प्रिय किसान, धान के फसल उत्पादन में इस कीट से 25 से 30% या उससे ज्यादा की गिरावट देखी गई है। इस कीट की इल्ली (मैगट) नये कल्ले के शीर्ष बिंदु को खाकर अंदर प्रवेश करते हैं एवं कल्ले के आधार पर एक गठान बन जाती है, जो बाद में गोल पाइप का रूप धारण कर लेती है। जिससे “प्याज के पत्ते” या “सिल्वर-शूट” के समान पोंगा का निर्माण होता है। प्रभावित कल्ले में धान की बाली नहीं आती है।
नियंत्रण के उपाय
इस कीट के नियंत्रण के लिए, थियानोवा 25 @ 40 ग्राम + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। या फुरी (कार्बोफ्यूरान 3% सीजी) @ 10 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन में भुरकाव करें।
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