गेहूँ में पीलेपन के होते हैं कई कारण, जानें नियंत्रण के उपाय

Know what is the reason for the yellowing of the wheat crop

किसान भाइयों गेहूँ की फसल में पीलेपन की समस्या 3-4 कारणों से हो सकती हैं। शुरूआती अवस्था में गेहूँ की निचली पत्तियों में जो पीलापन आता है, वह नाइट्रोज़न के कमी से होता है। वहीं फफूंद जनित रोगों जिसमे मिट्टी एवं बीज जनित रोग शामिल होते हैं के कारण भी पीलापन बढ़ता है। कभी कभी अधिक जल भराव के कारण या पानी के लंबे समय तक रुके होने के कारण पौधों की जड़े सड़ जाती हैं और इसके कारण भी पौधा पीला पड़ जाता है। अभी सबसे ज्यादा फसल में जड़ माहु, दीमक एवं तना बेधक कीट देखने को मिल रहा है। यह भी गेहूँ की फसल में पीलापन का मुख्य कारण है। 

  • जड़ माहु: यह कीट नवंबर से फरवरी माह तक अधिक मिलता है। ये पारदर्शी कीट है जो बहुत छोटे और कोमल शरीर वाले पीले भूरे रंग के होते हैं। यह पौधों के आधार के पास या पौधों की जड़ों पर मौजूद होते हैं एवं पौधों का रस चूसते हैं। रस चूसने के कारण पत्तियां पीली हो जाती हैं या समय से पहले परिपक्व हो जाती हैं और इसके कारण पौधे मर जाते हैं।

  • दीमक: यह सफ़ेद मटमैले रंग का कीट है, जो कॉलोनी बनाकर रहता है। दीमक का प्रकोप बुवाई के तुरंत बाद से लेकर परिपक्वता की अवस्था तक होता है। ये कीट पौधों के जड़, तना यहाँ तक कि पौधों के मृत ऊतकों के सेल्युलोज को भी खाते हैं। इससे क्षतिग्रस्त पौधा पीला पड़कर पूरी तरह से सूख जाता है। फुल अवस्था में क्षतिग्रस्त पौधों से सफेद बालियां निकलती हैं। 

  • तना बेधक: इस कीट की गुलाबी सूंडी तने में प्रवेश करती है और डेड हार्ट के लक्षण पैदा करती है।

नियंत्रण के उपाय 

यूरिया: फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके उपयोग से, पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है। 40 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से अवश्य प्रयोग करें। 

फफूंद जनित रोग: इसके नियंत्रण के लिए, कॉम्बैट @ 2 किग्रा + मोनास कर्ब @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें। 

दीमक: इस कीट के नियंत्रण के लिए आप अभी धनवान 20 (क्लोरपाइरीफोस 20% इसी) @ 1400 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से सिंचाई पानी के साथ दें।

गुलाबी तना बेधक: इस कीट के नियंत्रण के लिए सेलक्विन (क्विनालफॉस 25% ईसी) @320 मिली, प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

जड़ माहु: इस कीट के नियंत्रण के लिए, थियानोवा 25 (थियामेथोक्सम 25 % डब्ल्यूजी) @ 100 ग्राम (बारीक़ कर के) + बवे र्ब @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ यूरिया के साथ मिलाकर समान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें।

या 

सिंचाई कर चुके हैं तो मीडिया (इमिडाक्लोप्रिड 17.80% एसएल) @ 60 से 70 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @50 मिली + नोवामैक्स @300 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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पहाड़ों पर भारी बर्फबारी के साथ कई राज्यों में बारिश के आसार

know the weather forecast,

पहाड़ों पर वेस्टर्न डिस्टरबेंस ने कोहराम मचाया हुआ है। लगातार बर्फबारी हो रही है जो अगले कई दिनों तक जारी रहेगी। इसके प्रभाव से बनने वाला चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र मैदानी भागों को प्रभावित करेगा। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश की संभावना है। अगले दो-तीन दिनों के दौरान उत्तर और मध्य भारत में रात के तापमान बढ़ जाएंगे। 8 जनवरी से बर्फीली हवाएं चलना शुरू होगी जिससे तापमान में भारी गिरावट होगी। कई जगह शीत लहर आएगी और पाला गिरने की भी संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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आलू की फसल में अगेती झुलसा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control measures of early blight in potato crops

क्षति के लक्षण

  • अगेती झुलसा रोग के लक्षण आलू के तने, पत्ते और कंदों पर दिखाई देते हैं। 

  • पत्तियों पर प्रारंभिक लक्षण के तौर पर छोटे 1-2 मिमी काले या भूरे घाव दिखाई देते हैं। 

  • अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में घाव बड़े हो जाते हैं। 10 मिमी से अधिक व्यास वाले घावों में अक्सर गहरे छल्ले होते हैं। जैसे-जैसे घाव बढ़ते हैं, पूरी पत्तियां हरिमाहीन हो जाती हैं। 

  • तनों पर होने वाले घाव अक्सर धंसे हुए होते हैं। इसमें पौधे की मृत्यु हो सकती है।

  • गंभीर रूप से संक्रमित पत्तियाँ पीली होकर गिर जाती हैं। संक्रमित कंदों में भूरी, कार्क जैसी सूखी सड़न दिखाई देती है।

नियंत्रण के उपाय 

  • इस रोग के नियंत्रण के लिए, नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकनाज़ोल 18.3% एससी) @ 300 मिली या करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी) @ 700 ग्राम + नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001% एल) 300 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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अगले कुछ दिनों में बदलेगा ज्यादातर राज्यों का मौसम, बारिश व ओलावृष्टि की संभावना

know the weather forecast,

लगातार आने वाले वेस्टर्न डिस्टरबेंस का प्रभाव पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश के रूप में दिखाई देगा। जम्मू डिवीजन में भारी बारिश की संभावना है। एक दो स्थानों पर ओले भी गिर सकते हैं। पहाड़ों पर अगले 4 से 5 दिनों तक रुक-रुक कर बर्फबारी जारी रहेगी। कल से उत्तर भारत में न्यूनतम तापमान कुछ बढ़ सकते हैं। 8 जनवरी से एक बार फिर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में तापमान गिरेंगे और शीतलहर आ जाएगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव?

Mustard mandi bhaw

सरसों के मंडी भाव में तेजी देखने को मिल रही है। देखिये मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव!

मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर आगर सरसों 5390 5560
अशोकनगर अशोकनगर सरसों 5000 5740
अशोकनगर अशोकनगर सरसों-जैविक 5000 5180
रीवा बैकुंठपुर सरसों 5470 5520
भोपाल बैरसिया सरसों 5300 5300
राजगढ़ ब्यावरा सरसों 5255 5255
मंडला बिछिया सरसों 5100 5100
सागर बीना सरसों 5025 5452
मन्दसौर दलौदा सरसों 5550 5701
दमोह दमोह सरसों 5225 5495
विदिशा गंज बासौदा सरसों 5100 5540
हरदा हरदा सरसों 5342 5342
सागर खुरई सरसों 6599 6599
राजगढ़ कुरावर सरसों-जैविक 4950 4950
नीमच मनसा सरसों 5671 5671
मन्दसौर मन्दसौर सरसों 5481 5797
राजगढ़ नरसिंहगढ़ सरसों 4800 5150
नीमच नीमच सरसों 4351 5814
राजगढ़ पचौर सरसों 5320 5320
छतरपुर राजनगर सरसों(काला) 5000 5200
रीवा रीवा सरसों(काला) 5555 5555
सतना सतना सरसों 5285 6000
विदिशा सिरोंज सरसों-जैविक 5290 5375
बालाघाट वारासिवनी सरसों 4500 4500
विदिशा विदिशा सरसों 5000 5855
श्योपुर विजयपुर सरसों 6001 6025

स्रोत: एगमार्कनेट

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मिर्च की बढ़िया उपज के लिए जानें नर्सरी तैयार करने का सही तरीका

Know the right way to prepare nursery for good yield of chilli
  • मिर्च की नर्सरी डालने का सही समय दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह से फरवरी माह तक होता है।

  • एक एकड़ क्षेत्र में रोपण के लिए, 40 वर्ग मीटर के नर्सरी क्षेत्र की आवश्कता होती है।  

  • बीज के अच्छे अंकुरण एवं पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए, मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है।

  • दोमट मिट्टी वाली कार्बनिक पदार्थ से भरपूर क्षेत्र जिसका पीएच रेंज 6.5-7.5 हो और वहां अच्छी जल निकासी की व्यवस्था हो तो यह सबसे अच्छा होगा। 

  • तैयारी के लिए एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें तथा 2-3 जुताई हैरो की सहायता से करें। खेत में मौजूद अन्य अवांछित सामग्री को हटा दें। 

  • अगर मिट्टी में नमी कम हो तो पहले हल्की सिंचाई करें, फिर खेत की तैयारी करें और आखिर में पाटा चला कर खेत को समतल कर लें।

  • बीज एवं मिट्टी जनित रोग जैसे आद्र गलन, से बचाने के लिए बीज को,  कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1.00% डब्ल्यूपी) @ 4 ग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 1.00% डब्ल्यूपी) @ 10 ग्राम, प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित कर बुवाई करें। 

  • खेत की तैयारी होने के बाद, गोबर की खाद – 10 किग्रा + स्पीड कम्पोस्ट 200 ग्राम  + मैक्सरूट – 50 ग्राम  + डीएपी – 1 किग्रा, को आपस में मिलाकर 40 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें। 

  • बीज दर – 80 से 100 ग्राम बीज प्रति एकड़ के लिए पर्याप्त है। 

  • तैयार किये गए बेड में बीज की बुवाई करें एवं झारे की सहायता से हल्की सिंचाई करें। 

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कई राज्यों में बारिश के आसार, पहाड़ों पर भारी बर्फबारी रहेगी जारी

know the weather forecast,

पहाड़ों पर हल्की बर्फबारी शुरू हो चुकी है। अगले चार-पांच दिनों तक तेज बर्फबारी जारी रहेगी। बर्फ खिसकने की संभावना भी कई जगह दिखाई दे रही है। 5 और 6 जनवरी के बीच पंजाब और हरियाणा के उत्तरी जिलों में बारिश की संभावना है। तमिलनाडु और केरल के दक्षिणी जिलों में भी हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। अगले दो दिनों के दौरान देश के कई राज्यों में न्यूनतम तापमान गिरेंगे। 4 जनवरी से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में न्यूनतम तापमान बढ़ सकते हैं।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग का ऐसे करें निवारण

Prevention of late blight disease in potato crop

  • यह रोग आलू के पौधों की पत्तियों, तने और कंदों को प्रभावित करता है l 

  • इस रोग में पत्तियों पर अनियमित आकार के पानी से भीगे धब्बे बन जाते हैं जो पत्तियों के शीघ्र पतन का कारण बनते हैं।

  • इन धब्बों के कारण पत्तियों पर भूरे रंग की परत बन जाती है जो कि पौधे के भोजन निर्माण की प्रक्रिया को बाधित कर देती है l 

  • प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होने के कारण पौधे भोजन का निर्माण नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण पौधे का विकास भी सही से नहीं हो पाता है एवं पौधा समय से पहले ही सूख जाता है l 

  • सफेद वृद्धि पत्तियों की सतह के नीचे, तने एवं नोड्स पर विकसित होती है इन बिंदुओं पर से तना टूट जाता है और पौधा ऊपर गिर जाता है। कंदों में, बैंगनी भूरे रंग के धब्बे जिन्हें काटने पर पूरी सतह पर फैल जाते हैं, प्रभावित कंद सतह से केंद्र तक जंग लगे भूरे रंग के परिगलन हुए दिखाई देते है।

  • रासायनिक उपचार: एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम या टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम या मेटालैक्सिल 4 % + मैनकोज़ेब 64%WP@ 600 ग्राम या टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25% WG 150 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे l 

  • जैविक उपचार: स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करे l

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नोवामैक्स का बस एक स्प्रे बदलते मौसम में फसल को देगा संपूर्ण सुरक्षा

NovaMaxx is a great tonic for crops
  • मौसम में अचानक बदलाव के कारण पौध विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, इससे फसलों को बचाने के लिए, करें नोवामैक्स का छिड़काव। 

  • नोवामैक्स हर फसल का च्यवनप्राश, जो रखेगा फसलों को तनाव मुक्त !

  • नोवामैक्स (जिब्रालिक अम्ल 0.001%) गेहूँ, सब्जीवर्गीय, धान, मक्का, अनाज, कपास, गन्ना, मूंगफली, सोयाबीन आदि फसलों के लिए बेहद प्रभावशाली है।

  • जो ठण्ड, सूखा, अधिक पानी और कीट बीमारी के हमले जैसे तनाव से फसल को बचाने में मदद करता है।

  • इससे पौधों और फल का आकार बढ़ता है साथ ही फूल उत्तेजित भी होते हैं। यह सल्फर और कॉपर आधारित उत्पाद के साथ मिश्रित नहीं होगा बाकि सभी कीटनाशक और उर्वरक के साथ मिलाया जा सकता है।

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पहाड़ों पर फिर होगी भारी बर्फबारी, कई राज्यों में पाला पड़ने की संभावना

know the weather forecast,

पहाड़ों पर एक के बाद एक दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस आएंगे जो लगातार बर्फबारी देते रहेंगे। इनका असर मैदानी इलाकों में भी दिखाई देगा। पंजाब और राजस्थान सहित हरियाणा के कई जिलों में पाला पड़ने लगा है तथा फसलें जम गई हैं। आधे से ज्यादा देश में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव बना है। इसका असर दक्षिणी राज्यों में दिखाई देगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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