बैगन में आद्र गलन रोग का नियंत्रण:-
लक्षण:- यह बीमारी प्रायः नर्सरी अवस्था में होती है ।
- बारिश में अत्यधिक नमी एवं सामान्य तापमान मुख्य रूप से इस रोग के विकास हेतु अनुकूल होती है।
- इस बीमारी का आक्रमण प्रायः पौधे के आधार स्तर पर होता है। इस रोग में दो प्रकार के लक्षण दिखाई देते है ।
- पहला आर्द्रगलन प्रायः बीज और पौध के उगने के पूर्व होता है।
- दूसरा आधार के नये उतक में संक्रमण प्रारंभ होता है ।
- संक्रमित उत्तक मुलायम एवं उन पर कुछ समय बाद जल रहित धब्बों का निर्माण हो जाता है । जिसके कारण आधारीय भाग सड़ जाता है। और अंततः पौध मर जाता है।
प्रबंधन:-
- स्वस्थ बीजो को ही बुवाई हेतु उपयोग करे।
- बीजो को बुआई के पूर्व थाइरम 2 ग्राम प्रति कि.ग्राम बीज को मात्रा की दर से उपचारित करे।
- किसी भी एक जगह पर लगातार नर्सरी को न उगाये।
- नर्सरी की ऊपरी भूमि को कार्बेन्डाजिम 50% WP 5 ग्राम प्रति मीटर क्षेत्रफल की दर से उपचारित करना चाहिये एवं नर्सरी को कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% के द्वारा 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल से छिड़काव करे।
- ग्रीष्म ऋतु में मई माह के अंत में तैयार की गई नर्सरी में पानी छिड़काव कर ततपश्चात 250 गेज मोटी पालीथिन बिछाकर सूर्य ऊर्जा द्वारा 30 दिन तक उपचारित कर बीजो की बुवाई करें ।
- आर्द्रगलन की रोकथाम हेतु जैविक कारक जैसे ट्राइकोडर्मा विरीडी को 1.2 कि. ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करे।
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