नींबू वर्गीय पौधों में सिट्रस सिल्ला कीट नियंत्रण के उपाय

  • यह नींबू वर्गीय पौधों में नुकसान पहुंचाने वाले कीटों में से एक प्रमुख कीट है जो की शरद एवं बसंत ऋतु के दौरान नई कोमल पत्तियों पर सक्रिय रहता है एवं मार्च-अप्रैल माह में फूल और फल वृद्धि के दौरान अधिक क्षति पहुंचाता है।

  • यह कीट नींबू वर्गीय पौधों में होने वाले रोग ग्रीनिंग का वाहक भी है। 

  • यह कीट आकार में छोटा, 3-4 मिमी लंबा, भूरे रंग का, पारदर्शी पंख युक्त होता है। 

  • यह कीट खुली पत्तियों की कलियों पर अंडे देता है जो चमकीले पीले रंग के होते हैं। 

  • शिशु व प्रौढ़ दोनों ही पत्तियों, कोमल तनों और फूलों से रस चूसकर पौधे को नुकसान पहुंचाते हैं। 

  • इससे पत्तियां मुड़कर सूख कर झड़ने लगती है और अंतत: टहनियां भी सूखने लगती हैं।

  • इस कीट के निम्फ क्रिस्टलीय शहद जैसे द्रव को स्रावित करते हैं जो की कवक के विकास को आकर्षित करता हैं फलस्वरूप प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है।

  • इसके प्रबंधन के लिए सेलक्विन (क्विनालफॉस) @ 700 मिली या प्रोफेनोवा (प्रोफेनोफॉस 40% + साइपरमेथ्रिन 04% ईसी) @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।

कृषि एवं किसानों से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

See all tips >>