Flower promotion in snake gourd

  • ककड़ी में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैंं|
  • बुवाई के 40-45 दिनों बाद ककड़ी की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती हैंं|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा ककड़ी की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता हैंं|
    • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|
    • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली/एकड़ का उपयोग करें|
    • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
    • 2 ग्राम/एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते हैंं|

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Control of fruit fly in snake gourd

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है।
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये लौकी के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
  • जिन क्षेत्रों में फल मक्खी का प्रकोप ज्यादा देखा जाता है, वहां पर कार्बारिल 10% चूर्ण खेत में मिलाये|
  • डायक्लोरोवास कीटनाशक का 3 मिली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।

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Picking in snake gourd

  • फलों की तुड़ा़ई अपरिपक्व एवं मुलायम अवस्था में की जाती हैंं, किन्तु इस बात का ध्यान रखा जाता हैंं कि फल अपना संपूर्ण आकार ग्रहण कर ले।
  • ककड़ी के छिल्के की सतह पर उपस्थित सफेद रंग के छोटे रोये यह दर्शाते हैंं कि फल खाने योग्य हो गये  हैंं।
  • प्रायः व्यवसायिक उदेश्य हेतु फल परागण की क्रिया के 10 से 12 दिनों बाद तैयार हो जाते हैंं।
  • फल की तु़ड़ाई 2 से 3 दिनों के अंतराल से की जाती हैंं। यदि परिपक्व फल को सही समय पर तोड़ा न जाये  तब नये फल के लगने एवं उनके विकास की दशा प्रभावित होती हैंं।

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Zinc solubilizing bacteria in snake gourd

ज़िंक घुलनशील बेक्टेरिया प्राकृतिक उपलब्ध लाभकारी बेक्टेरिया हैं जो जमीन में मौजूद अकार्बनिक ज़िंक को कार्बनिक एसीड के जरिये घुलनशील और उपलब्ध रूप में बदलते हैं जिससे पौधों की वृध्दि में मदद मिलती हैं|

  • इसका उपयोग ज़िंक की कमी के कारण होनी वाले रोगों जैसे:- धान का खैरा रोग में और कुछ अन्य फसलों जैसे टमाटर, प्याज, गेहु, भिन्डी आदि में विशेष रूप किया जाता हैं|
  • इससे फसल की उपज एवं गुणवत्ता बढ़ती हैं|
  • हार्मोन्स गतिविधियों को बढ़ाता हैं|
  • पौध एवं जड़ों की वृध्दि को बढ़ाता हैं |
  • प्रकाश संश्लेषण को बढ़ाता हैं |
  • मिट्टी में बेक्टेरिया होने से मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाती हैं|

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Stem gall fly management in snake gourd

  • मैगॉट्स पौधो में अंदर जाकर शीर्ष तने में छेद करती हैं और गांठ बनाती हैं |
  • वयस्क: पतले गहरे भूरे मच्छर जैसी होती हैं |
  • इनमे से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करने से प्रभावी नियंत्रण किया सकता हैं |
  • डाइमेथोएट 30% ईसी 250 मिली / एकड़
  • डायक्लोरवास 76% ईसी @ 250 मिली / एकड़

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Hormone application in snake gourd for more yield

  • छह से आठ पत्तियों की अवस्था में ईथीलीन या जिब्रेलिक एसिड का 0.25-1 मिली प्रति 10 लीटर पानी में घोल बना कर बेलों और फूलो पर स्प्रे करने से मादा फूलों की संख्या बढ़ जाएगी और फलों की संख्या दोगुनी हो जाएगी, यहाँ 80 दिन तक असर दिखाता हैं|

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Staking in Snake gourd

  • करेला अत्यधिक तेजी से बढ़ने वाली फसल है बीज की बुआई के दो सप्ताह बाद लताये तेजी से बढ़ने लगती है|
  • जालीदार मंडप की सहायता से करेले के फलों के आकार एवं उपज में वृद्धि होती है, साथ ही फलों में सडन कम होती है, और फलों की तुड़ाई एवं कीटनाशकों का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है|
  • मंडप 1.2- 1.8 मीटर ऊँचाई के होने चाहिए|

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Flower promotion nutrients in snake gourd

  • ककड़ी में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है|
  • बुवाई के 40-45 दिनों बाद ककड़ी की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती है|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा ककड़ी की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|
  • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली. /एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • 2 ग्राम /एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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Control of Leaf Hopper and Jassid in Snake gourd

  • शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों एवं लताओं का रस चूसते है, जिसके कारण पत्तियों एवं लतायों पर भूरे रंग के जले हुये धब्बे बन जाते है ।
  • प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों के किनारे पीले रंग के हो जाते है बाद में पत्तियाँ सूख जाती है। फलों का आकार एवं गुणवत्ता दोनो में कमी हो जाती है।
  • बुआई के समय कार्बोफुरोन 3 जी @ 10 किलो प्रति एकड़ जमीन में मिलाये|
  • जेसिड की रोकथाम हेतु जेसिड दिखाई देने पर हर 15 दिन में प्रोफेनोफॉस 50 % ईसी @ 400 मिली प्रति एकड़ या एसीटामाप्रीड 20% @ 80 ग्राम प्रति एकड़ का स्प्रे करें |
  • जैसिड से बचाव के लिए नीम- लहसुन का सत जैसिड आने से पहले हर 15 दिन में करें|

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Control of downy mildew in Snake gourd

  • अधिक नमी वाले मौसम के दौरान, फसल पत्तियों की निचली सतह पर है।
  • पत्तिया जल्द ही पूरी तरह से सूख जाती है।
  • अच्छी जल निकासी और हवा की आवाजाही के साथ साथ अच्छी तरह धूप की उपलब्धता के लिए चौड़ी नालियों वाली क्यारियों बनानी चाहिए इससे रोग का फैलाव कम होता हैं|
  • मैंकोजेब 75% WP @ 350-400 ग्राम /एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 200-250 ग्राम /एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें|

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