जानिए धान की खेती में नील हरित शैवाल का उपयोग कैसे करें

  • यह एक नाइट्रोज़न स्थिरीकरण जीवाणु नील हरित शैवाल है, जो प्रकाश संश्लेषी सूक्ष्म जीव होते है। 

  • जो नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक है। नील-हरित शैवाल  को ‘सायनोबैक्टीरिया’ भी कहा जाता है|

  • यह सूक्ष्म जीव गुणात्मक रूप से बाकी जीवाणु वर्ग से अधिक लाभकारी होता है| इसलिए ये सायनोबैक्टीरिया कहलाते है। 

  • सभी नील-हरित शैवाल नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक नहीं होते हैं। नील-हरित शैवाल की कुछ प्रजातियाँ एनाबीना अजोला, एनाबीना फर्टिलिसिया, एनाबिना लेवेन्छरी, नॉस्टॉक फॉरमीडियम, आसिलेटोरिया, ट्राइकोडेसियम, इत्यादि नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक होते हैं|

  • नील-हरित शैवाल की उन प्रजातियों में हिटरोसिस्ट युक्त व हिटरोसिस्ट रहित दोनों प्रजातियां शामिल हैं, नील-हरित शैवाल धान की फसल के लिए बहुत उपयोगी हैं।

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धान की फसल में सीधी बुवाई पद्धति में बियासी के फायदे

  • धान की अधिकांश खेती सीधी बुवाई विधि से की जाती है। इसमें वर्षा आरम्भ होने पर खेत की जुताई कर छिटकवां विधि से बीज बोने के पश्चात् देशी हल या पाटा चलाकर बीज ढँक दिया जाता है।

  • बुवाई के 30-35 दिन बाद, जब 10 से 15 इंच का पौधा हो जाता है, तथा 15-20 सेमी.पानी भरने के बाद, खड़ी फसल में बैल चालित हल से हल्की जुताई (बियासी) कार्य किया जाता है। 

  • इससे मिट्टी दलदली हो जाती है, जिससे फसलों की वृद्धि में मदद मिलती है। 

  • जहां प्रति इकाई अधिक पौधे हों वहां जुताई करने से पौधे जड़ से निकल आते हैं, उसके बाद जहां पौधों की संख्या कम हो वहां रोपाई की जा सकती है। 

  • अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत बियासी करना आवश्यक है, इससे खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता और वायु परिसंचरण में सुधार होता है।

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धान की खेती के लिए भूमि की तैयारी क्यों आवश्यक है?

👉🏻किसान भाइयों धान की अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत को सही से तैयार करना अति आवश्यक है। 

👉🏻अच्छी तरह से तैयार भूमि खरपतवार रहित होते हैं एवं जल धारण क्षमता भी अधिक होती है। 

👉🏻भूमि में पाए जाने वाले जैविक तत्व (केंचुआ) अच्छी तरह से काम करते हैं। इससे पौध का जड़ का विकास सही से होता है। 

👉🏻धान क फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताई  कल्टीवेटर करके खेत तैयार करना चाहिए। इसके बाद खेत को मचाकर एक समान रूप से समतल कर लेना चाहिए। 

👉🏻खेत में चारों तरफ से मजबूत मेढ़ बंदी कर देनी चाहिए, जिससे की वर्षा जल को खेत में लम्बे समय तक संचित किया जा सके। 

👉🏻पडलिंग पद्धति द्वारा एक असामान्य खेत को समतल बनाया जाता है। 

👉🏻खेत में पानी की सामान्य गहराई को बनाए रखता है। 

👉🏻पानी की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए भूमि का समतलीकरण अति आवश्यक है। 

👉🏻एक अच्छी जुताई से खेती योग्य भूमि में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहती है।

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