आने वाली है पीएम किसान योजना की अगली क़िस्त, अगर नहीं मिल रहा लाभ तो करें ये काम

PM kisan samman

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत छठी क़िस्त एक अगस्त से किसानों के बैंक खातों में भेजी जायेगी। कोरोना वायरस की वजह से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान बहुत सारे ऐसे भी किसान को इस योजना के तहत पांचवीं क़िस्त प्राप्त हुई थी। हालांकि कई ऐसे भी किसान थे जो इस क़िस्त से वंचित रह गए थे।

आप इस बार की क़िस्त से वंचित ना रह जाएँ इसलिए अपनी ग़लतियों का सुधार अभी से कर लें। आप ये घर पर बैठे ही कर सकते हैं। इसके लिए आपको इस योजना की ऑफिशियल वेबसाइट (https://pmkisan.gov.in/) पर जाना होगा। वेबसाइट पर दर्ज फार्मर कॉर्नर के अंदर जाकर Edit Aadhaar Details ऑप्शन पर क्लिक करें और गलतियों का सुधार कर लें। अगर इसके बाद भी समस्या आये तो आप हेल्पलाइन (155261 या 1800115526) पर संपर्क करें। इसके अलावा आप 011-23381092 पर भी बात कर सकते हैं।

स्रोत: लाइव हिंदुस्तान

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कपास की फसल में 60-70 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in cotton crop
  • कपास की फसल में 60-70 दिनों में सबसे ज्यादा प्रकोप गुलाबी इल्ली का होता है।
  • यह इल्ली शुरूआती दौर में कपास के फूल पर पायी जाती है।
  • ये फूल से कपास के परागकण खाने के साथ-साथ जैसे ही कपास का टिंडा तैयार होता है उसके अंदर चली जाती है और टिंडे के अंदर के कपास के बीज को खाना शुरू कर देती है।
  • इसी के साथ रस चूसक कीट एफिड, जेसिड, थ्रिप्स, सफेद मक्खी का भी प्रकोप कपास की फसल में होता है।
  • इनके नियंत्रण के लिए 60-70 दिनों में छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके लिए नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC 250 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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सोयाबीन की फसल में 35 से 40 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in soybean crop in 35-40 days
  • सोयाबीन की फसल में बुआई के समय एवं बुआई के 25-30 दिनों में कीट एवं कवक जनित रोगों के नियंत्रण के साथ ही अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए छिड़काव प्रबंधन किया जाता है ठीक उसी तरह बुआई के 35 से 40 दिनों में भी छिड़काव प्रबंधन किया जाना बहुत जरूरी होता है।
  • खरीफ की फसल होने के कारण सोयाबीन की फसल जिस खेत में बोई जाती है वहाँ नमी अधिक होती है। इस कारण बहुत से कवक जनित रोगों का प्रकोप सोयाबीन की फसल पर होता है।
  • इन रोगों के नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाईल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसीन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कीट जनित रोगों के नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • सोयाबीन के फसल से फूल और फूल को झड़ने से रोकने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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अगले 24 घंटों में इन राज्यों में हो सकती है हल्की से मूसलाधार बारिश, कई राज्यों में हाई अलर्ट

Take precautions related to agriculture during the weather changes

जुलाई महीने के अंत आते आते पूरे देश में मानसून ने अपनी पकड़ बना ली है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के अधिकतर क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में आने वाले 24 घंटे में मूसलाधार बारिश होने की संभावना है।

पिछले 24 घंटों के दौरान कोंकण गोवा, केरल, तमिलनाडु, तटीय कर्नाटक, रायलसीमा, दक्षिणी मध्य प्रदेश, दक्षिणी राजस्थान, विदर्भ, मराठवाड़ा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हुई है। वहीं उत्तर और पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल, तटीय आंध्र प्रदेश, लक्षद्वीप, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हुई है।

आने वाले 24 घंटों में मौसम विभाग का पूर्वानुमान है की कोंकण गोवा और तटीय कर्नाटक में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण राजस्थान, दक्षिणी मध्य प्रदेश और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। वहीं बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और केरल में हल्की बारिश के बीच एक-दो स्थानों पर मध्यम बौछारें गिर सकती हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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कपास में चित्तीदार बोलवर्म का ऐसे करें प्रबंधन

Spotted boll worm management in cotton
  • यह कपास की फसल का मुख्य कीट है, यह कपास की फसल में फूल आने की शुरूआती चरणों के दौरान आक्रमण करता है।
  • इसके प्रकोप के कारण कपास की फसल की कलियाँ सूख जाती हैं।
  • यह कीट झुंड में आक्रमण करता है जिसके कारण फूल परिपक्व होने के पहले ही सूख कर गिर जाते हैं।
  • इसके प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के लिए बवेरिया बेसियाना @500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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अब किसान बनेंगे बीज बैंक के मालिक, ये है लाइसेंस लेने की प्रक्रिया

Relief for farmers, Govt. extended the duration of short-term crop loan

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण विभाग बीज बैंक योजना को वृहत स्तर पर शुरू करने जा रही है।  इसके अंतर्गत पूरे देश के हर जिले में बीज बैंक बनाये जाएंगे और इसमें काम करने के लिए किसानों को लाइसेंस दिया जाएगा। 

बीज बैंक योजना के अंतर्गत पूरे देश के 650 जिले में बीज बैंक बनाये जायेंगे और किसानों को इसके लाइसेंस दिए जायेंगे। इस योजना के अंतर्गत लाइसेंस लेने की योग्यता भी निश्चित की गई है। लाइसेंस लेने की अर्जी देने वाले किसान को 10वीं पास होना होगा। इसके अलावा किसान के पास अपनी, बटाई या पट्टेदारी में कम से कम 1 एकड़ जमीन होनी चाहिए।

इस योजना के अंतर्गत सरकार की तरफ से एक मुश्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. साथ ही भंडारण की सुविधा, प्रशिक्षण की सुविधा और उपलब्ध संसाधनों पर सब्सिडी भी दी जाएगी। खास बात यह है कि बीज बैंक का लाइसेंस प्राप्त करने वाले किसान को बाजार उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

स्रोत: कृषि जागरण

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जैव उर्वरक क्या है?

What is Biofertilizers
  • मिट्टी की उर्वरता को बनाये रखने के लिए एवं फसल के अच्छे उत्पादन के लिए प्राकृतिक रूप से कुछ ऐसे जीवाणु या सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं जिन्हे हम जैव उर्वरक कहते हैं।
  • जैव उर्वरक वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोज़न को अमोनिया के रूप में परिवर्तित कर के पौधों को प्रदान करते हैं।
  • यह भूमि में मौजूद अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील अवस्था में परिवर्तित कर के सरलता से पौधों को उपलब्ध करवाते हैं।
  • जैव उर्वरक पूर्णतः प्राकृतिक होते हैं इसलिए इनका पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • यह मिट्टी के भौतिक जैविक गुणों को बढ़ाने में सहयता करते हैं एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
  • जीवाणु खाद का प्रभाव फसल एवं मिट्टी में बहुत धीरे-धीरे दिखाई देता है। खेत की एक ग्राम मिट्टी में लगभग दो-तीन अरब सूक्ष्म जीवाणु पाये जाते हैं जिसमें बैक्टिरीया, कवक आदि उपस्थित होते हैं जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने व फसलोत्पादन की वृद्धि की दिशा में कार्य करते हैं।
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फ़सलों में पोटाश का महत्व

Importance of Potash in Crops
  • अच्छी फसल उत्पादन के लिए पोटाश एक आवश्यक पोषक तत्व माना जाता है।
  • पोटाश की संतुलित मात्रा फसल में बहुत तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे बीमारियां, कीट, रोग, पोषण की कमी आदि के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • पोटाश के द्वारा फसल में अच्छा जड़ विकास एवं मज़बूत तना विकास होता है जिसके फलस्वरूप फसल मिट्टी में अपनी पकड़ अच्छी तरह बना लेती है।
  • पोटाश की संतुलित मात्रा मिट्टी की जल धारण क्षमता का विकास करती है।
  • पोटाश फसलों की पैदावार एवं गुणवत्ता बढ़ाने वाला तत्व है।
  • इसकी कमी से फसल का विकास रुक जाता है।
  • इसकी वजह से ही पत्तियों का रंग गहरा हो जाता है।
  • पोटाश की कमी से फसल की पुरानी पत्तियां किनारे से पीली पड़ जाती हैं एवं पत्तियों के ऊतक मर जाते हैं और बाद में पत्तियां सूख जाती हैं।
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खेती के साथ अब किसान कर सकते हैं व्यापार, केंद्र सरकार करेगी मदद

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से लगातार कई नए प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि ‘केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 तक किसानों की आय बढ़ाने के लिए 10,000 एफपीओ का गठन करने का फैसला किया है। इन एफपीओ को सरकार द्वारा पांच साल के लिए समर्थन दिया जाएगा। इस कार्य में लगभग 6,866 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।’

इस योजना के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि “किसान संगठन को रजिस्ट्रेशन के बाद उसके काम को देखकर हर साल 5 लाख रुपए दिये जाएंगे और यह राशि 3 साल के लिए 15 लाख होगी।” इस योजना में 300 किसान मैदानी क्षेत्र के और 100 किसान किसान पहाड़ी क्षेत्र के होंगे।

स्रोत: कृषि जागरण

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अम्लीय मिट्टी से क्या आशय है?

What do you mean by acidic soil
  • मिट्टी में अम्लीयता मिट्टी का एक प्राकृतिक गुण है और इसके कारण फसल के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • अधिक वर्षा होने के कारण मिट्टी की ऊपरी परत पर जो क्षारीय तत्व पाए जाते है वह बह जाते हैं।
  • इसके कारण मिट्टी का pH मान 6.5 से कम हो जाता है। ऐसी मिट्टी अम्लीय मिट्टी कहलाती है।
  • अम्लीयता के कारण ऐसी मिट्टी में फसल का पूर्ण विकास नहीं हो पता है। एवं फसल की जड़ें छोटी और बहुत अधिक मोटी होकर आपस में इकट्ठी हो जाती हैं।
  • मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और कुछ पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, बोरोन, पोटाश, मैगनीज एवं आयरन की अधिकता हो जाती है जिसका प्रतिकूल प्रभाव फसल पर होता है।
  • अम्लीयता के कारण मिट्टी में जो प्राकतिक रूप से सूक्ष्म पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं उनकी क्रियाशीलता भी प्रभावित होती है।
  • अम्लीय मिट्टी के प्रबंधन के लिए चूने का उपयोग करना चाहिए।
  • अम्लीय मिट्टी के प्रबंधन के लिए चूने की मात्रा, मिट्टी परीक्षण के बाद ही सुनिश्चित करें।
  • यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अम्लता के उपचार में, चूने का उपयोग हमेशा मिट्टी के उपचार के रूप में किया जाना चाहिए।
  • चूने का उपयोग करने से मिट्टी में उपस्थित हाइड्रोजन की मात्रा कम हो जाती है एवं मिट्टी का पी.एच. मान बढ़ जाता है।
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