- मिर्च की फसल में मुख्यतः अलग अलग प्रकार की खरपतवारों का प्रकोप होता है। इनका अधिक प्रकोप मानसून की पहली बारिश के बाद ज्यादा होता है।
- यह मिर्च की फसल को बढ़ने में रुकावट पैदा करते हैं। इनके नियंत्रण के लिए निम्रलिखित खरपतवारनाशी का उपयोग किया जाता है।
- क्विज़ालोफ़ॉप इथाइल 5% EC@400 मिली/एकड़ या प्रॉपक्विज़फ़ॉप 10% EC @ 400 मिली/एकड़ का सकरी पत्ती के खरपतवारों लिए उपयोग करें।
- पेंडीमेथलिन 38.7% CS@ 700 मिली / एकड़ ( 3 से 5 दिन) और मेट्रीबुज़िन @ 100 ग्राम/एकड़ (20-25 दिन) का उपयोग करें।
- मिर्च की फसल में सभी प्रकार के खरपतवारों के खिलाफ इन रसायनों का उपयोग किया जा सकता है।
- बेहतर परिणाम के लिए छिड़काव के लिए घोल में पानी की मात्रा बराबर होनी चाहिए।
- जब हम मिट्टी में खरपतवारनाशी का उपयोग करते हैं, तो सर्वोत्तम परिणामों के लिए मिट्टी में उचित नमी होनी चाहिए।
पीएम-किसान योजना पर किसानों को मोदी सरकार ने भेजा लाभकारी संदेश
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को अगली किश्त भेजे जाने की तारीख निश्चित हो गई है। इसके अंतर्गत मोदी सरकार 1 अगस्त से 2000 रुपए की छठी किश्त किसानों के बैंक खाते में भेजने वाली है। बहरहाल इस किश्त के भेजे जाने से पहले मोदी सरकार द्वारा किसानों को एक संदेश भेजा गया है।
मोदी सरकार की ओर से भेजे गए इस संदेश में कहा गया है- ‘प्रिय किसान, अब आप अपने आवेदन की स्थिति PM-KISAN की हेल्पलाइन नंबर 011-24300606 पर कॉल करके जान सकते हैं।’ इसका मतलब हुआ की अब किसान अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से बहुत ही आसानी से आवेदन से जुड़ी हर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ग़ौरतलब है की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक सरकार ने 9.85 करोड़ किसानों को लाभ मुहैया करवाया है। इस बार की किश्त भेजने से पहले मोदी सरकार ने सभी किसान भाइयों को यह मैसेज भेजा है, जो किसानों को फायदा पहुँचाएगा।
स्रोत: जागरण
Shareमिर्ची के पौध की रोपाई विधि
- बुआई के 35 से 40 दिनों बाद मिर्च की पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। रोपाई का उपयुक्त समय मध्य जून से मध्य जुलाई तक रहता है।
- रोपाई के पूर्व नर्सरी में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए, ऐसा करने से पौध की जड़ नहीं टूटती, वृद्धि अच्छी होती है और पौध आसानी से लग जाती है। इसके अलावा पौध को जमीन से निकालने के बाद सीधे धूप मे नहीं रखना चाहिये।
- नर्सरी से मिर्च की पौध को उखाड़ कर खेत में लगाने से पहले पौध का उपचार करना अतिआवश्यक होता है।
- पौध के जड़ों के अच्छे विकास के लिए 5 ग्राम माइकोरायज़ा प्रति लीटर की दर से एक लीटर पानी में घोल बना लें। इसके बाद मिर्च के पौध की जड़ों को इस घोल में 10 मिनट तक के लिए डुबो के रखें। यह प्रक्रिया अपनाने के बाद ही खेत में पौध रोपण करें।
- रोपाई के तुरंत बाद खेत में हल्का पानी देना चाहिए। मिर्च के पौध की रोपाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी रखनी चाहिये।
मिर्च के खेत की तैयारी एवं मिट्टी उपचार
- मिर्च की पौध की रोपाई से पूर्व खेत में सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करनी चाहिये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, कीट की प्युपा अवस्था तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जाते हैं।
- इस क्रिया के बाद हैरो या देशी हल से 3 से 4 बार जुताई करने के बाद पाटा चला कर खेत को समतल कर लेना चाहिये। अंतिम जुताई के बाद ग्रामोफ़ोन की पेशकश ‘मिर्च समृद्धि किट‘ जिसकी मात्रा 5.3 किलो है, को 100 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर खेत में बिखेर दें और इसके बाद हल्की सिंचाई कर दें।
- यह ‘मिर्च समृद्धि किट’ आपके मिर्च की फसल का सुरक्षा कवच बनेगा। इस किट में आपको वो सबकुछ एक साथ मिलेगा जिसकी जरुरत मिर्च की फसल को होती है। इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं।
- ‘मिर्च समृद्धि किट’ में तीन प्रकार के बैक्टीरिया ‘नाइट्रोजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, पीएसबी और केएमबी से मिलकर बना है। यह अघुलनशील जिंक को घुलनशील बनाता है और पौधों को यह उपलब्ध करवाता है। यह पौधों की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
- मिर्च समृद्धि किट मिट्टी और बीज में होने वाले रोगजनकों को मारता है और फूल, फल, पत्ती आदि की वृद्धि में मदद करता है साथ ही साथ सफेद जड़ के विकास में भी मदद करता है।
मप्र के किसानों ने बनाया रिकॉर्ड, पूरे देश में सबसे ज्यादा गेहूं उपार्जन करने वाला राज्य बना
मध्यप्रदेश के किसानों ने बड़ा रिकॉर्ड बना दिया है। यह रिकॉर्ड समर्थन मूल्य पर हुए गेहूँ उपार्जन में बना है। दरअसल देश भर में मध्यप्रदेश ने इस बार सबसे ज्यादा गेहूं का उपार्जन किया है। 15 जून तक मध्यप्रदेश में एक करोड़ 29 लाख 28 हजार मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन समर्थन मूल्य पर हुआ है। इतना गेहूं आज तक किसी राज्य में उपार्जित नहीं किया गया था और यह अब तक का ऑलटाइम रिकार्ड है।
कोरोना महामारी के कारण लम्बे समय तक चले देशव्यापी लॉकडाउन के बीच मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूँ उपार्जन के प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इस मसले पर 23 मार्च से लगातार मुख्यमंत्री ने 75 बैठकें एवं जिला कलेक्टर्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की और गेहूँ उपार्जन की प्रतिदिन समीक्षा की। कोरोना लॉकाडाउन एवं निसर्ग तूफान के रुकावटों को पीछे छोड़ते हुए मध्यप्रदेश के किसानों ने यह बड़ा रिकॉर्ड बना दिया।
स्रोत: पत्रिका
Shareधान की खेती में बुआई से पहले ऐसे करें बीज़ उपचार
- धान की फसल में बीज उपचार से फफूंद एवं जीवाणु द्वारा फैलने वाले फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों का नियंत्रण हो जाता है।
- रोगों से बचाव के लिए एक किलो बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 64% या 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% +थायरम का उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में फास्फेट सोलुबलाइज़िंग बैक्टीरिया 2 ग्राम + ट्रायकोडर्मा विरिडी 5 ग्राम/किलो बीज या
- फॉस्फोरस सोलुबलाइज़िंग बैक्टीरिया 2 ग्राम + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करके ही बुआई करनी चाहिए।
- उपचार के बाद बीज को समतल छायादार स्थान पर फैला दें तथा भीगे जूट की बोरियों से ढक दें।
- बीज उपचार के तुरंत बाद बुआई करें। उपचार के बाद बीज को ज्यादा देर तक रखना उचित नहीं है।
- उपचारित बीज का समान रूप से बुआई कर दें। ध्यान रखें कि बीज की बुआई शाम को करें क्योंकि अधिक तापमान से अंकुरण के नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।
धान की नर्सरी की तैयारी कैसे करें?
- एक एकड़ के खेत के 1/10 भाग में नर्सरी लगाएं। ज्यादा बड़े भाग में नर्सरी लगाने के बाद उसके प्रबंधन में कठिनाई आती है।
- 2 से 3 जुताई कर के खेत को समतल कर लें और खेत की मिट्टी को भुरभुरी कर लें।
- खेत से पानी निकलने का सही इंतजाम करें।
- नर्सरी के लिए 1.0 से 1.5 मीटर चौड़ी व 4 से 5 मीटर लंबी क्यारियां एवं उभरी हुई क्यारियाँ बनाना सही रहता है।
- नर्सरी में बीज बुआई से पहले उपचारित ज़रुर करें।
- नर्सरी में 100 किलोग्राम पकी हुई गोबर की खाद या FYM का उपयोग 10 किलो/वर्ग मीटर और इसके साथ में ह्यूमिक सीवीड 100ग्राम/वर्ग मीटर की दर से भुरकाव करें।
राजधानी भोपाल पर टिड्डी दल का बड़ा हमला, मूंग और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान
पिछले कुछ हफ्ते से रुक रुक कर टिड्डी दल के हमले राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई जिलों में हो रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार शाम मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में टिड्डियों ने हमला कर दिया। लाखों की संख्या में टिड्डियां होशंगाबाद रोड से लेकर बरखेड़ा पठानी, एम्स और अवधपुरी इलाके तक छा गईं।
ख़बरों के अनुसार टिड्डी दल ने विदिशा से बैरसिया होते हुए भोपाल में प्रवेश किया। शनिवार रात प्रशासन को बैरसिया में टिड्डी दल के होने की खबर मिली थी। बैरसिया से लेकर विदिशा नाके तक कृषि विभाग ने टिड्डियों को रोकने के इंतज़ाम कर लिए थे, लेकिन रविवार शाम टिड्डी दल ने भोपाल में प्रवेश कर लिया।
बहरहाल कृषि विभाग टिड्डी दल से निपटने इंतज़ाम कर रहा है। इसके लिए कृषि विभाग ने टीम तैयार की है जो टिड्डियों पर केमिकल का छिड़काव कर के इन्हें मार देंगे। इसके लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की मदद भी ली जाएगी।
भोपाल से पहले टिड्डी दल ने विदिशा में फसलों को नुकसान पहुंचाया। बताया जा रहा है की यहाँ टिड्डी दल ने चौथी बार हमला किया है। यहाँ 6 गांवों में मूंग और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
स्त्रोत: भास्कर
Shareमक्का की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले ऐसे करें बीज उपचार
- मक्का की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले बीज उपचार कर लेना चाहिए। ऐसा करने से फफूंद एवं जीवाणु द्वारा फैलने वाले फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों का नियंत्रण होता है।
- इससे बीजों के अंकुरण के समय या अंकुरण के बाद मिट्टी जनित एवं बीज जनित कवक रोगों एवं कीटों से रक्षा होती है।
- सम्पूर्ण फसल का सामान विकास एवं परिपक्वता होती है।
- बीज उपचार दो प्रकार से किया जाता है जैविक और रासायनिक तरीके से।
- जैविक उपचार के लिए PSB बैक्टीरिया + ट्राइकोडर्मा विरिडी @2 ग्राम/किलो बीज + 5 ग्राम/किलो बीज का उपयोग करना चाहिए।
- वहीं रासायनिक उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 2.5 ग्राम/किलो बीज।
- इमिडाक्लोप्रिड 48% FS @ 5 मिली/किलो बीज या
- कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% WP@ 2.5 ग्राम/किग्रा बीज या
- साइंट्रानिलिप्रोएल 19.8% + थियामेथोक्साम 19.8% FS @ 6 मिली/किलो बीज का उपयोग करें।
- मक्का में फॉल आर्मी वर्म नियंत्रण के लिए भी बीज़ उपचार बहुत महत्वपूर्ण होता है।
- बीज उपचार करने के लिए सबसे पहले बुआई के लिए बीजों का चयन करें एवं बीज को बताई गयी मात्रा में उपचारित करें। इसके अलावा उपचार के तुरंत बाद बीज की बुआई करें। बीज को संग्रहीत करके ना रखें।
बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन का महत्व
- सोयाबीन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुआई के समय उर्वरक का सही उपयोग बहुत आवश्यक होता है। इससे फसल के अंकुरण में बहुत फायदा होता है।
- उर्वरक प्रबंधन के लिए MOP @ किलो/एकड़ + DAP @ 40 किलो/एकड़ + केलड़ान 5 किलो/एकड़ + धानटोटसु 100 ग्राम/एकड़ + ज़िंक सल्फेट 3 किलो/एकड़ + वोकोविट 3 किलो/एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें।
- इसके लिए किसान भाई सोया समृद्धि किट का भी उपयोग कर सकते है।
- बुआई के समय खेत में उचित नमी होना बहुत आवश्यक है। ताकि उर्वरक का संपूर्ण लाभ फसल को मिल सके।