- ईयर हेड: ईयर हेड बग का निम्फ और वयस्क रूप अनाज के भीतर से रस चूसते हैं। जिसके कारण दाने सिकुड़ जाते हैं और काले रंग में बदल जाते हैं।
- एफिड: यह एक छोटा कीट है जो पौधों से चूसकर फसल को नुकसान पहुँचाता है। यह बड़ी संख्या में पत्तों के नीचे रहकर पौधों को नुकसान पहुँचाता है।
- इसके नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं।
- प्रोफेनोफॉस 50% EC@ 500 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रिड 20% SP @100 ग्राम/एकड़ या एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़।
मक्का की फसल में सैनिक कीट का प्रबंधन
- यह कीट दिन में मिट्टी के ढेलों, पुआल के ढेर आदि में छिप जाता है और रात भर फसलों को खाता रहता है। प्रभावित खेत/फसल में इसकी संख्या काफी देखी जा सकती है।
- यह कीट बहुत तेज़ी से फसलों को खाता है और काफी कम समय में पूरे खेत की फसल को खाकर ख़त्म कर सकता है। अतः इस कीट का प्रबंधन/नियंत्रण आवश्यक है।
- जिन क्षेत्रों में सैनिक कीट की संख्या अधिक है उस खेत में इसका प्रबंधन/नियंत्रण तत्काल किया जाना बहुत आवश्यक है।
- छिड़काव:- लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 5% EC 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC 100 मिली/एकड़ या क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 1.15% WP @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जिन खेतो में इसका प्रकोप थोड़ी कम मात्रा में हो वहां किसान खेत के मेड पर या खेत की बीच में पुआल के छोटे छोटे ढेर लगा कर रखें। जब बहुत अधिक धुप पड़ती है तब आर्मी वर्म (सैनिक कीट) छाया की खोज में इन पुआल के ढेर में छिप जाता है। शाम को इन पुआल को इकट्ठा करके जला देना चाहिए।
मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या है गेहूं, सोयाबीन, चना आदि का भाव?
इंदौर के गौतमपुरा मंडी में गेहूं का भाव 1800 रूपये प्रति क्विंटल का है। वहीं बात करें उज्जैन स्थित खाचरौद मंडी की तो यहाँ गेहूं का भाव 1729 रूपये प्रति क्विंटल है। खाचरौद मंडी में सोयाबीन का भाव फिलहाल 3520 रूपये प्रति क्विंटल है।
उज्जैन के बडनगर मंडी की बात करें तो यहाँ गेहूं का भाव 1900 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चने का भाव 3910 रूपये प्रति क्विंटल, आम चने का भाव 4180 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 3598 रूपये प्रति क्विंटल है।
रतलाम के ताल मंडी में गेहूं का भाव 3550 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 1700 रूपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा रतलाम स्थित रतलाम मंडी में गेहूं 1810 रूपये प्रति क्विंटल, आलू 2020 रूपये प्रति क्विंटल, चना विशाल 3790 रूपये प्रति क्विंटल, टमाटर 1620 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चना 5390 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन 3571 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रही है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareसोयाबीन की फसल में एन्थ्रेक्नोज/पोड ब्लाइट की रोकथाम
- इसका संक्रमण फसल की परिपक्वता के समय मुख्यतः तने पर दिखाई देता है और इससे पत्तियों पर अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते हैं।
- प्रबंधन के लिए टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ और कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ और थायोफिनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार हेतु ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
टमाटर की फसल में पछेती अंगमारी की रोकथाम
- टमाटर की फसल में पछेती अंगमारी एक बहुत गंभीर रोग होता है।
- यह एक कवक जनित रोग है और इस रोग के लक्षण सबसे पहले टमाटर की पत्तियों पर दिखाई देते हैं।
- पत्तियों की ऊपरी सतह पर बैगनी भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं एवं पत्तियों की निचली सतह पर भूरे सफ़ेद रंग के धब्बे हो जाते हैं।
- इसके संक्रमण के कारण पत्तियां सूख जाती हैं और धीरे-धीरे यह कवक पूरे पौधे पर फैल जाता है।
- इसके प्रबंधन के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 ग्राम/एकड़ या मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 8% WP@ 600 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG@ 150 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
एक करोड़ से ज्यादा किसानों के खाते में डाले गए 89910 करोड़ रुपये, आप भी उठा सकते हैं लाभ
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया है कि अब तक देश के 1 करोड़ से अधिक किसानों को केसीसी अर्थात किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए है और इसके अंतर्गत 89,810 करोड़ रुपये किसानों के खाते में भेज भी दिए गए हैं।
ग़ौरतलब है की केसीसी के अंतर्गत तीन लाख रुपये तक का लोन लेने पर महज 7 फीसदी ब्याज लगता है। अगर यह लोन किसान समय रहते लौटा देता है तो किसान को 3 फीसदी की और छूट मिल जाती है। ऐसे में इसकी दर किसानों के लिए महज 4 फीसदी रह जाती है। केसीसी के अंतर्गत 1 हेक्टेयर ज़मीन पर 2 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है। हालांकि इस लोन की लिमिट हर बैंक में अलग-अलग होती है।
स्रोत: न्यूज़ 18
Shareसोयाबीन की फसल में फूल आने की अवस्था में फसल प्रबंधन
- सोयाबीन की फसल में फूल आने की अवस्था में फसल प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- सोयबीन की फसल में यदि बहुत अधिक बारिश हो तब भी और कम बारिश हो तब भी फूल आने की अवस्था में कीट जनित एवं कवक जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
- अधिक बारिश के कारण फूल गिरने लगते एवं कम बारिश के कारण पौधा तनाव में आ जाता है, और इसी कारण फूलों का निर्माण नहीं हो पाता है।
- रोग प्रबंधन के लिए टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ या कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कीट प्रबंधन के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ के साथ क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- वर्द्धि एवं विकास: पोषक तत्वों की पूर्ति उचित मात्रा में हो एवं सही समय पर हो तो फूल अच्छे बनते है एवं अच्छे फूल बनने के कारण फल अच्छे बनते है इसलिए फूल आने की अवस्था में 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मौसम पूर्वानुमान: मध्य प्रदेश समेत इन 5 राज्यों में अगले दो दिन हो सकती है भारी बारिश
मॉनसून को आये अब 2 महीने बीत चुके हैं और बारिश का आधा सीजन भी बीत चुका है। देश के कई राज्यों में जहाँ बाढ़ के हालात बने हैं वहीं कई क्षेत्रों में अभी तक अच्छी बारिश देखने को नहीं मिली है जिसके कारण किसानों के बीच अनिश्चितता का माहौल है। बिहार और असम जैसे राज्यों में भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई है, वहीं मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में अभी भी मूसलाधार बारिश का इंतजार है।
इसी बीच मौसम विभाग ने आने वाले दो दिनों में कुछ राज्यों में भारी बारिश की संभावना जताई है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक शामिल हैं। इसके अलावा आने वाले 24 घंटों के दौरान तटीय कर्नाटक और दक्षिणी कोंकण-गोवा क्षेत्र में अच्छी मॉनसून वर्षा के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकम बारिश में कैसे करें सोयाबीन की फसल की देखभाल?
- जैसे की आप सभी जानते हैं की किस प्रकार आज कल मौसम में बदलाव हो रहे हैं कही पर बहुत बारिश हो रही है तो कही पर बारिश बहुत कम मात्रा में हो रही है।
- जिन जगहों पर बारिश की कमी है ऐसे जगहों पर सोयाबीन की फसल पर इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है।
- सूखे एवं अधिक तापमान के कारण सोयाबीन की फसल को बहुत नुकसान होता है।
- इसके कारण पानी की कमी के लक्षण सोयाबीन की फसल पर म्लानि एवं पौधे के मुरझाने के रूप में दिखाई देते है।
- इसके कारण पौधा तनाव में आ जाता है और पौधे की वृद्धि भी या तो बहुत कम होती है या रुक जाती है।
- इसके प्रबंधन के लिए जिब्रेलिक एसिड 0.001% @ 300 मिली/एकड़ या ट्रायकॉनटेनाल 0.1% @ 300 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड @ 100 ग्राम/एकड़ या सीवीड@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- यदि सोयबीन की फसल फल या फूल बनने की अवस्था में है और पानी की कमी एवं अधिक तापमान के कारण पौधा तनाव में आ जाता है तो इसके निवारण के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
ग्रामोफ़ोन एप के उपयोग ने देवास के किसान को मूंग की फसल से दिलाया पहले से अधिक मुनाफ़ा
कोई भी किसान खेती इसलिए करता है ताकि उसे इससे अच्छा मुनाफ़ा प्राप्त हो और खेती से मुनाफ़ा प्राप्त करने के लिए जो दो महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखने वाली होती हैं उनमें पहला ‘खेती की लागत को कम करना’ होता है और दूसरा ‘उत्पादन को बढ़ाना’ होता है। इन्हीं दो बिंदुओं पर कार्य करता है ग्रामोफ़ोन जिसका लाभ किसान भाई उठाते हैं। कुछ ऐसा ही लाभ देवास जिले के खातेगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम नेमावर के किसान श्री किशन राठौर जी ने भी उठाया।
देवास जिले के युवा किसान किशन चंद्र जी दो साल पहले ग्रामोफ़ोन एप से जुड़े थे। शुरुआत में उन्होंने ग्रामोफ़ोन एप से थोड़ी बहुत सलाह ली लेकिन इस साल उन्होंने पांच एकड़ में की गई मूंग की खेती में पूरी तरह से ग्रामोफ़ोन के सुझावों को माना, जिसका असर उत्पादन वृद्धि में दिखा।
पहले जहाँ पांच एकड़ के खेत में किशन जी को 20 क्विंटल मूंग का उत्पादन होता था वहीं अब उत्पादन बढ़कर 25 क्विंटल हो गया। कमाई पहले के 110000 रूपये मुकाबले बढ़ कर 142500 रूपये हो गई और कृषि लागत भी पहले से काफी घट गई।
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