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मानसून और तेज़ बारिश इस रोग के विकास के लिए अनुकूल होते हैं। इस बीमारी के अधिकांश प्रकोप का पता क्षेत्र में होने वाली भारी बारिश से लगाया जा सकता है।
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इस रोग से संक्रमित पत्तियों पर छोटे, भूरे, पानी से लथपथ, पीले आभामंडल से घिरे गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं।
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पुराने पौधों पर पत्रक का संक्रमण अधिकतर पुरानी पत्तियों पर होता है और गंभीर रूप से पत्तियों के गिरने की वजह भी बन सकता है।
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रोग के सबसे अधिक लक्षण हरे फल पर दिखाई देते हैं। फलों पर पहले छोटे, पानी से लथपथ धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में उभर कर बड़े हो जाते हैं।
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इन घावों के केंद्र अनियमित, हल्के भूरे और खुरदुरी, पपड़ीदार सतह के साथ थोड़े धंसे हुए हो जाते हैं।
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पके फल इस रोग के प्रति संवेदनशील नहीं होते हैं। कुछ समय तक बीज की सतह पर रहने से बीज की सतह जीवाणुओं से दूषित हो जाती है।
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इस रोग से फसल के बचाव हेतु मोनास-कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 1% WP) @ 250 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
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