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किसान भाइयों जायद के मौसम में कद्दू वर्गीय फसलें जैसे लौकी, गिलकी, तोरई, कद्दू, परवल, तरबूज, खरबूज आदि बहुत अधिक क्षेत्र में लगायी जाती है।
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मौसम एवं तापमान में परिवर्तन के कारण कद्दू वर्गीय फसलों में फूल आने के बाद फल विकास में बहुत समस्या आती है।
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मधुमक्खियां कद्दू वर्गीय फसलों में प्राकृतिक रूप से परागण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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कद्दू वर्गीय फसलों में मधुमक्खी के द्वारा परागण की क्रिया को 80% तक पूरा किया जाता है।
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मधुमक्खियों के शरीर में बाल अधिक संख्या में पाए जाते है जिनमें पराग कण चिपक जाते हैं इसके बाद जब मधुमक्खियां दूसरे मादा पुष्पों पर जाकर बैठती हैं तो पराग कणों को छोड़ देती है।
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मधुमक्खियों से फसलों को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है।
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उपर्युक्त क्रिया के बाद निषेचन की क्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद पौधे में फूल से फल बनने की क्रिया शुरू हो जाती है।
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