वरक प्रबंधन संबंधी जानकारी
- सरसों की बुआई सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक की जाती हैं।
- सामन्यतः सरसों के लिए कतार से कतार की दूरी 30-45 सेमी रखते हैं तथा पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी रखी जाती है।
- खेत की तैयारी के समय 6-8 टन गोबर की खाद डालें और DAP@ 40 किलो, यूरिया@ 25 किलो, पोटाश@ 30 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में बुआई के समय उपयोग करें।
मौसम विभाग ने भारी बारिश की संभावना जताते हुए जारी किया येलो अलर्ट
आने वाले कुछ दिनों में मानसून अंतिम चरण में पहुँचने वाला है। अंतिम चरण में पहुंचने से पहले मानसून देश के कई राज्यों में पुनः सक्रिय हो गया है। मौसम विभाग की तरफ से राजस्थान में आगामी शुक्रवार से अगले 3 से 4 दिनों तक भारी बारिश की संभावना जताई गई है और येलो अलर्ट भी जारी कर दिया गया है।
इसके अलावा भारतीय मौसम विभाग ने आने वाले कुछ घंटों में मध्यप्रदेश, विदर्भ, बिहार और झारखंड में आंधी-तूफान के साथ बारिश की संभावना जताई है। इसके साथ ही असम, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, मेघालय, तटीय आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कच्छ, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बादलों के तेज गरज व चमक और तूफान के साथ बारिश की संभावना जताई गई है।
स्रोत: कृषि जागरण
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