खेतों में फसल अवशेष यानि पराली के जलने से वायु प्रदूषण की समस्या पैदा होती है। इतना ही नहीं पराली जलाने पर जैव विविधता पर भी काफी असर पड़ता है। पर्यावरण में हो रहे इस नुकसान को देखते हुए सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान लागू किया है। इसकी जानकारी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दी है।
इसके अनुसार 2500 एकड़ के क्षेत्र में पराली जलाने पर 2500 रूपए का जुर्माना भरना होगा। इसके अलावा 5 एकड़ के लिए 5000 रूपए और 5 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र होने पर 15 हजार रूपए से भी ज्यादा जुर्माना भरना पड़ सकता है। सरकार के अनुसार फसल अवशेष जलाने से प्रदूषण तो फैलता ही है, इसके साथ ही खेत की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होती है। इसके कारण अगली फसल की उत्पादकता में भी कमी आती है।
इन समस्याओं से बचने के लिए सरकार ने किसानों से पराली न जलाने की अपील की है। पराली जलाने के बजाय किसानों को फसल अवशेष को जुताई के समय मिट्टी में मिला देने की सलाह दी गई है। इससे कुछ ही दिनों में यह खाद में परिवर्तित हो जाएगी और आगामी फसल की लिए उपयोगी साबित होगी। इसके अलावा गेहूँ के डंठल से किसान भूसा भी बना सकते हैं, जो उनके पशुओं के चारें के काम आएगा। इस तरह किसान भाई पराली का उपयोग करके ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
स्रोत: टीवी 9
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