अमरुद में उकठा रोग के लक्षण एवं निवारण के उपाय

Symptoms and prevention of Wilt Disease in Guava
  • उकठा रोग में पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता है साथ ही साथ शीर्ष शाखाओं की पत्तियाँ घुमावदार होकर मुड़ जाती हैं। 
  • पत्तियां पीली से लाल में बदल जाती हैं और समय से पहले झड़ जाती हैं।
  • नई पत्तियों का निर्माण नहीं हो पाता है एवं टहनियाँ खाली हो जाती हैं और अंत में सूख जाती हैं।
  • बाग में उचित स्वच्छता का बहुत ध्यान रखे एवं संक्रमित पेड़ों को उखाड़ दें। 
  • इस रोग के निवारण के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी 5 -10 ग्राम या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 2.5-5 ग्राम प्रति 5 किलो दर से गोबर खाद में मिलाकर, पौधा लगाते समय तथा 10 किलोग्राम प्रति गढ्ढा या पुराने पौधों में गुड़ाई कर डालें। 
  • ट्राइकोडर्मा विरिडी 5-10 ग्राम या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 2.5-5  ग्राम प्रति लीटर  पानी में मिलकर पौधे पर छिड़काव करें। 
  • अमरूद के पौधे के चारों ओर थाले बनाएं और उसमें कार्बेन्डाजिम 45% WP@ 2 ग्राम/लीटर पानी या कॉपर हाइड्रॉक्साइड 50% WP @ 2.5 ग्राम/लीटर पानी में घोल कर उससे थाले में डेचिंग करें।
Share

प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर केंद्र सरकार ने लगाया प्रतिबंध

Central government imposes ban on export of all varieties of onion

प्याज के निर्यात को लेकर केंद्र सरकार ने नया फैसला किया है। इस फैसले के अनुसार प्याज की सभी किस्मों का निर्यात तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस बाबत अधिसूचना जारी करते हुए कहा है की “प्याज की सभी किस्मों के निर्यात को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाता है।”

बता दें की विदेश व्यापार महानिदेशालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। यह आयात और निर्यात से संबंधित मुद्दों की देख रेख करने वाली इकाई है। प्याज के निर्यात पर उस वक़्त प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया है जब प्याज की कीमतों में लगातार इज़ाफा हो रहा है।

स्रोत: डीएनए इंडिया

Share

भिंडी की उन्नत किस्में जिनकी खेती से मिलेगी अच्छी उपज

Advanced varieties of Okra whose cultivation will give good yield
  • आज हम बता रहे हैं भिंडी की कुछ मुख्य किस्में जिनकी खेती से किसान अच्छी उपज की प्राप्ति कर सकते हैं। 
  • ये किस्में हैं स्वर्ण | मोना | 002 |, ह्यवेज सोना, स्वर्ण | वीनस और कुमार सीड्स KOH 339. 
  • ये सभी हाइब्रिड किस्म हैं और इनके पौधे खड़ी अवस्था में होते हैं, पत्ते मध्यम कटे हुए होते हैं तथा इंटरनोड छोटे होते हैं। 
  • इन किस्मों की शाखाएं 2 से 4 होती है एवं 45-51 दिनों में फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है।
  • इन किस्मों के फलों का आकार 5 लकीरों के साथ 12 से 14 सेमी होता है तथा व्यास 1.5 से 1.8 सेमी होता है। 
  • इस किस्म में अच्छी शेल्फ लाइफ के साथ गहरे हरे रंग के कोमल फल होते जिनका वज़न 12 से 15 ग्राम होता है। 
  • यह सभी किस्में लीफ कर्ल वायरस एवं पित्त शिरा वायरस की प्रतिरोधी होती है।
Share

टमाटर के पौधे में कैल्शियम की कमी के लक्षण

Calcium deficiency Symptoms in tomato plant
  • पौधे के उतकों में कैल्शियम की बहुत कम गतिशीलता के कारण इसकी कमी के  लक्षण तेजी से पौधे में वृद्धि करते हुए दिखाई देते हैं।
  • कैल्शियम की कमी के लक्षण पत्तियों पर दिखाई देते हैं, इसके कारण पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और धीरे-धीरे सूखने लगती हैं। कैल्शियम की कमी के लक्षण पत्तियों के आधार वाले भागों में दिखाई देते हैं।      
  • कैल्शियम की कमी के लक्षण पौधे के तने पर सूखे मृत धब्बो के रूप में दिखाई देते हैं।  
  • शुरुआत में ऊपरी पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है और बाद में पत्तियों के किनारे पीले रंग में परिवर्तित होने लगते हैं तथा अंत में पौधे मृत हो जाते हैं। 
  • कैल्सियम की कमी की वजह से फलों के ऊपर ब्लॉसम एन्ड रॉट के लक्षण दिखाई देते हैं।
Share

मौसम पूर्वानुमान: आने वाले तीन चार दिन तक इन राज्यों में हो सकती है भारी बारिश

weather forecast

मौसम विभाग की तरफ से जारी पूर्वानुमान में बताया गया है कि अगले तीन-चार दिनों तक देश के कई राज्यों में भारी बारिश होने की संभावना है। निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट वेदर के अनुसार, 14 और 15 सितंबर को महाराष्ट्र के साथ साथ पश्चिमी मध्य प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है।

महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भारी बारिश का प्रभाव उत्तरी मध्य प्रदेश और दिल्ली में 16 से 18 सितंबर के बीच नजर आएगा। इन भागों में हल्की बारिश होने की संभावना है।

15 सितंबर से पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून वापसी करेगा जबकि दिल्ली से इसकी वापसी 21 सितंबर को होगी। संभावना है कि 14 से 18 सितंबर के बीच मध्य भारत के राज्यों पर इसका प्रभाव रहेगा।

स्रोत: कृषि जागरण

Share

एमिनो एसिड का कृषि में क्या है महत्व?

Importance of amino acids in crops
  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाला  प्राकृतिक अवयव है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है
  • एमिनो एसिड पोधो  में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है 
  • मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे  जड़ पूरी तरह से विकसित होती है , जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
  • मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है  
  •  जड़ो के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है 
  • यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि  नियामक में से एक है।
Share

ट्रायाकॉन्टेनॉल का कृषि में महत्व

Importance of Triacontanol in Agriculture
  • ट्रायाकॉन्टेनॉल पौधे की वृद्धि का एक प्राकृतिक नियामक है जिसका उपयोग फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। 
  • यह जड़, फूल एवं पत्तियों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • फसलों को इसकी बहुत कम मात्रा की आवश्यकता होती है। 
  • यह फसलों के उन भागों पर अपनी क्रिया करते हैं जो जड़ विकास, फल विकास, फूल उत्पादन, आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • जो फसलें छोटी रह जाती हैं उनके विकास में ट्रायाकॉन्टेनॉल सहायक होते हैं और उन फसलों के तने की लंबाई में वृद्धि करके फसल की बेहतर बढ़वार में मदद करते हैं।    
  • कोशिका विभाज़न को प्रेरित कर बीजों में उत्पन्न प्रसुप्ति को तोड़ने में भी यह सहायक होते हैं।
Share

पशुपालन से किसानों की आय बढ़ाने हेतु सरकार ने लांच किया ई-गोपाला ऐप

Government launches e-Gopala app to increase farmers' income from animal husbandry

किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करने एवं उनकी आय में वृद्धि हेतु सरकार द्वारा कई योजनाओं की शुरुआत की जा रही है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में मछली उत्पादन, डेयरी, पशुपालन और कृषि में अध्ययन एवं अनुसंधान से संबंधित पीएम मत्स्य सम्पदा योजना, ई-गोपाला ऐप और कई अन्य योजनाओं का शुभारम्भ किया है।

इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिए गए अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि आज इन सभी योजनाओं के शुभारम्भ का उद्देश्य हमारे गांवों को सशक्त बनाना और 21वीं सदी में आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है।

ई-गोपाला ऐप के माध्यम से पशुधन का प्रबंधन किया जाएगा। इस प्रबंधन में गुणवत्तापूर्ण प्रजनन सेवाओं की उपलब्धता और पशु पोषण के लिए किसानों का मार्गदर्शन करना, उचित पशु चिकित्सा दवा का उपयोग करते हुए जानवरों का उपचार आदि की जानकारी मिलेगी।

स्रोत: किसान समाधान

Share

मटर की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले करें बीज़ उपचार

peas seed treatment
  • जिस प्रकार बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार बुआई के पूर्व बीज उपचार भी बहुत आवश्यक होता है।
  • बीज उपचार करने से बीज जनित रोगों का नियंत्रण होता है साथ ही बीजों का अंकुरण भी अच्छा होता है
  • बीज उपचार हम रासायनिक एवं जैविक दो विधियो से कर सकते हैं।
  • रासायनिक उपचार: बुआई से पहले मटर के बीजो को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करें।
  • जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो + PSB @ 2 ग्राम/किलो बीज़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर बीज उपचार करें।
Share

देश के कई हिस्से में हो सकती है बारिश, जानें अपने राज्य का मौसम पूर्वानुमान

weather forecast

देश के कई हिस्से में अभी भी मानसून सक्रिय जिसकी वजह से कई राज्यों में बारिश के आसार बने हुए हैं। कई राज्यों में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले कुछ घंटों में देश के कई राज्यों में भारी बारिश की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, विदर्भ, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, रायलसीमा, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अलावा पूर्वी मध्य अरब सागर के ऊपर बने चक्रवात के कारण पूर्वोत्तर और प्रायद्वीपीय भारत में अगले 4 से 5 दिनों में भारी बारिश की संभावना है। 

स्रोत: कृषि जागरण

Share