तरबूज की फसल में मल्चिंग/पलवार का महत्व

  • प्लास्टिक मल्चिंग तरबूज की फसल में लगने वाले कीड़ों, बीमारियों और खरपतवारों से बचाती है।
  • काले रंग की पॉलिथीन के द्वारा खरपतवारों का नियंत्रण किया जाता है और साथ ही हवा, बारिश व सिंचाई से होने वाले मृदा कटाव को भी यह रोकती है।
  • पारदर्शी पॉलीथिन का उपयोग मृदा जनित रोगों और नमी संरक्षण को नियंत्रित करने में किया जाता है।
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जाने कद्दु, करेला, ककड़ी, तरबूज, खरबूज, लौकी और गिल्की की खेती के लिये उपयुक्त जलवायु कैसी होनी चाहिए?

  • गर्म एवं नमी युक्त मौसम इस फसल के लिये उपयुक्त होता है।
  • इस फसल की अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिये रात व दिन का तापमान 18-22 C एवं 30-35 C के मध्य होना चाहिये।
  •  25-30 C तापमान पर बीज अंकुरण बहुत तेजी से होता हैं।
  • अनुकूल तापमान होने पर मादा फुलो एवं फलो की संख्या प्रति पौधा मे वृद्धि होती है।
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सिंचाई के अच्छे प्रबंधन से तरबूज की पैदावार में सुधार कैसे करें

  • तरबूज अधिक पानी चाहने वाली फसल है लेकिन पानी का भराव इस फसल के लिए हानिकारक होता है|
  • तरबूज की खेती खासकर गर्म मौसम में होती हैं इसलिए इसमें सिंचाई का अंतराल बहुत महत्तवपूर्ण होता हैं|
  • तरबूज में 3-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए|
  • फूल आने के पहले, फूल आने के समय एवं फल की वृद्धि के समय पानी की कमी से उत्पादन में बहुत कमी आ जाती है|
  • फल पकने के समय सिंचाई रोक देना चाहिए ऐसा करने से फल की गुणवत्ता बढ़ती है और साथ ही फल फटने की समस्या भी नहीं आती है|
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तरबूज की महत्वपूर्ण किस्मे

 

क्र. किस्म का नाम  फल का आकार  फल का भार 

(किलोग्राम )

फसल अवधि 

    (दिन )

फल का रंग 
1.  सागर किंग  अंडाकार  3-5  60 – 70 फल का रंग काला  तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है 
2.  सागर किंग प्लस   अंडाकार  3-5  60 – 70 फल का रंग काला  तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है 
3.  काजल  अंडाकार  3- 3.5 60 – 70 फल का रंग काला  तथा गुदा गुलाबी रंग का दिखाई देता है 
4.  2208  अंडाकार  2-4 70 – 80 फल का रंग काला  तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है 
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तरबूज की खेती के लिए खेत की तैयारी

  • तरबूज की खेती सभी प्रकार की मृदा मे की जा सकती है लेकिन हल्की, रेतीली एवं उर्वर दोमट मृदा उत्तम होती है|
  • मृदा में कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है इसकी पूर्ति के लिए हरी खाद, कम्पोस्ट, केंचुआ की खाद इत्यादि को जुताई के समय मिला देना चाहिये |
  • खेत की अच्छी तैयारी के लिए पहले गहरी जुताई करे फिर हैरो चलाये जिससे जमीन भुरभुरी हो जाए|
  • हल्का ढाल दक्षिण दिशा की और रखना हैं|
  • खेत में से घास फुस साफ़ करें|
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तरबूज की बुवाई का समय

  • तरबूजे की बुवाई का समय नवम्बर से मार्च तक है।
  • नवम्बर-दिसम्बर की बुवाई के बाद पौधों को पाले से बचाना चाहिए तथा अधिकतर बुवाई जनवरी-मार्च तक की जाती है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल के महीनों में बोया जाता है।
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Management of melon worm in watermelon

  • ईल्ली पत्तियों एवं फूलों को खाती हैं|
  • कभी कभी अन्डो से निकलने के तुरंत बाद इस कीट के भृंग/मेंगट तरबूज के फलो में प्रवेश कर क्षति पहुँचाते हैं |
  • प्रभावी नियंत्रण के लिए तरबूज की बुवाई से पहले ही खेत में गहरी जुताई कर कीट के कोकून को नष्ट कर दे।
  • चुकी इस कीट की संख्या गर्मी के मौसम में कम रहती हैं उसी के अनुसार बुवाई का समय निर्धारित करे.
  • खरपतवारो का उचित प्रबंधन करे।
  • साइपरमेथ्रिन 10% ईसी @ 350-500 मिली / एकड़ का छिड़काव करें।
  • या फिप्रोनिल 5% एससी @ 250-300 मिली / एकड़ का छिड़काव करें|

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Control of mosaic virus in watermelon

  • इस रोग के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर आते हैं जो बाद में तने और फल पर भी फैल जाते हैं |  
  • प्रभावित पौधे के फल का आकार बदल जाता हैं और फल छोटे रहते है और डंठलों के पास से टूट जाते हैं |
  • यह रोग माहु नामक कीट द्वारा फैलता हैं |
  • इस रोग से बचने के लिए, फसल चक्र अपनाना चाहिए तथा बुवाई के लिए रोग मुक्त बीज लेने चाहिए |
  • रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर कर नष्ट कर देना चाहिये।  
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @70-100 मिली/एकड़ का छिड़काव करें |

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Control of fusarium wilt in watermelon

  • रेतीली मिट्टी में यह रोग अधिक पाया जाता है।
  • संक्रमित पौधो को नष्ट करें।
  • रोग मुक्त बीज का उपयोग करे।
  • बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम @ 2 ग्राम/किलोग्राम बीज के साथ बीजोपचार करें।
  • जब तरबूज के पौधे पर बीमारी दिखाई दे तो प्रोपिकोनाजोल @ 80-100 मिली/एकड़ का प्रयोग करें।

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Maturity signs of watermelon

  • फल बुआई के 90 -120 दिन बाद तोड़ने लायक हो जाते हैं|
  • पके हुए फलों पर हाथ से थप्पी देने पर भारी आवाज़ निकलती हैं| लेकिन अपरिपक्व फल मे से मेटलिक साउंड आता हैं|
  • जमीन की सतह से लगा तरबूज का भाग सफ़ेद से पीला होने लगता हैं|
  • फल से लगा डंठल सूखने लगता हैं |
  • कुछ किस्मों में फल की सतह पर हाथ फेरने से परिपक्वता का अंदाज़ा लग जाता हैं|

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