किसानों के लिए बड़ी खुशख़बरी: 14 खरीफ फ़सलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई वृद्धि

Good News for Farmers Increase in Minimum Support Price of 14 Kharif Crops

कोरोना संकट के बीच किसानों के लिए एक बड़ी खुशख़बरी आई है। यह खुशख़बरी मोदी की अध्यक्षता में कल हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक से आई है। इस बैठक में खरीफ सीजन की 14 फ़सलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किये गए हैं जो की पिछले साल की तुलना में बढ़ा दिया गया है।

कैबिनेट ने धान की एमएसपी 1868 रुपये, ज्वार की 2620 रुपये, बाजरा की 2150 रुपये प्रति क्विंटल तय की है। साथ ही मक्का की एमएसपी 1850 रुपये, मूंगफली की 5275 रुपये, सूरजमुखी की 5885 रुपये, सोयाबीन की 3880 रूपये और कपास की की माध्यम रेशे वाली उपज की 5515 रूपये तथा लम्बे रेशे वाली उपज की 5825 रुपये प्रति क्विंटल तय की है।

ग़ौरतलब है की कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्रइसेज़ (सीएसीपी) ने पिछले दिनों केंद्रीय कैबिनेट के समक्ष पेश किये अपने रिपोर्ट में 17 खरीफ फ़सलों के समर्थन मूल्य को बढ़ाने की सिफारिश की थी। अब केंद्रीय कैबिनेट ने सीएसीपी की इन्हीं सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए खरीफ सीजन की 14 फ़सलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिए हैं।

स्रोत: ज़ी बिजनेस

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मुंबई से टकराएगा निसर्ग तूफ़ान: गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश तक में होगी भारी बारिश

Nisarg storm will hit Mumbai heavy rain will occur in Gujarat, Rajasthan, MP

अभी कुछ दिन पहले ही बंगाल की खाड़ी में अम्फान चक्रवात ने खूब तबाही मचाई थी और अब अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण निसर्ग नाम का चक्रवात शुरू होने वाला है। यह चक्रवात पश्चिमी तटों से गुजरते हुए करीब सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरात और महाराष्ट्र के तटों से टकराएगा।

चक्रवाती तूफानों के 100 साल के इतिहास में ऐसा कभी देखने को नहीं मिला की अरब सागर में विकसित होने वाला कोई चक्रवाती तूफान जून में बना हो और महाराष्ट्र के तटों से टकराया हो। इसका मतलब यह हुआ की एक सदी में अपनी तरह का यह पहला चक्रवाती तूफान होगा जो अरब सागर में विकसित होने के बाद मुंबई से टकराने जा रहा है।

यह तूफ़ान मुंबई के करीब 3 जून को टकराएगा और इसका असर महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश तक में देखने को मिल सकता है। इस तूफ़ान की वजह से 3 जून से 5 जून के बीच इन क्षेत्रों में अच्छी बारिश देखने को मिल सकती है।

स्रोत: जागरण

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धान की खेती में लाभकारी होगा बीज उपचार, जानें उपचार की विधि

Seed treatment will be beneficial in paddy cultivation, know the method of treatment
  • धान की फसल में फफूंद एवं जीवाणुनाशक दवाओं से बीज के द्वारा फैलने वाली फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों को नियंत्रित किया जाता है। 
  • रोग से बचाव के लिए एक किलो बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 64% या 3 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% DS या 3 मिली थियोफेनेट मिथाइल 45% + पायराक्लोस्ट्रोबिन 5% FS से बीज उपचार करके ही बुआई करनी चाहिए। 
  • इसके बाद बीज कों समतल छायादार स्थान पर फैला दें तथा इसे भीगे जूट की बोरियों से ढक दें। बोरियों के ऊपर पानी का छिड़काव करें जिससे नमी बनी रहे। 24 घंटे के बाद बीज अंकुरित हो जाएगा। 
  • फिर अंकुरित बीज को समान रूप से बुआई कर दें। ध्यान रखें कि बीज की बुआई शाम को करें क्योंकि अधिक तापमान से अंकुरण नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।
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जानें क्या है माइकोराइजा और मिर्च की फसल को यह कैसे पहुँचाता है लाभ

Mycorrhiza effect on chilli plant
  • माइकोराइजा एक जैविक उर्वरक है जो कवक और पौधों की जड़ों के बीच का एक संबंध रखता है। इस प्रकार के संबंध में कवक पौधों की जड़ पर आश्रित हो जाता है और मृदा-जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक बन जाता है। 
  • माइकोराइजा के उपयोग से जड़ों का बेहतर विकास होता है।
  • माइकोराइजा पौधों के लिए मृदा से फास्फोरस की उपलब्धता और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों के अवशोषित करने में मदद करता हैं। 
  • माइकोराइजा मिट्टी से फास्फोरस की उपलब्धता को 60-80 % तक बढ़ाता है।
  • माइकोराइजा पौधों के द्वारा जल के अवशोषण की क्रिया दर को बढ़ाकर पौधे को सूखे के प्रति सहनशीलता बढ़ाता है। जिससे यह पौधों को हरा भरा रखने में मदद मिलती है।  
  • अतः यह फ़सलों की पैदावार को बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
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गाय एवं भैंस वंशीय पशुओं को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए लगाया जाएगा मुफ्त टीका

Free vaccination to protect Cow Descent animals from infectious diseases

वर्षा ऋतु आने को है और आपको पता ही होगा की बरसात के मौसम में कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है। खासकर के गाय एवं भैंस वंशीय पशुओं में फूट एंड माउथ और ब्रुसेला डिसीज जैसी संक्रामक बीमारियों के होने कि संभावना ज्यादा रहती है | इसकी रोकथाम के लिए अब केंद्र सरकार एक टीकाकरण योजना शुरु कर रही है जिससे बीमारी को शुरू होने से पहले ही रोका जा सकता है |

इस योजना के अंतर्गत देश के अलग–अलग राज्यों में सभी गाय तथा भैंस वंशीय पशुओं को टीका लगाया जाना है। मध्य प्रदेश सरकार भी बरसात शुरू होने से पहले टीकाकरण को शुरू करने जा रही है और यहाँ करीब 290 लाख गाय तथा भैंस वंशीय पशुओं का टीकाकरण किया जायेगा।

भारत सरकार की तरफ से इस योजना के लिए 13 हजार 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत एक वर्ष में दो बार टीकाकरण किया जायेगा।

स्रोत: किसान समाधान

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मिर्च की फसल में जीवाणु पत्ती धब्बा रोग से बचाव के उपाय

bacterial leaf spot in chilli
  • पुरानी फसल के अवशेष व खरपतवारों से खेत को मुक्त रखना चाहिए। 
  • इससे रोग रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 24 ग्राम/ एकड़ या 
  • कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली/ एकड़ या 
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम/ एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 
  • जैविक माध्यम से इस रोग के लिए 500 ग्राम स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस और  500 मिली बेसिलस सबटिलिस प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 
  • फलों के बनने के बाद स्ट्रेप्टोमाइसिन दवा का छिड़काव नहीं किया जाना चाहिए।
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