इस रोग का प्रकोप होने पर फंगस सबसे पहले तना एवं जड़ के बीच कॉलर को ग्रसित करता है, जिस कारण मिट्टी के आस पास कॉलर पर सफेद एवं काले फफूंद दिखने लगते हैं। इसके अलावा तने के उत्तक हल्के भूरे और नरम हो जाता है और धीरे-धीरे मुरझाने लगता है। प्रकोप की अनुकूल परिस्थिति में यह रोग अन्य भाग को भी प्रभावित कर सकता है। अंत में रोग के कारण पौधे मुरझाकर मर जाते हैं।
रोकथाम हेतु इन उपायों को अपनाएं
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रोगग्रस्त पौधे के अवशेषों को नष्ट करें।
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जल निकास की व्यवस्था करें व फसल चक्र अपनाएं।
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नर्सरी का निर्माण ऊँची जगह पर करें।
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बीजों का उपचार करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 64%) @ 3 ग्राम/किलो बीज की दर से करें।
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बाविस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50%) 300 ग्राम या नोवैक्सिल (मेटालेक्ज़िल 8% + मैनकोजेब 64%) @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर दो बार ड्रेंचिंग करें।
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