Control of Powdery Mildew of Snake gourd

  • पत्तियों पर सफ़ेद या धूसर रंग के धब्बों का निर्माण होता है| जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग का पाउडर में बदल जाते है|
  • पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 300 मिली. प्रति एकड़ या थायोफिनेट मिथाईल 400 ग्राम प्रति एकड़ का घोल बनाकर छिडकाव करें|

 

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Use of PSB in Snake Gourd

  • ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते है|
  • तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते है |
  • पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते है जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते है|
  • रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है|
  • इसका उपयोग करने से  25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती ।

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Irrigation management in snake gourd

  • ककड़ी की बुवाई के पूर्व पहली सिंचाई करते है ताकि बीज की बुवाई अच्छे से की जा सके|
  • इसके बाद 1 सप्ताह में एक बार सिंचाई करते है|
  • गर्मी का मौसम या अधिक धूप पड़ने की दशा में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जाती है|
  • इसके फसल के लिए ड्रिप विधि से सिंचाई सर्वोत्तम होती है| इससे पानी की भी बचत हो जाती है|
  • परागण एवं फल की लम्बाई बढ़ने वाली अवस्था इसके सिंचाई की क्रांतिक अवस्था होती है|

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Nutrient Management in Snake Gourd

  • भूमि की तैयारी के समय अच्छी तरह सड़ी हुई कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करें|
  • 12:32:16 के मिश्रण को 50 ग्राम/पिट की दर से बेसल डोज में दें|
  • साथ ही युरिया 25 ग्राम/पिट बीज बोने के 30 दिन बाद प्रयोग करें|
  • 19:19:19 या 0:52:34 को 100 ग्राम/पिट की दर से फल की वृद्धि के समय पर उपयोग करें|
  • फास्फोरस घुलनशील बैक्टेरिया और एज़ोस्पाइरिलम 500 मिली /एकड़ का प्रयोग करें|
  • स्यूडोमोनास 1 कि.ग्रा/एकड़ को 20 कि.ग्रा कम्पोस्ट और 40 किलोग्राम नीम की खली के साथ आखरी जुताई के पहले खेत में मिलाये|

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Sowing method of Snake gourd

  • मध्य भारत में ककड़ी के बीजों को मेढों में या समतल क्यारियों या गढ्ढे में बोया जाता है।
  • सामान्यतः बीजों की बुवाई मेढों के किनारे वाले ऊपरी भाग पर की जाती है। गर्मी के मौसम में लताओ को भूमि की सतह पर फैलने दिया जाता है।
  • एक गढ्ढे में 5-6 बीजों की बुवाई की जाती है। उसमे से केवल दो ही लताओ को बढने के लिये छोड़ा जाता है।
  • बीजों के बुवाई  करने के पूर्व 12 घंटे पानी में डूबाकर रखा जाता है, तत्पश्चात फूले हुये बीजों की बुवाई की जाती है।
  • जब पौधों को रोपाई विधि के द्वारा लगाया जाता है, तब बीजों की बुवाई 10-15 से.मी. वाले पाँलीथीन बैग में पूर्ण रूप से पका हुआ कार्बोनिक खाद भरकर की जाती है।
  • इस विधि से तैयार किये गये पौधों को दो-पत्ती अवस्था में अथवा तीन सप्ताह के बाद ही खेत में लगाया जाता है।

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Seed Treatment in snake gourd

  • अच्छी गुणवत्ता एवं बीमारी और कीट से बचाव के लिए बुआई के पहले बीज उपचार जरूर करना चाहिए|
  • उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% फफूँदनाशक का उपयोग 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से करते है| या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5%  2 ग्राम/किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ. एस. (48%) 1 एम.एल/कि.ग्रा से उपचारित कर सकते है|

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Soil preparation for snake gourd farming

  • बालम ककड़ी सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है|
  • फसल की बुवाई से पहले भूमि को 3-4 जुताई करके तैयार कर लेना चाहिए|
  • इसकी खेती के लिए जल निकास की व्यवस्था उत्तम होना चाहिए|
  • अच्छी उपज एवं गुणवत्ता के लिए मृदा में कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना चाहिए|

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Sowing time suitable for snake gourd

  • बालम ककड़ी की बुवाई का सही समय जनवरी-फरवरी माह होता है|
  • इसके लिए गर्म-नम वातावरणीय दशा उत्तम होती है|
  • इसकी वृद्धि के लिए 25-38°सें.ग्रे तापक्रम उचित होता है|

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